मुसाफिर हूं यारों: सिस्सू हिल स्टेशन जहां बारिश में भी साफ रहता है मौसम

हिमाचल में मनाली से करीब 40 किमी दूर सिस्सू एक ऐसा हिल स्टेशन और पर्यटक स्थल है, जो आजकल काफी प्रसिद्ध होने लगा है। जब अटल टनल नहीं बनी थी, तो मनाली से सिस्सू का रास्ता रोहतांग पास से होकर जाता था, जो साल में 6 महीने बंद रहता था। लेकिन जब से टनल बनी है, तब से सिस्सू जाना आसान हो गया है और यहां पूरे साल भर जाया जा सकता है। सिस्सू की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 3,000 मीटर है, जो मनाली से भी काफी ज्यादा है। इस वजह से यहां सालभर ठंडा मौसम रहता है और सर्दियों में खूब बर्फ पड़ती है। कई बार तो इतनी बर्फ पड़ जाती है कि टनल होने के बावजूद भी सिस्सू जाने का रास्ता बंद हो जाता है।

सिस्सू लाहौल-स्पीति जिले के लाहौल क्षेत्र में आता है। यहां से चंद्रा नदी बहती है, जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। यहां ऊंचे-ऊंचे पहाड़, उन पर लटके विशाल ग्लेशियर, अनगिनत झरने और जंगल आपका मन मोह लेंगे। बाकी हिमालयी हिल स्टेशनों के मुकाबले यहां का मौसम साफ रहता है और बारिश उतनी नहीं होती, तो किसी भी मौसम में इन नजारों को आप जी-भरकर निहार सकते हैं।

सिस्सू एक छोटा-सा गांव है। यहां ग्रामीण चहल-पहल दिखाई देती है। गर्मियां आने पर जब बर्फ पिघल जाती है, तो लोग अपने खेतों में आलू, मटर, गोभी बो देते हैं और अगस्त-सितंबर तक इनकी कटाई होने लगती है। फलों में सेब, आडू, खुबानी आदि खूब होते हैं। आप इन खेतों में चहल-कदमी कर सकते हैं और ग्रामीण जनजीवन को देख-समझ सकते हैं।

सिस्सू हेलीपैड के पास एक मानवनिर्मित झील है, जिसे सिस्सू लेक कहते हैं। सर्दियों में यह झील जम जाती है और गर्मियों में आप इसमें बोटिंग का आनंद ले सकते हैं। यहीं से चंद्रा नदी पार करके सिस्सू वॉटरफॉल तक लगभग एक किमी का ट्रैक भी किया जा सकता है। यह काफी ऊंचा वॉटरफॉल है और काफी दूर से दिख जाता है। यहां जाने का ट्रैक खेतों के बीच से होकर गुजरता है। वॉटरफॉल के नजदीक पहुंचने पर वॉटरफॉल का आनंद तो लिया ही जाता है, साथ ही यहां से पूरी सिस्सू वैली, गांव, चंद्रा नदी और दूर तक के पहाड़ों का भी विहंगम दृश्य देखा जा सकता है।

राजा घेपन सिस्सू के आराध्य देव राजा घेपन हैं। यहां राजा घेपन का मंदिर भी बना है। सिस्सू गांव के पीछे 5800 मीटर ऊंची एक चोटी है, जिसका नाम घेपन पीक है। यह सिस्सू समेत पूरे लाहौल के आराध्य देवता हैं। यहीं से 10 किमी की कठिन पदयात्रा करके घेपन लेक तक भी जाया जा सकता है। स्थानीय लोग अगस्त-सितंबर में बड़े श्रद्धाभाव से घेपन लेक की यात्रा करते हैं। भादों बीस को यहां मेला लगता है और हजारों श्रद्धालु जाते हैं। लाहौल एक अत्यधिक दुर्गम और कठोर स्थान है। राजा घेपन यहां के रक्षक देवता हैं।

कैसे पहुंचें? दिल्ली और चंडीगढ़ से मनाली के लिए अच्छी सड़क बनी है। नजदीकी हवाई अड्डा भुंतर है, जो मनाली से लगभग 50 किमी दूर है। आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट से, टैक्सी से या अपने वाहन से आसानी से मनाली पहुंच सकते हैं। मनाली से सिस्सू 40 किमी दूर है।

कहां ठहरें? सिस्सू में ठहरने के विकल्पों की कोई कमी नहीं है। यहां आपको होटल, होमस्टे और कैंप मिल जाएंगे। सिस्सू के आसपास के गांवों में भी ठहरा जा सकता है। बहुत सारे लोग मनाली में ठहरते हैं और दिन में सिस्सू घूमकर मनाली लौट जाते हैं।

कब जाएं? सिस्सू जाने का सर्वोत्तम समय सितंबर-अक्टूबर है। सितंबर के बाद यहां सर्दी बढ़ने लगती है और पेड़ों के पत्ते लाल-पीले होने लगते हैं। अक्टूबर में लाल-पीले पेड़ों से घिरा सिस्सू ऐसा हो जाता है, जैसे कोई यूरोपीय स्थल हो। नवंबर से अप्रैल तक यहां अत्यधिक ठंड रहती है और खूब बर्फ पड़ती है। हालांकि अटल टनल के रास्ते सर्दियों में भी सिस्सू जाया जा सकता है।

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