लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी में ही प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या पूरी नहीं हो पा रही है। शहरी सीमा से सटे स्कूलों में शिक्षकों की भरमार है। एक एक स्कूल में 6 से 9 शिक्षक हैं। वहीं तमाम स्कूल ऐसे हैं जो केवल एक अध्यापक के भरोसे चल रहे हैं। प्राइमरी और अपर प्राइमरी दोनों का यही हाल है। इसकी वजह से स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
राजधानी के करीब 200 प्राइमरी स्कूल केवल एक शिक्षक के भरोसे हैं। शिक्षक के अवकाश पर जाते ही तालाबंदी की नौबत आ जाती है। अकेले ग्रामीण क्षेत्र के ही 120 स्कूल केवल एक शिक्षक के भरोसे हैं। जबकि तीन बंद चल रहे हैं।
यहां सबसे ज्यादा दिक्कत
प्राइमरी स्कूल नारायणपुर प्रथम, नारायणपुर द्वितीय, मिर्जापुर, रसूलपुर इठुरिया, शाहपुर मझिगवां, प्राइमरी स्कूल महेंद्र, प्राथमिक विद्यालय हुलास खेड़ा, पाल खेड़ा, जगन खेड़ा तथा प्राइमरी विद्यालय नानमऊ सहित कुल 200 में केवल एक ही अध्यापक हैं। जबकि करीब 30 विद्यालय ऐसे हैं जिसमें एक शिक्षक के अलावा शिक्षामित्र भी मौजूद हैं।
70 स्कूलों में 6 से लेकर 9 टीचर
चिनहट, बीकेटी, सरोजिनी नगर, मोहनलालगंज, मलिहाबाद के शहर से सटे करीब 70 स्कूल ऐसे हैं जिनमें 6 से 9 टीचर हैं। हालांकि इन स्कूलों में बच्चों की संख्या ज्यादा है। इसीलिए संख्या के अनुरूप टीचर हैं।
नगर क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की कमी
शहरी क्षेत्र के करीब 80 स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। इनमें से करीब दो दर्जन स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं है। इनमें दूसरे स्कूलों के शिक्षक लगाए गए हैं। जैसे-तैसे काम चल रहा है। इसके अलावा बाकी स्कूलों में एक एक शिक्षक है। इनके अवकाश पर जाने से स्कूलों में तालाबंदी की नौबत आ जाती है। उदयगंज, तेलीबाग, शकूरपुर, हैबतमऊ, मवाईया तथा नीलमथा में भी शिक्षकों की काफी कमी है।
500 टीचर आए फिर भी एकल हैं विद्यालय
इस वर्ष राजधानी को करीब 500 नए टीचर मिले हैं। इसमें से 341 टीचर दूसरे जिलों से ट्रांसफर होकर लखनऊ आए हैं। यह ज्वाइन भी कर चुके हैं। 131 नए शिक्षकों की भर्ती हुई है। इनकी भी तैनाती हो चुकी है। करीब 20 शिक्षक ट्रांसफर से लखनऊ आए हैं। इस तरह कुल 492 शिक्षक नए आए हैं। इसके बावजूद स्कूल एकल व बंद चल रहे हैं।
कोई भी स्कूल बंद नहीं है। सभी में पढ़ाई चल रही है। जहां शिक्षक कम हैं वहां दूसरे स्कूलों के शिक्षक लगा दिए जाते हैं। शिक्षामित्र भी स्कूलों को संभाल रहे हैं। जहां कमी है वहां जल्दी ही नए शिक्षक पहुंचेंगे।
दिनेश कुमार, बेसिक शिक्षा, अधिकारी