मन की बात : मोदी बोले- पाकिस्तान द्धारा भारत की पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश का परिणाम था करगिल युद्ध

नइ दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मासिक रेडियो कार्यक्रम -मन की बात- के दौरान कारगिल विजय दिवस पर चर्चा करते हुए कहा कि कारगिल का युद्ध जिन परिस्थितियों में हुआ था, वो भारत कभी नहीं भूल सकता। प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने बड़े-बड़े मंसूबे पालकर भारत की भूमि हथियाने और अपने यहां चल रहे आंतरिक कलह से ध्यान भटकाने को लेकर दुस्साहस किया था। भारत तब पाकिस्तान से अच्छे संबंधों के लिए प्रयासरत था लेकिन, कहा जाता है न दुष्ट का स्वभाव ही होता है, हर किसी से बिना वजह दुश्मनी करना।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऐसे स्वभाव के लोग, जो हित करता है, उसका भी नुकसान ही सोचते हैं, इसीलिए भारत की मित्रता के जवाब में पाकिस्तान द्वारा पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश हुई थी,लेकिन, उसके बावजूद भारत की वीर सेना ने जो पराक्रम दिखाया, भारत ने अपनी जो ताकत दिखाई, उसे पूरी दुनिया ने देखा।

उन्होंने कहा कि आज 26 जुलाई है। आज का दिन बहुत खास है। आज कारगिल विजय दिवस है। 21 साल पहले आज के ही दिन कारगिल के युद्ध में हमारी सेना ने भारत की जीत का झंडा फहराया था।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आप कल्पना कर सकते हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि ऊचें पहाडों पर बैठा हुआ दुश्मन और नीचे से लड़ रही हमारी सेना, हमारे वीर जवान लेकिन जीत पहाड़ की ऊंचाई की नहीं,भारत की सेनाओं के ऊंचे हौंसले और सच्ची वीरता की हुई। उस समय, मुझे भी कारगिल जाने और हमारे जवानों की वीरता के दर्शन का सौभाग्य मिला, वो दिन, मेरे जीवन के सबसे अनमोल क्षणों में से एक है।

प्रधानमंत्री मोदी ने देश के नौजवानों से आग्रह करते हुए कहा कि आज दिन-भर कारगिल विजय से जुड़े हमारे जाबाजों की कहानियां, वीर-माताओं के त्याग के बारे में, एक-दूसरे को बताएं और साझा करें। गैलेंट्री अवार्ड वेबसाइट पर विजिट करें, जहां वीर पराक्रमी योद्धाओं और उनके पराक्रम के बारे में बहुत सारी जानकारियां प्राप्त होंगीं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कारगिल युद्ध के समय अटल जी ने लालकिले से जो कहा था, वो, आज भी हम सभी के लिए बहुत प्रासंगिक है। अटल जी ने, तब, देश को, गांधी जी के एक मंत्र की याद दिलाई थी। महात्मा गांधी का मंत्र था, कि, यद किसी को कभी कोई दुविधा हो, कि, उसे क्या करना, क्या न करना, तो, उसे भारत के सबसे गरीब और असहाय व्यक्ति के बारे में सोचना चाहिए। उसे ये सोचना चाहिए कि जो वो करे जा रहा है, उससे, उस व्यक्ति की भलाई होगी या नहीं होगी।

गांधी जी के इस विचार से आगे बढ़कर अटल जी ने कहा था, कि, कारगिल युद्ध ने, हमें एक दूसरा मंत्र दिया है-ये मंत्र था, कि, कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले, हम ये सोचें, कि, क्या हमारा ये कदम, उस सैनिक के सम्मान के अनुरूप है जिसने उन दुर्गम पहाड़ियों में अपने प्राणों की आहुति दी थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, युद्ध की परिस्थिति में, हम जो बात कहते हैं, करते हैं, उसका सीमा पर डटे सैनिक के मनोबल पर उसके परिवार के मनोबल पर बहुत गहरा असर पड़ता है। इसलिए हमारा आचार, व्यवहार, वाणी, बयान, हमारे लक्ष्य, सभी, कसौटी में ये जरूर रहना चाहिए कि हम जो कर रहे हैं, कह रहे हैं, उससे सैनिकों का मनोबल बढ़े, उनका सम्मान बढ़े। राष्ट्र सर्वोपरि का मंत्र लिए, एकता के सूत्र में बंधे देशवासी, हमारे सैनिकों की ताकत को कई हजार गुणा बढ़ा देते हैं। हमारे यहां तो कहा गया है न संघे शक्ति कलयुगे।

