बॉलीवुड के अनकहे किस्सेः प्रेम चोपड़ा पर मनोज का ‘वह’ उपकार

प्रेम चोपड़ा हिंदी सिनेमा के मशहूर और लोकप्रिय खलनायक रहे हैं। लाहौर में जन्मे प्रेम चोपड़ा का परिवार विभाजन के समय अंबाला होते हुए शिमला पहुंचा था जहां उनके पिताजी को नौकरी दी गई थी। कॉलेज के दिनों में उनकी रुचि नाटकों में तो हुई ही, वे सिनेमा की तरफ भी आकृष्ट हुए और मुंबई जाने का सपना देखने लगे। जैसा कि उस समय होता था…। उनके पिता इसके सख्त खिलाफ थे और चाहते थे कि वे चुपचाप नौकरी करें।

नौकरी के सिलसिले में वे अपने मामा के पास दिल्ली आए और कुछ दिन बाद 1955 में मुंबई पहुंच गए। उनको फिल्म तांगेवाली में एक बहुत ही छोटा रोल मिला। यहीं उनकी दोस्ती हुई मनोज गोस्वामी उर्फ मनोज कुमार से जो इस फिल्म के निर्माता लेखराज भाकरी के चचेरे भाई थे। उन्हें पिता के कहने पर दोबारा वापस शिमला आना पड़ा ।

पांच साल बाद प्रेम चोपड़ा फिर एक बार अपना भाग्य आजमाने मुंबई पहुंच गए। इस बार टाइम्स ऑफ इंडिया के सेल्स विभाग में कार्य करते हुए उन्होंने फिल्मों में काम तलाशने का अपना स्ट्रगल जारी रखा। इस बीच पंजाबी फिल्म चौधरी करनैल सिंह में उन्हें हीरो का रोल मिला। कई पंजाबी फिल्में और की लेकिन पहचान मिली उन्हें वह कौन थी फिल्म से जिसमें राज खोसला ने उन्हें खलनायक के रूप में पेश किया था।

जबकि महबूब खान उन्हें अपनी फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका देना चाहते थे। लेकिन इसी दौरान 1966 में वह कौन थी फिल्म का प्रदर्शन हो गया । महबूब खान ने उन्हें खलनायक के रूप में देखा तो अपनी फिल्म में लेना स्थगित कर दिया। इस फिल्म के हीरो मनोज कुमार थे जो पहले से ही उनके मित्र थे ।

1967 में उन्होंने उपकार फिल्म में अपने छोटे भाई का रोल करने का ऑफर दिया। हालांकि इसके लिए उनकी पहली पसंद राजेश खन्ना थे। उनको साइन करने के बाद उनके साइज के कपड़े भी सिलवा लिए गए थे। लेकिन उसी समय उनका चुनाव फिल्म फेयर के किसी मुकाबले में हो गया और उन्होंने इस रोल के लिए मना कर दिया ।

इस तरह यह रोल प्रेम चोपड़ा की झोली में आ गया। इसके लिए उन्हें 15000 रुपये का मेहनताना दिया गया था। इस फिल्म के दौरान ही उन्हें टाइम्स ऑफ इंडिया की अपनी छह साल पुरानी नौकरी छोड़नी पड़ी थी। लेकिन उपकार फिल्म की सफलता से उनके पास काम की कोई कमी नही रही। इसके बाद उन्होंने मनोज कुमार के साथ कई यादगार फिल्में की।

पूरे करियर में कुल मिलाकर उनके साथ 14 फिल्में की। मनोज कुमार उन्हें बहुत पसंद करते थे। वह प्रेम के अपने संवाद याद करके सेट पर आने और उन्हें उर्दू में लिख कर लाने के हुनर से बेहद प्रभावित रहते थे। फिल्म यादगार के दौरान ही उनका विवाह हास्य कलाकार राजेंद्र नाथ की बहन उमा से हुआ था।

शादी के बाद राजेंद्र नाथ की कार का ट्रक के साथ बहुत भयंकर एक्सीडेंट हुआ था लेकिन उन्हें खरोंच तक नहीं आई। तब मनोज कुमार ने चुटकी लेते हुए कहा था- उसने अब महसूस किया, यह क्या हो गया। मैंने अपनी बहन की शादी खलनायक से कर दी।

लेखक- राष्ट्रीय साहित्य संस्थान के सहायक संपादक हैं। नब्बे के दशक में खोजपूर्ण पत्रकारिता के लिए ख्यातिलब्ध रही प्रतिष्ठित पहली हिंदी वीडियो पत्रिका कालचक्र से संबद्ध रहे हैं। साहित्य, संस्कृति और सिनेमा पर पैनी नजर रखते हैं।)

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