गोरखपुर। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के प्रत्याशियों की तरफ से प्रचार के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैलियों की जबरदस्त मांग है। योगी की अपनी हिन्दुत्ववादी इमेज, पौने चार साल के कार्यकाल में विकासपरक नीतियों के साथ लाकडॉउन में उनके बचाव और राहत कार्यों ने चलते इस चुनाव में टोल मॉडल के रूप में बुलाया जा रहा है।
इसके साथ ही वह जिस विख्यात गोरक्षनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर हैं, उसके प्रति आस्था और श्रद्धा समूचे बिहार में है। वैसे तो 243 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में वह भाजपा के शीर्ष स्तर प्रचारक हैं लेकिन उत्तर प्रदेश से सटे तीन जिलों गोपालगंज, सिवान और पश्चिमी चंपारण की 23 विधानसभा सीटों पर उनका सीधा प्रभाव माना जा रहा है।
28 व 29 अक्टूबर को उनकी चुनावी रैलियों में तीन इन्ही 23 में से तीन अलग अलग विधानसभा क्षेत्रों में हैं। लाकडॉउन के दौरान लाखों प्रवासी कामगारों को घर बुलाने में योगी आदित्यनाथ के प्रयासों की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। इस सफल प्रयास का लाभ बड़ी संख्या में उन बिहारी कामगारों को भी मिला जिन्हें योगी सरकार ने अपने संसाधनों से उनके घर पहुंचाया। इस वजह से भी बिहार में एनडीए के उम्मीदवार उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र में अपने पक्ष में माहौल बनाने को बुलाने को आतुर हैं।
देवरिया और कुशीनगर जिले से सटे गोपालगंज के बैकुंठपुर, बरौली, गोपालगंज, कुचायकोट, भोरे, हथुआ, सिवान जिले कर सिवान, जीरादेई, दरौली, रघुनाथपुर, दरौंदा, बड़हरिया, गोरेयाकोठी, महराजगंज तथा पश्चिमी चंपारण के वाल्मीकिनगर, बेतिया, लौरिया, रामनगर, नरकटियागंज, बगहा, नौतन, चनपटिया व सिकटा विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इन तीनों जिलों के लोगों का योगी के गृह क्षेत्र गोरखपुर से शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को लेकर नियमित सरोकार रहता है। इस नाते वह उनकी छवि और कार्यशैली से बखूबी वाकिफ हैं।
ऐसे में एनडीए प्रत्याशियों को अपने क्षेत्र में योगी के प्रभाव का इस्तेमाल कर चुनावी वैतरणी पार पाने की उम्मीद है। आंकड़ो के आईने में देखें तो सीमावर्ती तीन जिलों की 23 सीटों पर वर्तमान में 13 पर (7 भाजपा व 6 जदयू) एनडीए काबिज है। 4 पर राजद, 3 पर कांग्रेस, 1 पर सीपीआई एमएल तथा 2 पर निर्दलियों का कब्जा है।
पिछले चुनाव में भाजपा व जदयू प्रतिद्वंद्वी थे जबकि इस चुनाव में एकसाथ हैं। नए समीकरणों में एनडीए के रणनीतिकारों का मानना है कि योगी की अपनी प्रचारशैली से इन क्षेत्रों में पिछले सफल चुनावी आंकड़ों को क्लीन स्वीप के समीप तक ले जाया जा सकता है।