न्यूयॉर्क। भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से दुनिया, विशेषकर पश्चिमी देशों को साफ चेतावनी दी है कि कोरोना टीकों की तरह गेहूं का बंटवारा नहीं किया जा सकता। संयुक्त राष्ट्र संघ की पहल पर अंतरराष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा पर बुलाए गए मंत्री स्तरीय सम्मेलन में भारत के विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने अनाज की जमाखोरी और वितरण में भेदभाव पर चिंता जताई।
भारतीय विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने कहा कि अनाज की बढ़ती कीमतों के साथ अनाज की पहुंच भी मुश्किल होती जा रही है। ऐसे में कम आय वर्ग वाले लोगों को कीमत के साथ उपलब्धता संकट की दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। पर्याप्त खाद्यान्न भंडार वाले भारत जैसे देश में भी कई बार अनुचित वृद्धि देखी गयी है।
पूरी दुनिया में जमाखोरी की जा रही है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं की कीमतों में हुई अचानक वृद्धि को भारत सरकार भी स्वीकार करती है, जिस कारण भारत के तमाम पड़ोसी देशों व अन्य कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा पर संकट मंडरा रहा है।
उन्होंने पश्चिमी देशों को आगाह किया कि अनाज का मुद्दा कोरोना रोधी टीकों की तरह नहीं हल किया जाना चाहिए। अमीर देशों ने भारी संख्या में कोरोना रोधी टीके खरीद लिए थे, जिस कारण गरीब और कम विकासशील देश अपनी आबादी को कोरोना रोधी टीके की पहली खुराक देने में भी जूझते नजर आए थे।
भारतीय विदेश राज्य मंत्री ने मुसीबत में पड़ोसियों की भरपूर मदद की बात भी कही। उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान में बिगड़ते मानवीय हालात के मद्देनजर भारत ने 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं दान किया है। इसी तरह श्रीलंका को भी मुश्किल दौर में खाद्य सहायता मुहैया कराई गयी है।