नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मोबाइल फोन उत्पादन में भारत को दुनिया का शीर्ष देश बनाने के साथ ही इलेक्ट्रानिक उत्पादों और उसके कलपुर्जों के उत्पादन को गति देने के उद्देश्य से लगभग 50 हजार करोड़ रुपए की लागत से तीन नई योजनाएं शुरू करने की घोषणा की। मंगलवार को इलेक्ट्रानिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह घोषणा करते हुए कहा कि मेक इन इंडिया किसी दूसरे देश को पीछे छोडऩे के लिए नहीं बल्कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए है।
–
उन्होंने कहा कि इसी के तहत इलेक्ट्रानिक्स उत्पादों के विनिर्माण को पिछले 6 वर्षों में गति मिली है और अभी भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक देश बन चुका है। देश को अगले कुछ वर्षों में दुनिया का शीर्ष देश बनाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रसाद ने कहा कि इलेक्ट्रानिक्स उत्पादों के विनिर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करने और इसके लिए देश में 5 वैश्विक और 5 राष्ट्रीय स्तर की कंपनियों का निर्माण करने के लिए करीब 50 हजार करोड़ रुपये की तीन नई योजनाएं जिसमें उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई), इलेक्ट्रानिक कंपोनेंट एंड सेमीकंडक्टर्स (एसपीईसीएस) और मोडिफाइड इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण क्लस्टर स्कीम 2.0 (ईएमसी 2.0) शामिल है।
पीएलआई स्कीम भारत में विनिर्मित एवं टारगेट सेगमेंटों के तहत कवर्ड वस्तुओं की संवृद्धि बिक्री (आधार वर्ष पर) पर पात्र कंपनियों को आधार वर्ष के बाद के 5 वर्षों की अवधि के लिए 4 प्रतिशत से 6 प्रतिशत का प्रोत्साहन प्रदान करेगी। एसपीईसीएस इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं अर्थात इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट, सेमीकंडक्टर/डिस्प्ले फैब्रीकेशन इकाइयों, असेंबली, टेस्ट, मार्किंग एवं पैकेजिंग (एटीएमपी) इकाइयों स्पेशलाइज्ड सब-असेंबलीज एवं उपरोक्त वस्तुओं के निर्माण के लिए पूंजीगत वस्तुओं की चिन्हित सूची के लिए पूंजीगत व्यय पर 25 प्रतिशत का वित्तीय प्रोत्साहन उपलब्ध कराएगी।
ईएमसी प्रमुख वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माताओं को उनकी आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ साथ आकर्षित करने के लिए 2.0 रेडी बिल्ट फैक्टरी (आरबीएफ) शेड्स/ प्लग एंड प्ले सुविधाओं सहित सामान्य फैसिलिटीज एवं सुविधाओं के साथ साथ विश्व स्तरीय अवसंरचना के सृजन के लिए सहायता उपलब्ध कराएगी।
तीनों योजनाएं एक साथ मिल कर बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, कंपोनेंट्स की घरेलू आपूर्ति श्रृंखला तथा अत्याधुनिक अवसंरचना तथा बड़ी एंकर इकाइयों तथा उनकी आपूर्ति श्रृंखला साझीदारों के लिए सामान्य सुविधाओं में सक्षम बनाएंगी। ये योजनाएं 1 ट्रिलियन डालर डिजिटल अर्थव्यवस्था तथा 2025 तक 5 ट्रिलियन डालर जीडीपी अर्जित करने में उल्लेखनीय रूप से योगदान देंगी।
इन तीनों नई येाजनाओं से उल्लेखनीय निवेश आकर्षित होने, मोबाइल फोनों के उत्पादन में बढोत्तरी होने और उनके पार्ट्स के 2025 तक लगभग 10,00,000 करोड़ रूपये के होने और लगभग 5 लाख प्रत्यक्ष और 15 लाख अप्रत्यक्ष रोजगारों के सृजित होने की उम्मीद है।