गोरखपुर। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर, गोरखपुर संसदीय क्षेत्र का लागातार पाँच बार नेतृत्व करने वाले महंत योगी आदित्यनाथ आज 48 साल के हो गए। किसी परिचय के मोहताज नहीं, बहुत कम उम्र में ही उन्होंने जो उपलब्धियां हासिल की हैं वह बेमिसाल हैं।
5 जून 1972 उत्तराखंड (तब उत्तर प्रदेश था) के पौड़ी जिला स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचूर गांव के राजपूत परिवार में अजय सिंह बिष्ट का जन्म हुआ। 1977 में टिहरी के गजा के स्थानीय स्कूल में पढ़ाई शुरू की। 1987 में टिहरी के गजा स्कूल से दसवीं की परीक्षा पास की। 1990 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हुए एबीवीपी से जुड़े। उन्होंने गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित में बीएससी किया।
शिक्षा के दौरान ही योगी ने राम जन्मभूमि आंदोलन के सदस्य के रूप में अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की और इसी दौरान गोरखपुर में उनका परिचय गोरक्षपीठ के महंत अवैद्यनाथ से हुआ। अवैद्यनाथ ने अजय सिंह बिष्ट में गोरक्षनाथ मंदिर के भावी पीठाधीश्वर को देखा। योगी की क्षमता को भांपते हुए उन्हें अपना शिष्य बना लिया और फिर अजय सिंह बिष्ट का नाम परिवर्तित कर उन्हें योगी आदित्यनाथ के रूप में नई पहचान दी।
योगी आदित्यनाथ साल 1998 में जब महंत अवैद्यनाथ ने गोरखपुर के सांसद रहते हुए राजनीतिक संन्यास का ऐलान किया तो उन्होंने अपनी सीट और अपना उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ को ही बनाया। 1998 के ही इस साल योगी मात्र 26 साल की उम्र में देश के संसद में पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के सांसदों की कतार में शामिल हुए। इसके बाद योगी लगातार पांच बार गोरखपुर सीट से सांसद बने और उन्होंने पूर्वांचल की तमाम अन्य सीटों पर भी अपने व्यक्तित्व का खासा प्रभाव डाला।
आदित्यनाथ 2014 में गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर बने। इस साल महंत अवैद्यनाथ के समाधि लेने के बाद योगी को गोरक्षपीठ का पीठाधीश्वर बना दिया गया। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी का जनादेश मिला तो पीएम नरेंद्र मोदी ने यूपी की कमान योगी को सौंप दी। आज योगी आदित्यनाथ देश के सफलतम मुख्मन्त्रियों की सूची में सुमार, अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन कर रहे हैं।