मेरठ। कोरोना आपदा के कारण लागू लाॅकडाउन के बीच मेरठ से भी कामगारों का संकट गहराने लगा है। प्रशासन के फैसले से मेरठ में भले ही काफी उद्योगों के चलने का रास्ता साफ हो गया है लेकिन श्रमिकों की कमी के कारण अब उद्यमियों के सामने कारखाने चलाने की समस्या खड़ी हो गई है। उद्यमी इसके लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। मेरठ जनपद में लगभग दस हजार औद्योगिक इकाइयां है।
मेरठ में साईंपुरम, स्पोट्र्स गुड्स काम्प्लेक्स, मोहकमपुर फेज एक और दो, ध्यानचंद नगर, रिठानी, वेदव्यासपुरी, परतापुर औद्योगिक आस्थान, उद्योगपुरम, यूपीएसआईडीसी औद्योगिक क्षेत्र, कुंडा रोड, शताब्दी नगर, गगोल रोड, बागपत रोड, लोहिया नगर, विश्वकर्मा औद्योगिक क्षेत्र, कंकरखेड़ा आदि क्षेत्रों में उद्योग-धंधे लगे हुए हैं। इसके अलावा लाखों लघु उद्योग रिहायशी क्षेत्रों में संचालित हो रहे हैं। इन उद्योग-धंधों में लाखों कामगार काम करते हैं। बड़ी संख्या कामगार दूसरे राज्यों से आए हुए हैं। कोरोना के कारण लागू लाॅकडाउन के कारण उद्योग बंद होने से कामगार पलायन कर रहे हैं। ऊपर से सरकार और प्रशासन उद्योग चलाने की बात कह रहा है। कामगारों की कमी के चलते उद्यमियों के सामने संकट खड़ा हो गया है।
खेल उद्यमी विनित डावर का कहना है कि एक ओर तो सरकार उद्योगों को खोलने की बात कह रही है, दूसरी ओर कामगारों को उनके घर भेजने की व्यवस्था की जा रही है। ऐसी स्थिति में उद्योगों को चलाना टेढ़ी खीर साबित होगा। एक बार अपने घर जाने के बाद कामगार छह महीने से पहले वापस नहीं लौटेंगे।
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के वरिष्ठ प्रांतीय महामंत्री लोकेश अग्रवाल का कहना है कि कामगारों को वापस भेजने से उद्योगों के चलने की उम्मीद भी खत्म हो जाएगी। कामगारों को वापस भेजने से उद्योग ठप हो जाएंगे। सरकार को उन्हें रोककर उद्योग चलवाने चाहिए। सरकार को कामगारों के खाने-पीने व इलाज की व्यवस्था करनी चाहिए। उद्यमी करुणेश नंदन गर्ग का कहना है कि उद्योगों के लिए सरकार को एक नीति बनानी होगी। टर्म लोन पर दो फीसदी सब्सिडी दी जानी चाहिए। कर्मचारियों को पूरा वेतन देने की बजाय गुजारा भत्ता देने की छूट मिलनी चाहिए।
कामगारों ने बनाया संगठन
मेरठ के उद्योगों में काम करने वाले कामगार बड़ी तेजी से अपने गांव-घर लौट रहे हैं। मेरठ में रह रहे कामगारों ने वाट्सअप के जरिए अपना संगठन भी बना लिया है। इसके जरिए वह अपने गांव-घर जाने की संभावनाओं को तलाश रहे हैं। मेरठ के सर्राफा बाजार में काम करने वाले बंगाली समुदाय के लोगों ने भी एक संगठन बनाया है। इसी तरह से बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के लोगों का भी अपना संगठन है।
उत्तर प्रदेश चेंबर ऑफ काॅमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष रविप्रकाश अग्रवाल ने जिला प्रशासन से किला रोड, गढ़ रोड, मवाना रोड, सरधना रोड पर स्थित उद्योगों को भी चालू कराने की मांग की है। केवल दिल्ली रोड के उद्योग चलने से अन्य क्षेत्र के उद्योगपति व कामगारों को निराशा हाथ लगेगी।
अब तक हजारों को पहुंचाया गया घर
तीन ट्रेन व 264 बसों के द्वारा जिला प्रशासन ने मेरठ के कामगारों, छात्रों को उनके घरों पर पहुंचाया है। जिलाधिकारी अनिल ढींगरा ने बताया कि पांच मई से कामगारों को उनके घरों पर पहुंचाने का काम किया जा रहा है। इनमें जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ यूपी के कुशीनगर, गोरखपुर, श्रावस्ती, सुल्तानपुर, सिद्धार्थनगर, भदोही, महराजगंज, आजमगढ़, सीतापुर, हरदोई, गाजीपुर आदि जिलों के कामगार व छात्र शामिल है। 264 बसों के जरिए अब तक 7237 कामगारों को भेजा गया, जबकि तीन ट्रेनों में 3241 कामगारों व छात्रों को उनके घर भेजा गया है।