नई दिल्ली, एजेंसी। किसी महिला की ‘पवित्रता’ के खिलाफ झूठे आरोप लगाने से बड़ी कोई क्रूरता नहीं हो सकती है, ये बात दिल्ली हाई कोर्ट ने कही। इसके साथ ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को क्रूरता और परित्याग के आधार पर दाखिल एक याचिका पर मुहर लगा दी। महिला को तलाक का आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा कि दंपति पिछले 27 वर्ष से अलग रह रहा है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि मानसिक क्रूरता शब्द इतना व्यापक है कि वह अपने दायरे में वित्तीय अस्थिरता को ले सकता है, इसे पत्नी के प्रति मानसिक क्रूरता का निरंतर स्रोत कहा जा सकता है। इससे पता चलता है कि ‘मानसिक क्रूरता’ को किसी भी सीधे पैरामीटर में परिभाषित नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए पति-पत्नी की परिस्थितियों और स्थिति पर विचार करना होगा।