इस्लामाबाद। पाकिस्तान अपने प्रॉपेगैंडा से बाज नहीं आ रहा है। पाकिस्तान ने 14 अगस्त को अपने स्वतंत्रता दिवस पर पूर्व हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ से नवाजा है। गिलानी की ओर से हुर्रियत नेताओं ने इवान-ए-सदर में इस सम्मान को लिया।
अलगाववादी नेता गिलानी को कश्मीर में भारत विरोधी बयानों के लिए जाना जाता है। यही वजह है कि पाकिस्तान ने गिलानी को इस सम्मान से नवाजा है। पाकिस्तान ने अपने स्वतंत्रता दिवस को ‘कश्मीर एकजुटता दिवस’ के रूप में मनाया है। गिलानी को यह सम्मान देने का प्रस्ताव पाकिस्तानी सीनेटर मुश्ताक अहमद ने दिया था। इसे सदन ने ध्वनि मत से पास किया था। गिलानी पर टेरर फंडिंग के भी आरोप लगे हैं।
क्या है हुर्रियत कांफ्रेंस?
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस कश्मीर में सक्रिय सभी छोटे-बड़े अलगाववादी संगठनों का मंच है। दरअसल, जम्मू-कश्मीर में 1987 में फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था। नेशनल कॉन्फ्रेंस को 40 और कांग्रेस को 26 सीटें मिलीं। अब्दुल्ला ने सरकार बनाई।
इस चुनाव में विरोधी पार्टियों की मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट को सिर्फ 4 सीटें मिलीं। इसके बाद कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठजोड़ के विरोध में घाटी में 13 जुलाई 1993 को ऑल पार्टीज हुर्रियत कान्फ्रेंस की नींव रखी गई। इसका काम घाटी में अलगाववादी आंदोलन को बढ़ाना था।
2004 में नया गुट बनाया
गिलानी मतभेदों की वजह से 2003 में हुर्रियत से अलग हो गए थे। उन्होंने नया गुट ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (जी) या तहरीक-ए-हुर्रियत बना लिया था। दूसरे गुट ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के मुखिया मीरवाइज उमर फारूक हैं। गिलानी वाले गुट को कट्टरपंथी और मीरवाइज वाले गुट को उदारवादी माना जाता है। हालांकि, गिलानी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (जी) से इस्तीफा दे दिया है।