लखनऊ । उत्तर प्रदेश में चार दिन का विधानसभा सत्र 20 अगस्त से शुरू होने वाला है। इस नए सामान्य में होने जा रहे इस सत्र का अनुभव अलग होगा क्योंकि इसे कोविड -19 महामारी के प्रोटोकॉल के अनुसार आयोजित किया जाएगा। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए विशेष इंतजाम किए जाएंगे।
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा, “उत्तर प्रदेश विधानसभा इस बात का उदाहरण देगी कि महत्वपूर्ण मामलों पर कानून बनाने के लिए चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी सत्र का आयोजन कैसे किया जाए। मुझे विश्वास है कि हमारे सभी सदस्य देश के सामने एक मिसाल कायम करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि सत्र में जनता से जुड़े गंभीर विषयों को संबोधित किया जा सके। हमें उम्मीद है कि इस संक्षिप्त सत्र के दौरान कोई व्यवधान नहीं होगा।”
उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य होगा जहां महामारी के दौरान नियमित सत्र होगा।
फरवरी में हुए आखिरी सत्र के बाद 6 महीनों के भीतर सत्र आयोजित करने के संवैधानिक दायित्व को पूरा करने के लिए यह मानसून सत्र बुलाया गया है।
विधान सभा के प्रधान सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने कहा, “वायरस के प्रसार को रोकने के लिए केंद्रीय एयर कंडीशनिंग प्रणाली में विशेष फिल्टर का उपयोग किया जाएगा। केंद्रीय कैंटीन बंद रहेगा।”
सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करने के लिए विधायकों को प्रेस दीर्घा समेत विभिन्न दीर्घाओ में बैठाया जाएगा। लिहाजा सभी मीडिया पास रद्द करने का भी प्रस्ताव है।
सूत्रों ने कहा कि गुरुवार को एक सर्वदलीय बैठक के दौरान नेताओं ने सत्र के आयोजन की समय सीमा को 8 महीने या उससे अधिक करने के लिए मामले को राष्ट्रपति के पास समीक्षा के लिए भेजने की भी बात कही।
बात दें कि राज्य के नौ मंत्री कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और विधानसभा में कई स्टाफ सदस्य भी संक्रमित हैं।
विपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी को हाल ही में अस्पताल से छुट्टी दी गई है। फिर भी विपक्ष चाहता है कि कई मुद्दों पर चर्चा जरूरी है लिहाजा विधानसभा सत्र बुलाया जाए।