नई दिल्ली। ई-कॉमर्स किसी व्यवसायिक संगठन का अपने ग्राहकों और आपूर्तिकर्त्ताओं के साथ टेक्नोलॉजी आधारित लेनदेन है। इसे सरल भाषा में कहें तो ई-कॉमर्स का अर्थ है इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों के जरिए व्यवसाय को संचालित करना। ई-कॉमर्स से समय या दूरी की बाधाओं के बगैर कारोबार करने का अवसर मिलता है। इससे कारोबार की लागत न्यूनतम होती है। बिजनेस चलाने का यह सबसे सस्ता मार्ग है। इससे डिलीवरी समय, श्रम तथा अन्य अप्रत्यक्ष लागतों में कमी होती है।
अप्रैल 2015 में वैश्विक सलाहकार सेवा संगठन एटी कियर्नी ने ई-कॉमर्स का वैश्विक परिदृश्य बताने वाली जो सूची प्रकाशित की, उसमें कहा गया है कि गत वर्ष भारत में 3.8 अरब डॉलर का ई-कॉमर्स हुआ है। चाहे अभी ई-कॉमर्स की दृष्टि से भारत विकसित देशों की तुलना में पीछे है, लेकिन भारत में ई-कॉमर्स बढ़ाने के रणनीतिक प्रयासों से ई-कॉमर्स के ऊंचाई पर पहुंचने की व्यापक संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की नई रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2020 तक देश का संगठित रिटेल सेक्टर सात गुना बढ़ते हुए तथा ई-रिटेल सेक्टर 26 गुना बढ़ते हुए दिखाई दे सकता है। भारत का ई-कॉमर्स बाजार 2020 तक 100 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच जाएगा।
24 घंटे व्यवसाय…
किसी पारंपरिक 9 बजे से 5 बजे तक काम करने वाली कंपनी के विपरीत ई-कॉमर्स साइट 24 घंटे चालू रहती है। यह जटिल वितरण नेटवर्क से किनारा करते हुए, जिसके तहत उत्पादक, थोक विक्रेता, वितरक, खुदरा व्यापारी तथा ग्राहक आते हैं, ग्राहकों को सीधे तौर पर ज्यादा संख्या में संगठन से जोड़ सकती है। पर्सनल कम्प्यूटर की कम कीमत, इंटरनेट के बढ़ते प्रयोग तथा इंटरनेट सेवा प्रदाता बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा से दिन-प्रतिदन ई-कॉमर्स के विकास में मदद मिल रही है।
भारत में ई-कॉमर्स को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने इंटरनेट सहित किसी भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किए गए लेनदेन को कानूनी मान्यता प्रदान करने के लिए पहले ही सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम को पारित कर दिया है। इस अधिनियम से इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का किसी व्यक्ति द्वारा प्रयोग किए जाने को इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के रूप में प्रमाणीकरण मान्य करना होगा।
निस्संदेह दुनिया की तरह भारत में भी ई-कॉमर्स ग्राहकों और विक्रेताओं की सोच को नई दिशा दे रहा है। यह रोजगार के अवसरों को बढ़ाता हुआ देश की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण भाग बनता जा रहा है। देश के लोग ऑनलाइन खरीददारी के जरिये मोबाइल फोन, किराना सामान, रेडिमेड व और अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद में जोरदार रुचि दिखा रहे हैं।
हर दिन करीब पांच लाख ऑनलाइन लेन-देन हो रहे हैं। ई-कॉमर्स के तहत कंपनी कारोबार के परंपरागत रास्ते को छोड़कर निर्माताओं और थोक कारोबारियों को सीधे ही उपभोक्ताओं से मिला देती है। ऑफलाइन यानी परंपरागत कारोबारी तरीके में लगने वाले समय और खर्च को ई-कॉमर्स कम कर देता है, जिसकी वजह से छोटे निर्यातकों और आयातकों के लिए बाजार का विस्तार हो जाता है।
ई-रिटेल में सबसे ज्यादा बचत इसलिए होती है क्योंकि इसमें किसी शोरूम की जरूरत नहीं होती है। इसी तरह घर बैठे शॉपिंग करने से ग्राहक को ईंधन, पार्किंग इत्यादि पर होने वाले खर्च और समय की बचत होती है।
कौन-से कोर्स?
ई-कॉमर्स के क्षेत्र में करियर बनाने की शुरूआत बारहवीं के बाद ही की जा सकती है। बारहवीं के उपरांत ई-कॉमर्स में प्रमाणपत्र, वेब और ई-कॉमर्स प्रौद्योगिकी में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम बैचलर ऑफ ई-कॉमर्स, बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन इन ई-कॉमर्स आदि उपलध हैं।
इसके अलावा स्नातकोत्तर स्तर के भी पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं, जो इस प्रकार हैंः एमबीए इन ई-कॉमर्स, मास्टर इन ई-कॉमर्स, मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग इन ई-कॉमर्स, मास्टर ऑफ साइंस इन ई-कॉमर्स एप्लीकेशंस, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन ई-कॉमर्स एप्लीकेशंस, पीजी डिप्लोमा इन इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट इन ई-कॉमर्स, एडवांस डिप्लोमा इन वेब एंड ई-कॉमर्स टेक्नोलॉजी, ई-कॉमर्स एप्लीकेशन प्रोग्रामर, ई-कॉमर्स विजुअल एप्लीकेशन डेवलपर आदि।
इन पाठ्यक्रमों के अलावा अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई ओपनसोर्स इंक, अमेरिका के सहयोग से उन विद्यार्थियों के लिए एक अनूठा ई-कॉमर्स प्रोग्राम चलाता है, जो पहले ही एमई,एमसीए, एमबीए, एमकॉम या एमएससी उत्तीर्ण कर चुके हैं।
कहां है मांग?
आज विज्ञापन, शिक्षा, इंटरनेट बैंकिंग, ऑनलाइन ट्रेडिंग, ई-बिजनेस, स्टॉक विश्लेषण आदि क्षेत्रों में ई-कॉमर्स का अधिकतम उपयोग हो रहा है। नेशनल कमोडिटी एक्सचेंज, मुंबई शेयर बाजार एवं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में ई-कॉमर्स दक्ष युवाओं की भारी मांग है।
भारत में ई-कॉमर्स के विकास की व्यापक संभावनाएं हैं तथा ऐसी आशा की जाती है कि आने वाले वर्षों में ई-कॉमर्स का तेजी से विकास होगा। विश्व बाजार में ई-कॉमर्स के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाला समय ई-कॉमर्स का ही होगा तथा ई-कॉमर्स के जानकारों के लिए हजारों की संख्या में रोजगार के उम्दा अवसर उपलध होंगे।
प्रमुख संस्थान…
-इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
-इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज एंड रिसर्च, नई दिल्ली
-गुरू गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
-अखिल भारतीय एसोसिएशन, सेंटर फॉर मैनेजमेंट एजुकेशन, नई दिल्ली
-एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च, मुंबई
-ई-कॉमर्स सेंटर, अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नाई
-कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्र
-उत्तरप्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, इलाहाबाद।