रायबरेली। ‘नैनों में था रास्ता, हृदय में था गांव, हुई न पूरी यात्रा, छलनी हो गये पाँव’। मशहूर शायर निदा फ़ाज़ली का यह शेर आज के प्रवासी मजदूरों के दर्द, बेबसी, लाचारी और घर लौटने की ललक पर पूरी तरह मौजूं है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद भी राजमार्ग पर चलने वाला यह सिलसिला थमा नहीं है। सिर पर बैग, हाथ में पानी की बोतल लिए पुरुष और बच्चों का हाथ पकड़े महिलाएं सड़कों पर दिख रही है। हालांकि पुलिस की सख्ती की वजह से अब हाईवे से नजदीक लगी सड़कों पर चलना शुरू कर दिया है।
लखनऊ प्रयागराज राजमार्ग पर मध्यप्रदेश के सीधी के रहने वाले दर्जनों प्रवासियों का काफ़िला जगतपुर के पास पेड़ की छांव में खड़ा था। सभी लखनऊ में मजदूरी का काम करते थे और लख़नऊ से पैदल ही आ रहे है। रास्ते में जो मिला खा लिया। उन्हें इंतजार है बस किसी साधन का जिससे वह अपने घर जा सकें।
रायबरेली में भी आंध्रप्रदेश और छत्तीसगढ़ जा रहे कई प्रवासियों को पुलिस ने एक विद्यालय में रोका और अब उनके जाने का इंतजाम किया जा रहा है। कानपुर प्रयागराज राजमार्ग पर भी लालगंज में पास पैदल जा रहे दर्जनों प्रवासियों को रोका गया और अब उनके लिए साधन का इंतजाम किया जा रहा है। जिले भर से गुजरने वाले राजमार्गो और अन्य सड़कों पर पैदल और सायकिल से अपने घर जा रहे प्रवासियों के काफिला अभी भी दिख रहा है। इन्हें बस एक ही चिंता है किसी तरह अपने घर पहुंचकर अपनों से मिले।
इन्ही में से रामप्रसाद, मिथुन, राजपति,संजय, गुड्डू आदि ने बताया कि काम बंद हो गया और अब कोई उम्मीद भी नही है। जितना पैसा था सब खत्म हो गया। अब कैसे भी घर पहुचना है। बेबसी और लाचारी ने उन्हें सड़कों के खतरे,लम्बी और असंभव सी लगने वाली यात्रा का डर भी दूर कर दिया है। उनके दिलों में अपने गांव है और आँखों के सामने केवल उस ओर जाने वाला रास्ता।
शासन के निर्देशों के बाद प्रवासियों के लिये संवेदनशील हुआ प्रशासन
शासन के कड़े निर्दशों के बाद पर प्रशासन की भी संवेदनशीलता जागी है। पैदल व अन्य साधनों से चलने वालों के लिए सक्रियता तेज हो गई है। अब राजमार्गो पर पुलिस की चौकसी है, सभी को एकान्तवास केंद्रों में रोककर खाना खिलाया जा रहा है और गंतव्य तक भेजने का इंतजाम भी। शहर के बालिका विद्यालय में करीब 30 लोगों को रोका गया और अन्य को उनके लिए साधन उपलब्ध कराया गया।
अब साधनों से जा रहे प्रवासियों के लिए पुलिस की पहरेदारी भी रहेगी जिसमे वह जिले की सीमा पार करेंगे। पुलिस की मोबाइल टीम के पीछे प्रवासियों के वाहन होंगे जिन्हें दूसरे जिले की सीमा तक छोड़ा जायेगा। प्रवासियों के लिए बड़ी संख्या में निजी विद्यालयों के वाहनों को लगाया गया है।जो प्रवासियों को आगे का रास्ता तय करा रहे हैं। देर से ही सही लेकिन प्रशासन की यह सक्रियता सभी के लिए सकून देने वाली है।