नई दिल्ली। पूरी दुनिया में अभी कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई जारी है। इस बीच आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को जानकारी दी है कि ब्रिटेन के अलावा 30 से ज्यादा देशों ने भी भारत के वैक्सीन सर्टिफिकेट को मान्यता दे दी है। जिन देशों ने यह मान्यता दी है उनमें यूके के अलावा, फ्रांस, जर्मनी, नेपाल, बेलारूस, लेबनान, अरमेनिया, यूक्रेन, बेल्जियम, हंगरी और सर्बिया शामिल हैं।
इसके अलावा साउथ अफ्रीका, ब्राजील, बांग्लादेश, बोत्सवाना, और चीन ये कुछ ऐसे देश हैं जिनके यात्रियों को भारत आने पर जरुरी नियमों का पालन करना होगा। इसमें भारत पहुंचने के बाद कोविड टेस्ट कराना भी जरुरी है।
अभी हाल ही में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक ट्वीट में कहा था कि “कोविड -19 टीकाकरण प्रमाणपत्रों की पारस्परिक मान्यता शुरू होती है! भारत और हंगरी एक-दूसरे के कोविड -19 टीकाकरण प्रमाणपत्रों को मान्यता देने के लिए सहमत हैं। शिक्षा, व्यवसाय, पर्यटन और उससे आगे के लिए गतिशीलता की सुविधा प्रदान करेंगे।”
बता दें कि भारत में बृहस्पतिवार को कोविड टीकों की 27 लाख से अधिक खुराकें दी गयी और इसके साथ ही देश भर में अब तक दी गयी खुराकों की संख्या 97 करोड़ को पार कर गयी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी। मंत्रालय ने कहा कि देर रात तक दिन भर की अंतिम रिपोर्ट के एकत्र होने के साथ ही दैनिक टीकाकरण संख्या में वृद्धि होने की उम्मीद है। बुधवार को टीकों की 27,62,523 खुराकें दी गईं।
मंत्रालय ने रेखांकित किया कि देश में सबसे संवेदनशील जनसंख्या समूहों को कोविड-19 से बचाने के लिए एक उपकरण के तौर पर टीकाकरण अभियान की नियमित रूप से समीक्षा की जा रही है और उच्चतम स्तर पर इसकी निगरानी की जा रही है।
भारत ने कोविड-19 की उत्पत्ति का पता लगाने की अपनी मांग बृहस्पतिवार को फिर से दोहराया भी है । एक दिन पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस जटिल मुद्दे के अध्ययन को आगे बढ़ाने के लिये विशेषज्ञों के एक समूह का गठन किया है। कोविड-19 की उत्पत्ति का विषय पिछले करीब डेढ वर्षो से काफी जटिल मुद्दा बना हुआ है जब यह वायरस सबसे पहले चीन के वुहान में सामने आया था ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत से जाने माने महामारीविद रमण गंगाखेदकर तथा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की राष्ट्रीय पीठ के डा. सी जी पंडित को वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिये 26 सदस्यीय इस वैज्ञानिक सलाहकार समूह का सदस्य बनाया गया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाताओं से कहा, ” हमने जो पहले कहा है, उसे हम दोहराते हैं । इस विषय पर आगे अध्ययन और उत्पत्ति के संबंध में आंकड़ों तथा सभी संबंधित पक्षों की समझ एवं सहयोग को लेकर हमारे हित (जुड़े) हैं ।” उन्होंने कहा कि उन्हें हालांकि डब्ल्यूएचओ के पूरे निर्णय के बारे में पूरी जानकारी नहीं है।