मोल भाव: UP में छोटे दलों के तेवर से परेशान BJP, राजभर ने नड्डा से नहीं की बात

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) को छोटे दलों ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। चुनाव से ठीक पहले जातीय समीकरण साधने में जुटी भाजपा को निषाद पार्टी और अपना दल पहले ही अपनी मंशा बता चुके हैं। दोनों पार्टियां अपने लिए केंद्र में मंत्री पद की मांग कर चुकी हैं। अब सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने भी भाजपा को अपने तेवर दिखाए हैं। बताया जा रहा है कि BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को मनाने में जुटे हुए हैं।

नड्‌डा ने राजभर को फोन कर बात करने की कोशिश की। लेकिन राजभर ने बातचीत करने से इंकार कर दिया। सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि बीजेपी को साफ संदेश दे दिया गया है कि बहुत धोखा खा चुके, अब आश्वासन नहीं रिजल्ट चाहिए।

दरअसल, दिल्ली में चल रही सियासी उठापटक के बीच जेपी नड्डा ने शुक्रवार को ओम प्रकाश राजभर से बात करने कि कोशिश की थी। लेकिन राजभर ने बात करने की बजाय फोन अपने पीए को पकड़ा दिया। सूत्रों के अनुसार नड्डा चाहते थे कि राजभर दिल्ली आएं और उनसे बैठकर बातचीत की जाए। लेकिन पार्टी ने उनको दो टूक जवाब दे दिया कि यह बातचीत का समय नहीं बल्कि हमारी मांगों पर कुछ करने का समय है।

सूत्रों के मुताबिक, नड्डा के अलावा पीएम मोदी के करीबी और वर्तमान MLC अरविंद कुमार शर्मा भी ओम प्रकाश राजभर से बात कर BJP के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऑफर दे चुके हैं। लेकिन ओम प्रकाश राजभर ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

टाइम फ्रेम में मांगे पूरी होंगी तभी साथ जाएंगे

सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने कहा- पार्टी ने अपना मैसेज दे दिया है। 2017 से 2019 के बीच बहुत धोखा खा चुके हैं। अब और नहीं। पार्टी को आश्वासन नहीं रिजल्ट चाहिए। हमारी डिमांड पूरी हो जाएगी तो हमें बीजेपी के साथ जाने में कोई आपत्ति नहीं है। बीजेपी की तरफ से मंत्री बनाने के ऑफर भी दिए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि साथ आइए रिपोर्ट भी लागू कर दिया जाएगा। लेकिन भाजपा को एक डेट फिक्स करनी होगी की इस दिन से सरकार रिपोर्ट लागू कर देगी।

अरुण ने कहा की पार्टी ने कहा है की यूपी सरकार की सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट और केंद्र कि रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट को लागू किया जाए। सिर्फ बातों में नहीं, एक टाइम फ्रेम में इसको पूरा होने पर हम बीजेपी के साथ जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि हम बातचीत क्यों करें। अब तक तो बीजेपी की तरफ से हमें धोखा ही मिला है। चुनाव आते ही उनको सुभासपा कि याद सताने लगी है। क्योंकि, उनको भी पता है की पूर्वांचल की लगभग 100 सीटों पर उनको नुकसान उठाना पड़ सकता है। पंचायत चुनाव में बीजेपी का जो हाल हुआ है उसके बाद इनके पास कोई ऑप्शन नहीं बचा है।

आंतरिक सर्वे से डर गई है BJP

सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में कुछ दिनों से जो सियासी उठापटक चल रही है उसके पीछे बीजेपी की ओर से कराया गया आंतरिक सर्वे है। बीजेपी और RSS की तरफ से कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई है की बीजेपी इस बार 100 से कम सीटों पर सिमट सकती है। इसके बाद ही संघ और बीजेपी के नेताओं कि सक्रियता अचानक बढ़ गईं है। इस रिपोर्ट के आने के बाद बीजेपी को यह आभास हो गया है कि बिना रीजनल पार्टियों के सहयोग से मिशन 2022 को पूरा करना काफी कठिन है।

पूर्वाचल में बीजेपी का नुकसान कर सकते हैं छोटे दल

अगले विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी पूर्वाचल के छोटे दलों की तरफ नजर गड़ाए हुए हैं। छोटे दलों की अहमियत को देखते हुए बीजेपी ने इन पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। निषाद पार्टी हो या अपना दल भी बीजेपी की मजबूरी को भांपते हुए बारगेनिंग करने में जुटे हुए हैं। पूर्वांचल में ये छोटे दल यदि बीजेपी के साथ नहीं आए तो 100 से 125 सीटों पर उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है।

वर्ष 2017 के चुनाव में गठबंधन में मिली थी आठ सीटें, 4 पर जीते

राजभर समाज में ओम प्रकाश राजभर की पकड़ को देखते हुए ही भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग की मुहिम के तहत 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें अपने से जोड़ा था। तब उन्हें आठ सीटें दी गईं थीं, जिसमें से चार स्थानों पर सुभासपा विजयी रही। ओम प्रकाश राजभर जहूराबाद विधानसभा से जीते तो उनके तीन विधायक रामानंद बौद्ध रामकोला, त्रिवेणी राम जखनिया और कैलाश नाथ सोनकर अजगरा से जीते थे।

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