नई दिल्ली। दिल्ली में भाजपा सरकार के गठन के बाद फिर से सतह पर आए यमुना नदी के प्रदूषण की चर्चा के बीच केंद्र सरकार भी इसकी सफाई की नई कोशिश में जुट गई है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय यमुना को साफ-स्वच्छ बनाने के लिए एक नए कार्यक्रम की रूपरेखा बना रहा है।
मंत्रालय के अफसरों ने गुजरात में साबरमती रिवर फ्रंट के विकास में भूमिका निभाने वाले विशेषज्ञों से परामर्श किया है और उनसे इसी तरह का प्रस्ताव यमुना के लिए भी देने के लिए कहा गया है। अब तक कई दौर की बात हो चुकी है।
यमुना पर होगी महत्वपूर्ण बैठक
मार्च के अंतिम सप्ताह में यमुना को स्वच्छ बनाने के लिए नई योजना पर सभी संबंधित पक्षों के साथ महत्वपूर्ण बैठक होने की संभावना है। इसी में मास्टर प्लान के लक्ष्य तय किए जाएंगे। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार मास्टर प्लान की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंजूरी मिलने के बाद की जाएगी।
मंत्रालय अपना प्रस्ताव पीएमओ को भेजेगा और वहां से हरी झंडी मिलने के बाद इसका एलान किया जा सकता है। अधिकारी ने कहा कि यमुना को एक निश्चित समय सीमा में साफ किया जा सकता है, खासकर उसके दिल्ली वाले हिस्से पर सबसे अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके लिए मिशन मोड पर प्लान पर अमल करना होगा।
विधानसभा चुनाव उठा यमुना सफाई का मुद्दा
यमुना की सफाई को भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाया था और प्रभावशाली जीत हासिल करने के बाद तत्काल इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया गया है। यमुना की सफाई के लिए कार्यक्रम मुख्य रूप से दो-तीन बिंदुओं पर केंद्रित होगा। कचरे और गाद की सफाई, सीवेज ट्रीटमेंट प्लान की कड़ी निगरानी, नालों की सफाई और ट्रीटमेंट के ढांचे का विस्तार तथा रिवरफ्रंट का निर्माण।
यमुना की सफाई में आ रही दो चुनौतियां
जल संसाधन से संबंधित संसद की स्थायी समिति की हाल में हुई बैठक में मंत्रालय की सचिव की ओर से यमुना की सफाई के लिए मुख्य रूप से दो चुनौतियां गिनाई गई थीं।ट्रीटमेंट प्लांट का अपर्याप्त ढांचा और अक्रिय एसटीपी। क्या यमुना के लिए भी एनआरआई और कॉरपोरेट समूहों की ओर से सहायता हासिल करने के लिए उसी तरह का फंड बनाया जा सकता है, जैसा गंगा की सफाई के लिए बनाया गया है, इस सवाल पर मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि अभी इसका कोई प्रस्ताव नहीं है, लेकिन जब पूरा मास्टर प्लान बनेगा तब इस पर भी चर्चा हो सकती है।