काठमांडू। चीन समर्थक कम्युनिस्ट पार्टी को सत्ता सौंपना नेपाल के लिए अब भारी पडने लगा है। उसने अपने बडे भाई जैसे भारत से दुश्मनी मोल ले लिया है जिससे वहां की जनता के सामने भारत से मिलने वाले रोजगार और अन्य मदद को खो चुकी है। नेपाल की सियासत के लिहाज से शनिवार अहम साबित हो सकता है। आज प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे पर फैसला हो सकता है।
सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की स्टैडिंग कमेटी के 40 में से 33 नेता ओली के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ओली नाराज नेताओं में से कुछ मनाने उनके घर तक जा रहे हैं। हालांकि, मुख्य विरोधी पुष्प कमल दहल प्रचंड से उन्होंने अपने घर ही तीन घंटे मुलाकात की। एनसीपी की दूसरी विंग के नेताओं से भी प्रचंड ने बातचीत की।
कोविड-19 पर काबू पाने के मामले में ओली पहले ही निशाने पर थे। भारत और चीन के विवाद में जब उन्होंने भारत पर सरकार गिराने की साजिश रचने के आरोप लगाए तो मामला ज्यादा बिगड़ गया। अब उनसे इस्तीफा मांगा जा रहा है।
कुर्सी बचाने की हर कोशिश
एनसीपी के कुछ दूसरी यूनिट नेपाल में प्रभावशाली मानी जाती हैं। काठमांडू पोस्ट अखबार के मुताबिक, ओली ने इन यूनिट के बड़े नेताओं से मुलाकात की और सहयोग मांगा। इनमें से कुछ नेताओं के तो वे ऑफिस या घर तक पहुंच गए। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रचंड से 3 घंटे अपने घर बातचीत की।
आज स्थायी समिति की बैठक
एनसीपी की स्थायी समिति की आज बैठक होगी। इसमें ओली के भाग्य का फैसला हो सकता है। प्रचंड और ओली की तीन घंटे की मुलाकात में क्या बात हुई, यह जानकारी तो नहीं दी गई, लेकिन मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि दोनों नेताओं में विश्वास बहाली को लेकर चर्चा हुई। प्रचंड ने राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी से भी मुलाकात की।
ओली का राह मुश्किल
बुधवार को प्रचंड की अध्यक्षता में पार्टी की स्थाई समिति की बैठक में 44 में से 33 सदस्यों ने ओली के इस्तीफे की मांग की थी। इसके बाद गुरुवार को ओली के इस्तीफे पर सहमति नहीं होने पर समिति की बैठक टाल दी गई थी। अब पार्टी के टूटने का खतरा भी मंडरा रहा है। खास बात ये है कि ओली स्टैंडिंग कमेटी की 7 दिन चली मीटिंग में से सिर्फ 2 में ही शामिल हुए। वे पार्टी नेताओं के सवालों का जवाब देने से बचते रहे।
नई पार्टी बना सकते हैं
ओली के नई पार्टी बनाने की चर्चा है। बताया जा रहा है कि उन्होंने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-यूएमएल के नाम से पार्टी का रजिस्ट्रेशन भी कराया है। संकट के बीच काठमांडू में चीन की राजदूत होउ यानकी को राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने डिनर पर बुलाया किया। नेपाल में सबसे ताकतवर राजदूत के रूप में पहचान बनाने वाली यानकी राजनीतिक संकट सुलझाने में भी सक्रिय हैं। प्रधानमंत्री ओली, पूर्व प्रधानमंत्री व नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड से भी इस दौरान उन्होंने मुलाकात की है।