बिहार जातिगत सर्वेः कितने पिछड़े, किसकी कितनी है आबादी?

बिहार की नीतीश सरकार ने आज जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी कर दिए हैं. सर्वे के दौरान धर्म से जुड़े आंकड़े भी जुटाए गए. इसकी भी जानकारी दी गई है. बिहार में सबसे ज़्यादा आबादी हिंदू धर्म को मानने वालों की है. उनके बाद मुसलमान धर्म को मानने वालों की संख्या है. हालांकि, दोनों धर्मों को मानने वालों की आबादी के बीच बड़ा फ़ासला है. बिहार में हुए जातिगत सर्वे से जानकारी हुई है कि राज्य के करीब 13 करोड़ लोगों में 2146 लोग ऐसे भी हैं, जिनका कोई धर्म नहीं है.

राज्य कुल 63 फीसदी आबादी इस वर्ग से आती है। इनमें 27 फीसदी आबादी पिछड़ा वर्ग के लोगों की है। वहीं, 36 फीसदी से ज्यादा अति पिछड़ी जातियों की आबादी है। वहीं, अनुसूचित जाति की आबादी करीब 20 फीसदी है। जो 2011 की जनगणना में महज 15.9 फीसदी थी। वहीं, सामान्य वर्ग के लोगों की आबादी 15 फीसदी है।

बड़ी बात यह है कि 2011 में हुई जनगणना में राज्य की कुल आबादी 10 करोड़ 40 लाख 99 हजार 452 थी। जो इस सर्वे में बढ़कर 13 करोड़ सात लाख 25 हजार 310 हो गई है। इस तरह बीते 12 साल में राज्य की आबादी में 25.5 फीसदी का इजाफा हुआ है। 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य की कुल आबादी में 15.9 फीसदी आबादी दलित और 1.3 फीसदी आबादी आदिवासी समाज की थी। नए जातिगत सर्व  में दलित आबादी 19.65 फीसदी हो गई है। वहीं, आदिवासी आबादी का आंकड़ा भी बढ़कर 1.68 फीसदी हो गया है।

जहां तक पिछड़े वर्ग की बात है तो जातिगत जनगणना से पहले माना जाता था कि राज्य में 51 से 52 फीसदी आबादी पिछड़ी जातियों की है। जातिगत जनगणना में यह आंकड़ा 63.13 फीसदी से भी ज्यादा बताया गया है। वहीं, राज्य की 30 फीसदी आबादी सामान्य वर्ग के लोगों की मानी जाती थी। जातीय जगनणना में यह आंकड़ा महज 15.52 फीसदी ही बताया गया है। बिहार की जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट में क्या है? आज जारी हुए आंकड़े क्या कहते हैं? रिपोर्ट के खास बिंदु क्या हैं? आइये जानते हैं…

बिहार की जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट क्या है? 
सोमवार को बिहार जाति आधारित गणना-2022 कार्य के सर्वेक्षण के आंकडों को प्रकाशित कर दिया गया। सरकार ने कहा कि रिपोर्ट का उपयोग सर्वप्रथम समाज के सबसे निचले पायदान पर मौजूद लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के प्रयास के साथ समाज और राज्य के सर्वांगीण विकास में किया जा सकेगा।

दरअसल, बिहार विधानसभा और विधानपरिषद ने 18 फरवरी 2019 को राज्य में जाति आधारित गणना कराये जाने का प्रस्ताव पारित किया गया। इस संबंध में दोबारा एक मई 2022 को आयोजित सर्वदलीय बैठक में भी बिहार राज्य में जाति आधारित गणना कराने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया। इसके अगले ही दिन राज्य मंत्रिपरिषद् द्वारा लिए गये निर्णय के आधार पर बिहार राज्य में जाति आधारित गणना को दो चरणों में माह फरवरी, 2023 तक संपन्न कराने का निर्णय लिया गया।

Bihar Caste Census Report: census main highlights and main figure analysis
रिपोर्ट में आंकड़ों के आधार क्या हैं?
बिहार जाति आधारित गणना-2022 को कई बिंदुओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इन बिंदुओं में शैक्षणिक योग्यता, कार्यकलाप, आवासीय स्थिति, अस्थायी प्रवासीय स्थिति, कम्प्यूटर / लैपटॉप की उपलब्धता, मोटर वाहन, कृषि भूमि, आवासीय भूमि, सभी स्त्रोतों से मासिक आय शामिल है।

इसमें क्या आंकड़े सामने आए हैं?
बिहार में अति पिछड़ा वर्ग की आबादी सबसे ज्यादा 4,70,80,514 है जो राज्य की आबादी का कुल 36.0148 % है। इसके बाद पिछड़ा वर्ग 3,54,63,936 हैं जिनकी कुल आबादी 27.1286 फीसदी है। इस तरह से राज्य की 63 फीसदी से ज्यादा आबादी पिछड़ा वर्ग की है। इसके बाद अनुसूचित जाति की आबादी 2,56,89,820 हैं जो 19.6518 % हैं। वहीं, सामान्य वर्ग की आबादी 2,02,91,679 है जो राज्य की आबादी का 15.5224 % है। राज्य में अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या 21,99,361 है। जो कुल आबादी का 1.6824 % हैं। इस तरह से बिहार की कुल आबादी 13,07,25,310 है।
किस धर्म की कितनी आबादी है?
बिहार में 81.99 प्रतिशत यानी लगभग 82% हिंदू हैं। इस्लाम धर्म के मानने वालों की संख्या 17.7% है। शेष ईसाई सिख बौद्ध जैन या अन्य धर्म मानने वालों की संख्या एक फीसदी से भी कम है। राज्य के 2146 लोगों ने अपना कोई धर्म नहीं बताया।

किस धर्म के कितने लोग

हिंदू: 81.99 प्रतिशत

मुसलमान: 17.70 प्रतिशत

ईसाई: 0.057

सिख: 0.0113

बौद्ध: 0.085

जैन: 0.009

बिहार में आज जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं.

इन आंकड़ों के मुताबिक़ राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ के करीब है. इनमें सबसे ज़्यादा आबादी अति पिछड़ी जातियों की है.

वहीं सामान्य वर्ग की आबादी 15.52 फ़ीसद है.

देखें बिहार के जातिगत सर्वेक्षण के अनुसार वहां किस जाति की कितनी है आबादी?

समान्य वर्ग की कुल आबादी – 15.52 फ़ीसद

ब्राह्मणः 3.66 फ़ीसद

भूमिहारः 2.86 फ़ीसद

राजपूतः 3.45 फ़ीसद

पिछड़ी आबादीः 27.13 फ़ीसद

यादवः 14 फ़ीसद

कुर्मीः 2.87 फ़ीसद

अत्यंत पिछड़ी आबादीः 36.01 फ़ीसद

अनुसूचित जाति आबादी – 19.65 फ़ीसद

अनुसूचित-जनजाति आबादी – 1.68 फ़ीसद

लालू यादव की सरकार से मांग

लालू यादव ने नीतीश सरकार से मांग की, ” सरकार को अब सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो. हमारा शुरू से मानना रहा है कि राज्य के संसाधनों पर न्यायसंगत अधिकार सभी वर्गों का हो.”

लालू यादव ने कहा,”केंद्र में 2024 में जब हमारी सरकार बनेगी तब पूरे देश में जातिगत जनगणना करवायेंगे और दलित, मुस्लिम, पिछड़ा और अति पिछड़ा विरोधी भाजपा को सत्ता से बेदखल करेंगे.”

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