नई दिल्ली। 2023 से 2030 के बीच नए वर्कर्स को समायोजित करने के लिए भारत को 9 करोड़ गैर-कृषि नौकरियों की आवश्यकता होगी। इसके अलावा 3 करोड़ अतिरिक्त वर्कर कृषि कार्य को छोड़कर ज्यादा उत्पादकता वाले गैर-कृषि क्षेत्र से जुड़ेंगे। मैकेंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की ‘इंडियाज टर्निंग पॉइंट’ रिपोर्ट के मुताबिक, इस संख्या को समायोजित करने के लिए देश को 2023 से हर साल 1.2 करोड़ अतिरिक्त गैर-कृषि नौकरियों की आवश्यकता होगी।
2012 से 2018 के बीच 40 लाख सालाना नौकरियां पैदा हुईं
मैकेंजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012 से 2018 के बीच भारत में हर साल 40 लाख नौकरियां पैदा हुई हैं। ऐसे में 2023 से 2030 के बीच भारत को तीन गुना ज्यादा नौकरियों पैदा करने की आवश्यकता होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि अतिरिक्त 5.5 करोड़ महिलाएं लेबर फोर्स से जुड़ जाती हैं तो इससे प्रतिनिधित्व में सुधार होगा और भारत की रोजगार सृजन अनिवार्यता अधिक होगी।
तेज रोजगार ग्रोथ के लिए 8.5% जीडीपी ग्रोथ की जरूरत होगी
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के बाद मजबूत प्रोडक्टिविटी ग्रोथ और तेज रोजगार ग्रोथ के लिए 8 से 8.5 फीसदी जीडीपी ग्रोथ की आवश्यकता होगी। इस जीडीपी ग्रोथ को हासिल करने के लिए नेट एम्पलॉयमेंट में हर साल 1.5 फीसदी ग्रोथ की आवश्यकता होगी। यह 2000 से 2012 के औसत नेट एम्प्लॉयमेंट ग्रोथ के बराबर है। लेकिन 2013 से 2018 के नेट एम्प्लॉयमेंट ग्रोथ रेट से काफी ज्यादा है। इसके अलावा भारत को 6.5 से 7 फीसदी सालाना की दर से प्रोडक्टिविटी ग्रोथ बनाए रखनी होगी।