यूपी में भाजपा अब अपने कार्यकर्ताओं के मनमुटाव को दूर करने में जुटी, आखिर क्यों…

लखनऊ । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियों में तेजी से जुट गयी है। मातृ संगठन आरएसएस के सुझावों के बाद भाजपा अपने कार्यकर्ताओं के मनमुटाव को दूर करने कवायद में जुटी है। मुख्यमंत्री योगी का केशव के घर पर भोज के लिए जाना पार्टी की ओर से साफ संदेश है कि जनता के बीच 2022 में एकता का मैसेज जाए।

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कोरोना की दूसरी लहर या अन्य कारणों से नाराज कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने का खाका तैयार किया जा रहा है। नौकरशाही से लेकर तमाम ऐसे छोटे-छोटे कार्य हैं जिनके लिए कार्यकर्ताओं को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा है। इसी को देखते हुए पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं को भी इस काम में लगाएगी।

भाजपा एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि शुरूआती जून में जब केन्द्रीय संगठन मंत्री आए थे, इसके बाद से ही सांसदों और विधायकों से कहा गया था कि वो अपने 100 ऐसे कार्यकर्ताओं की सूची बनाएं जो किसी कारण से नाराज हैं, उन्हें मनाएं। उनकी समस्या को सुनें और हो सकता है तो तुरंत निदान भी कर दें।

इसी कारण निगम आयोग और मोचरें में भी कुछ लोगों का समायोजन किया गया है। संघ और पार्टी के वारिष्ठ पदाधिकारियों का साफ निर्देश है कि अब कमियां गिनाने का समय नहीं बचा है। यूपी में दोबारा पार्टी को भारी बहुत से जीताने के लिए सभी का साथ होना जरूरी है। इसी कारण पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई, रमापतिराम त्रिपाठी, विनय कटियार जैसे नेताओं का भी अनुभव पार्टी लेना चाहती है। उन्हें बैठक में बुलाया गया उनके विचारों को सुना गया।

भाजपा के जानकार प्रसून पांडेय कहते हैं, ” भाजपा अब 2022 को विधानसभा चुनाव को लेकर अभी संजीदा है। कोरोना की दूसरी लहर में कार्यकर्ताओं के घर से कोई न कोई साथ छोड़ गया है। उसके पीछे अव्यवस्था ही मान रहे है। जिसे लेकर उनके अंदर कुछ नाराजगी है।

यहां तक कुछ कार्यकर्ताओं के चार सालों नौकरशाही के हावी होने के कारण काम भी नहीं हो सके है, उस बात की भी नाराजगी है। चुनाव से ठीक पहले भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को साधने का प्रयास कर रही है। कार्यकर्ताओं के अनुभव और उनके समीकरण के साहरे ही भाजपा को अपने मिशन में कामयाबी मिलेगी।”

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