बाराबंकी : जब सत्ताधारियों को ही पुलिस जांच पर यकीन नहीं तो जनता में कैसे ?

बाराबंकी।  जब सत्ता में बैठे सांसद-विधायकों को पुलिस की जांच से भरोसा उठने लगे तो आम जनमानस को न्याय कैसे मिलेगा? यह सवाल उठना लाजिमी है। ताजा मामला बाराबंकी जिले का है। यहां मसौली थाना क्षेत्र के बड़ागांव निवासी नसरुद्दीन को मादक पदार्थ तस्करी के आरोप में पुलिस ने हाल ही में गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इस मामले में पसमांदा मुस्लिम समाज ने आंदोलन की राह पकड़ी और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।

अब भाजपा सांसद उपेंद्र सिंह रावत और विधायक बैजनाथ रावत, विधायक रामनरेश रावत और विधायक शैलेश सिंह शैलू ने पसमांदा समाज का समर्थन करते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है। नेताओं ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि, बाराबंकी पुलिस से निष्पक्ष जांच होना संभव नहीं है, इसलिए किसी अन्य एजेंसी से घटना की जांच हो।

पसमांदा मुस्लिम समाज के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद वसीम राईन ने कहा कि युवक नसरुद्दीन निर्दोष है और पुलिस ने उसे किसी के द्वारा की गई साजिश के तहत गिरफ्तार किया है। जिस समय पुलिस इसकी गिरफ्तारी बता रही है। उस समय नसरुद्दीन एक अन्य कार्यक्रम में था।

पुलिस का उसे गिरफ्तार करना और एनडीपीएस में फंसाना पूरी तरह गलत है और उसके सही तथ्यों को जानकर ही भाजपा के सांसद और विधायकों ने निष्पक्ष जांच की बात कही है। उम्मीद है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ न्याय करेंगे और बाराबंकी पुलिस के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेंगे।

इस मामले में पीड़ित नसरुद्दीन और उनके परिजनों ने बताया कि गांव में प्रधानी का चुनाव लड़ने के चलते उनके साथ रंजिश निकाली जा रही है। वह एक दिन गांव में अपनी एक जान पहचान वाले शख्स की मिट्टी देने (अंतिम संस्कार) के लिए आए थे। वहीं से पुलिस वालों ने उन्हें जबरदस्ती उठा लिया और 20 लाख रुपए की मांग करने लगे।

उन्हें जब उनसे पूछा कि किस बात के पैसे देने हैं तो पुलिस वाले उन्हें अवैध मार्फीन के केस में जेल भेजने की धमकी देने लगे। जब उन्होंने पैसे नहीं दिए तो उन्हें डेढ़ सौ ग्राम मार्फिन के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। यह भी आरोप है कि, पुलिस ने 20 लाख रुपए वसूले हैं।

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here