भेदभावपूर्ण है भारत में टीकाकरण की प्रक्रिया, एक बड़ा तबका छूट रहा है पीछे

नई दिल्ली। देश जब कोरोना की दूसरी लहर से कराह रहा है, तब केवल वैक्सीन ही बचाव का एक मात्र सहारा रह गया है। लेकिन भारत में टीकाकरण की रफ्तार न सिर्फ धीमी है बल्कि भेदभावपूर्ण भी है। वैक्सीन केवल वही लोग लगवा पा रहे हैं जिन्हें थोड़ा बहुत तकनीक का ज्ञान है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वैक्सीन लगवाने के लिए पहले सरकार द्वारा बनाए गए कोविन एप पर रजिस्टर करना होता है। इस एप पर रजिस्टर करना इतना जटिल है कि अक्सर टेक्नोफ्रेंडली लोग भी इसमें उलझ कर रह जाते हैं।

दैनिक अखबार में काम करने वाले पारस सिंह (26वर्ष) बताते हैं कि कोविन एप पर वैक्सीनेशन के लिए रजिस्टर करना आसान नहीं है। तकनीक का कम ज्ञान रखने वालों को इसमें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि जब मैने पंजीकरण किया तो वैक्सीन स्लॉट ढूंढना आसान नहीं था। एप बार-बार लॉग आउट हो जाता है।

हर बार लॉगिन करने के लिए ओटीपी का इंतज़ार करना होता है। कई बार ओटीपी आने में भी समय लगता है। स्लॉट बुकिंग काफी तेज़ी से करना होता है, चंद मिनट में ही स्लॉट बुक हो जाते हैं। कई बार कोशिश करने के बाद मुझे स्लॉट मिला। मेरे मित्र कई दिनों से स्लॉट बुकिंग की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्हें इसमें सफलता अभी तक नहीं मिली।

वैक्सीनेशन केंद्र पर जब आप जाते हैं तो कई ऐसे लोग वहां मिलते हैं जो रजिस्ट्रेशन की जटिल प्रक्रिया के बारे में बताते हैं। वो रजिस्ट्रेशन के लिए मदद मांगते हैं। उन्हें तकनीक का इतना अनुभव नहीं है। कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने अभी-अभी स्मार्ट फोन लिया है, लेकिन वे वॉट्सऐप, यूट्यूब और गूगल पर थोड़ा बहुत सर्च करने से ज्यादा कुछ नहीं जानते। कई लोगों को तो एप डाउनलोड करना तक नहीं आता। ऐसे लोगों के लिए यह प्रक्रिया थोड़ी हाईटेक नज़र आती है।

क्या किया जाना चाहिए?

सरकार को टीकाकरण की व्यवस्था को सभी के लिए सुलभ बनाने पर ज़ोर देना चाहिए। कुछ ऐसे टीकाकरण केंद्र स्थापित किये जाने चाहिए जहां व्यक्ति अपना पहचानपत्र दिखाकर टीका लगवा सके। 45+ आयुवर्ग में कई राज्यों में यह व्यवस्था की गई है। कोई भी व्यक्ति अपना पहचान पत्र दिखाकर टीका लगवा सकता है। यही व्यवस्था 18+ वाले आयुवर्ग में भी होनी चाहिए।

अगर सरकार कोविन प्लैटफॉर्म के ही ज़रिए वैक्सीन प्रोग्राम चलाना चाहती है तो, हर मोहल्ले में एक सहायता केंद्र खोला जाना चाहिए, जहां आसानी से लोग पंजीकरण करवा सकें और टीकाकरण को लेकर जो उनके दिमाग में शंकाएं हैं उनका हल हो सके।

