झांसी। राज्य के अन्दर ही ट्रेन का संचालन करने वाला शायद उप्र देश का पहला राज्य होगा। हम यहां उप्र के अन्दर ही विभिन्न जनपदों तक प्रवासी मजदूरों को भेजने के लिए ट्रेन संचालित कर रहे हैं। यह अपने आप में एक अच्छी पहल भी है। और मजदूरों को उनके गंतव्य तक भेजने में यह बेहतर सहयोग भी दे पा रहा है। हम झांसी से गोरखपुर तक व झांसी से बनारस तक ट्रेन संचालित कर मजदूरों को उनके जनपदों तक भेज रहे हैं। इसके अलावा रोडवेज की बसें भी लगातार संचालित की जा रही हैं। समस्या तो तब होती है जब एकाएक मजदूरों की संख्या में भारी वृद्धि हो जा रही है। या फिर मजदूरों को उनके गंतव्य तक भेजने गई ट्रेन व बसें लौटने में लेट हो जा रही है।
मण्डलायुक्त सुभाष चन्द्र शर्मा ने उप्र-मप्र रक्सा बाॅर्डर पर देते हुए कहा कि एक बार झांसी की सीमा में आने के बाद मजदूरों को कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी। मण्डलायुक्त ने बताया कि प्रतिदिन यहां से 5 ट्रेन चलाई जा रही हैं। ये श्रमिक स्पेशल ट्रेन झांसी से बनारस और झांसी से गोरखपुर के लिए चलाई जा रही हैं। झांसी से बनारस करीब 527 किलोमीटर और गोरखपुर करीब साढ़े 6 सौ किलोमीटर की दूरी पर है। साथ ही इन दोनों रुटों पर उप्र के कई जिले भी सीमा में आते हैं। इनके चलाए जाने से तमाम जनपदों के मजदूर अपने गंतव्य तक आराम से पहुंच जाते हैं। साथ ही पूरी सीमा भी उप्र क्षेत्र में होने के चलते किसी प्रकार कोई परेशानी नहीं हो रही है।
इसके लिए वह रोज रेलवे अधिकारियों से वार्ता कर ट्रेन की संख्या बढ़ाए जाने की भी बात कर रहे हैं। हालांकि अब प्रवासी मजदूरों में बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के मजदूरों की ही संख्या ज्यादा है। इसके लिए भी वह लगातार अन्य प्रान्तों के उच्चाधिकारियों व सरकार से वार्ता कर बीच का रास्ता निकालने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि देश में उप्र पहला राज्य है जहां अन्तः राज्यीय ट्रेन संचालन हो रहा है। बाकी अभी तक अन्य राज्यों में ऐसा नहीं हुआ है।
अधिकांश बिहार जाने वाले मजदूर
उप्र-मप्र के रक्सा बाॅर्डर पर देश के तमाम राज्यों की सीमा खुलती है। खासतौर पर यह रास्ता अन्य राज्यों का मुख्य दरवाजा भी माना जा सकता है। मण्डलायुक्त ने बताया कि इस समय इस सीमा पर महाराष्ट्र,गुजरात,आन्ध्र प्रदेश व अन्य प्रदेशों व महानगरों से प्रवासी मजदूर आ रहे हैं। इन सबमें से अब खासतौर पर बिहार जाने वाले मजदूरों की संख्या सर्वाधिक है। प्रतिदिन यहां पहुंचने वालों की संख्या करीब 20 से 25 हजार है। उन्होंने बताया कि हम लोग प्रयास कर रहे हैं कि किसी भी मजदूर को झांसी की सीमा में पहुंचने पर कोई परेशानी न हो।
सभी राज्य अपनी सीमाओं पर छोड़ रहे मजदूर
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र की बसें मजदूरों को अपनी सीमा तक छोड़ रही हैं। मप्र की बसें उन्हें अपनी सीमा तक छोड़ रही हैं। और अन्य राज्यों की सरकारें भी यही कर रही हैं। यह पूरी संख्या उप्र की सीमा में आकर एकत्र हो जाती है। जो परेशानी का सबब बन जाती है। हम पूरा प्रयास कर रहे हैं परन्तु एकाएक संख्या बढ़ जाने से परेशानियां बढ़ जाती हैं।
यदि सीधी चल जाए ट्रेन तो काम हो आसान
अधिकांश लोग गुना,सागर व भोपाल के रास्ते आ रहे हैं। ऐसे में यदि गुना से ट्रेन का संचालन सीधे बिहार के लिए कर दिया जाए तो शायद बेहतर हो जाएगा। मजदूरों को भटकने के स्थान पर सीधा उनके गंतव्य तक भेजा जा सकेगा। साथ ही कई राज्यों की सीमाओं की मशक्कत भी बच जाएगी। इस संबंध में भी मण्डलायुक्त व आईजी सुभाष चन्द्र बघेल की मप्र के उच्चाधिकारियों से वार्ता चल रही है।
अपने घरों पर जाना सुरक्षित समझ रहे मजदूर
मण्डलायुक्त ने बताया कि उन्होंने मजदूरों से बात की है। मजदूरों से उन्होंने कहा कि अब लाॅकडाउन समाप्त होने में ज्यादा दिन नहीं हैं। ऐसे में वे अपने रोजगार छोड़कर क्यों भाग आए हैं। तो उन्होंने बताया कि उन्हें नहीं लगता कि अब कुछ महीनों तक उन्हें रोजगार मिलने की संभावना भी है। जबकि उनका घर उनके लिए ज्यादा सुरक्षित स्थान है। वहीं रहकर वे अपने जीवन यापन का कार्य करेंगे। उनके अंदर एक अविश्वास दिखाई दिया। वे अपने रोजगार के प्रति सशंकित दिखाई दिए।