नई दिल्ली। भारत में कोरोना ने अपने पाँव इतनी मजबूती से जमा लिए हैं कि सारी कोशिशें दम तोड़ती नज़र आ रही हैं। हालात इतने भयावाह हैं कि हर दीनब तीन लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमित सामने आ रहे हैं। ऐसे डराने वाले आंकड़ों के समय हमें ब्रिटेन की तरफ देखने की ज़रूरत है।
ब्रिटेन में भी इसी रफ़्तार से कोरोना बढ़ रहा था जैसे कि इन दिनों भारत में बढ़ रहा है। ब्रिटेन में भी हर दिन साठ हज़ार से ज्यादा संक्रमित मिल रहे थे।
ऐसे में ब्रिटेन ने बगैर समय गंवाए लॉकडाउन कर दिया। इससे न सिर्फ साठ हज़ार मामले सिमटकर तीन हज़ार रोज़ पर पहुँच गए और मरने वालों की संख्या भी 20 फीसदी पर आ गई।
ब्रिटेन ने वैक्सीनेशन कार्यक्रम में भी फेरबदल किया। दूसरी डोज़ को एक महीने के बजाय तीन महीने के बाद देने का फैसला किया।
इसका नतीजा यह हुआ कि वैक्सीनेशन के लिए वैक्सीन की कमी का संकट खत्म हो गया और अब तक ब्रिटेन के 63 फीसदी लोगों को पहली डोज़ मिल चुकी है।
ब्रिटेन की सरकार ने सिर्फ गंभीर मरीजों को भर्ती करना शुरू किया। जिसे ज़रूरत हो बस उसी को बेड, आक्सीजन या वेंटीलेटर देने का फैसला किया। सारी सिफारिशें रद्द कर दीं।
इससे जेनुइन लोगों को इलाज मिलने का सिलसिला तेज़ हो गया।सरकार ने खुली जगहों पर छह से ज्यादा लोगों के जमा होने पर पाबंदी लगा दी।
हर व्यक्ति के लिए मास्क ज़रूरी कर दिया। मास्क न लगाने को दंडनीय घोषित कर दिया। बार और होटल पूरी तरह से बंद कर दिए। जांच के काम में तेज़ी कर दी और मरीजों को तत्काल इलाज सुनिश्चित किया गया।
बता दे कि देश में कोरोना के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। आलम तो ये है कि लगातार चौथे दिन 3 लाख से ज्यादा नए केस सामने आ चुके हैं। इतना ही नहीं 2761 लोगों की जिंदगी ख़त्म हो गई है।
हालांकि 2.15 लाख मरीज ठीक भी होकर अपने घर लौट चुके हैं। देश में कोरोना के मामले एकाएक रफ़्तार पकड़ ली है। कोरोना की दूसरी लहर काफी खतरनाक है।