लोगों में वैक्सीनेशन को लेकर अभी भी डर है। उनके मन में कई भ्रांतियां हैं, जिसके कारण वे टीका लगवाने से डर रहे हैं। हाल ही में मैने अपने घर काम करने वाली आंटी से पूछा की क्या आपने वैक्सीन लगवाई? तो उन्होने कहा कि उनका जब राशन आयेगा तब वैक्सीन लगेगी। यह जवाब सुनकर मुझे हैरानी हुई की उन्हें यह जानकारी किसने दी। ऐसी तो जानकारी सरकार की ओर से अभी तक नहीं आई है।

दूसरा उन्होने मुझसे पूछा की क्या जिनको कुछ बीमारियां हैं वो वैक्सीन लगवा सकते हैं? उनके लगातार सिर में दर्द रहता है। जिसके चलते भी वो वैक्सीन लगवाने से डर रही हैं। लेकिन उनके इन सवालों का जवाब देने वाला कोई नहीं है। ऐसे और भी कई लोग हैं जिनके मन में वैक्सीन को लेकर तरह तरह के सवाल हैं।

इसको लेकर सरकार को जागरुकता अभियान चलाने की ज़रुरत है। वरना वैक्सीनेशन का फायदा केवल देश के पढ़े-लिखे या तकनीक तक पहुंच रखने वाले लोगों तक सीमित रह जाएगा। यह किसी भेदभाव से कम नहीं है, क्योंकि वैक्सीन हर व्यक्ति को समान रुप से मिलनी चाहिए।

वैक्सीन को लेकर केंद्र सरकार की नीति ने दिया भेदभाव को जन्म

वैक्सीन को लेकर केंद्र सरकार की नीति में भी स्पष्टता नहीं दिखाई देती। नई नीति के अनुसार देश में वैक्सीन निर्माण कर रही कंपनियां 50 फीसदी वैक्सीन केंद्र सरकार को देंगी और बाकि 50 फीसदी राज्य सरकारों और प्राईवेट अस्पतालों को। यहां पर प्राईवेट अस्पतालों और राज्य को मिलने वाली वैक्सीन का दाम केंद्र को मिलने वाली वैक्सीन से अधिक है। जबकि भारत में अब तक वैक्सीनेशन कार्यक्रम सभी के लिए मुफ्त रहा है। यह सरकार की ज़िम्मेदारी रही है कि वह हर व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के मुफ्त में वैक्सीन उपलब्ध करवाए।

वैक्सीनेशन केंद्रों पर भीड़ कम करने पर किया जाना चाहिए विचार

एक न्यूज़ चैनल में कार्यरत कविशा मनवानी अपना वैक्सीनेशन का अनुभव साझा करते हुए कहती हैं कि वैक्सीनेशन केंद्रों पर भीड़ कम करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। स्लॉट्स 3 घंटे की जगह आधे-आधे घंटे के होना चाहिए, जिसमें सीमित लोगों को टोकन दिए जाएं और हर स्लॉट समय पर शुरु हो और खत्म हो, ताकि लोगों को इंतज़ार न करना पड़े।

केंद्रों पर भीड़ और लंबा इंतज़ार कोरोना को फैलने में मदद करेगा। कविशा कहती हैं कि 18 से अधिक उम्र के लोगों का वर्ग बहुत बड़ा है। इसे छोटे वर्गों में विभाजित कर वैक्सीनेशन करना चाहिए। इससे हर आयु वर्ग के आंकड़ों पर ध्यान दिया जा सकेगा।

हालांकि दिल्ली समेत कई राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार से गुज़ारिश की थी कि वैक्सीनेशन सभी के लिए खोल दिया जाना चाहिए। जिसके बाद सरकार ने 18 से अधिक उम्र के लोगों के लिए 1 मई से टीकाकरण की प्रक्रिया को शुरु कर दिया था। देश में फिल्हाल वैक्सीन की कमी की वजह से कई केंद्र बंद हो चुके हैं। जब तक राज्य सरकारों के पास पर्याप्त मात्रा में टीके उपलब्ध नहीं होंगे तब तक टीके को लेकर मारा-मारी जारी रहेगी और इसमें देश के एक बड़े तबके को वैक्सीन के लिए लंबा इंतज़ार करना होगा।

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