कोरोना काल में ग्रामीणों ने दिखाई दिशा
एक तरफ हमें कोरोना के खिलाफ लड़ाई को पूरी सजगता और सतर्कता के साथ लड़ना है तो दूसरी ओर कठोर मेहनत से व्यवसाय, नौकरी, पढ़ाई जो भी कर्तव्य हम निभाते हैं, उसमें गति लानी है, उसको नई ऊंचाई पर ले जाना है। साथियों कोरोना काल में तो हमारे ग्रामीण क्षेत्रों ने पूरे देश को दिशा दिखाई है। गांवो से स्थानीय नागरिकों और ग्राम पंचायतों के अनेक अच्छे प्रयास लगातार सामने आ रहे हैं। कोरोना अभी भी उतना ही घातक है जितना पहले था।

अलग परिस्थितियों में होगा इस बार 15 अगस्त
इस बार 15 अगस्त भी अलग परिस्थितियों में होगा। कोरोना महामारी की आपदा के बीच होगा। हमारा देश आज जिस ऊंचाई पर है, वो कई ऐसी महान विभूतियों की तपस्या की वजह से है, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया, उन्हीं महान विभूतियों में से एक हैं ‘लोकमान्य तिलक’। अगली बार जब हम मिलेंगें तो, फिर ढ़ेर सारी बातें करेंगे, मिलकर कुछ नया सीखेंगे और सबके साथ साझा करेंगें।

देश का एक बड़ा हिस्सा बाढ़ से जूझ रहा है
इस समय बारिश का मौसम भी है। पिछली बार भी मैंने आप से कहा था कि बरसात में गंदगी और उनसे होने वाली बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, अस्पतालों में भीड़ भी बढ़ जाती है। इसलिए सभी साफ-सफाई पर बहुत ज्यादा ध्यान दें। इस समय देश का एक बड़ा हिस्सा बाढ़ से जूझ रहा है। बिहार, असम जैसे राज्यों के कई क्षेत्रों में तो बाढ़ ने काफी मुश्किलें पैदा की हुई हैं, ऐसे में हर तरह से, राहत और बचाव के काम किए जा रहे हैं।

हमारा देश बदल रहा है
साथियों विशेषकर मेरे युवा साथियों, हमारा देश बदल रहा है। कैसे बदल रहा है? कितनी तेजी से बदल रहा है? कैसे-कैसे क्षेत्रों में बदल रहा है? एक सकारात्मक सोच के साथ अगर निगाह डालें तो हम खुद अचंभित रह जाएंगे। कुछ ऐसा ही हाल ही में आए बोर्ड एग्जाम के रिजल्ट में भी दिखता है। आज ‘मन की बात’ में हम कुछ ऐसे ही प्रतिभाशाली बेटे-बेटियों से बात करते हैं। ऐसी ही हरियाणा, पानीपत की एक प्रतिभाशाली बेटी है कृतिका नांदल।

भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कर रहे हैं हटकर काम
छोटे-छोटे स्थानीय उत्पादों से कैसे बड़ी सफलता मिलती है, इसका एक उदहारण झारखंड से भी मिलता है। मैं देश के दो इलाकों के बारे में भी बात करना चाहता हूं, दोनों एक-दूसरे से सैकड़ों किलोमीटर दूर हैं और अपने-अपने तरीके से भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुछ हटकर के काम कर रहे हैं।

एक है लद्दाख और दूसरा है कच्छ। लद्दाख में एक विशिष्ट फल होता है जिसका नाम चूली या एप्रिकोट यानी खुबानी। दूसरी ओर कच्छ में किसान ड्रैगन फ्रूट्स की खेती के लिए सराहनीय प्रयास कर रहे हैं। आज कई किसान इस कार्य में जुटे हैं। फल की गुणवत्ता और कम जमीन में ज्यादा उत्पाद को लेकर काफी इनोवेशन किए जा रहे हैं।

देश के युवा टैलेंट और स्किल के दम पर कर रहे हैं नए प्रयोग
सकारात्मक अप्रोच से हमेशा आपदा को अवसर में विपत्ति को विकास में बदलने में मदद मिलती है। हम कोरोना के समय भी देख रहे हैं कि कैसे देश के युवाओं-महिलाओं ने टैलेंट और स्किल के दम पर कुछ नए प्रयोग शुरू किए हैं। बंबू से आप अगर इनकी क्वालिटी देखेंगे तो भरोसा नहीं होगा कि बांस की बोतलें भी इतनी शानदार हो सकती हैं और फिर ये बोतलें इको-फ्रेंडली भी हैं।

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