कुछ ऐसा ही कर दिखाया है कानपुर की मेधावी श्रद्धा श्रीवास्तव और कहकशां जबिन ने
-ब्यूरो
15 घंटे रोज की मेहनत, बिना कोचिग के पाई सफलता, पढ़ें दिल्ली में जज बनीं कानपुर की दो बेटियां की रोचक स्टोरी
कानपुर। मेहनत और जुनून से हर कामयाबी हासिल की जा सकती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है कानपुर की मेधावी श्रद्धा श्रीवास्तव और कहकशां जबिन ने। 15 घंटे रोज की पढ़ाई करने वाली बेटियां पहले ही प्रयास में दिल्ली में जज बन गई हैं। बिना किसी कोचिग के सफलता पाने वाली श्रद्धा और कहकशां ने इंटरनेट की मदद से ऑनलाइन स्टडी मैटेरियल एकत्र किया और पढ़ाई में जुट गईं।
कहकशां की दिल्ली ज्यूडिशियल सर्विस में ऑल इंडिया 16वीं तो श्रद्धा की 48वीं रैंक आई। जूही लाल कॉलोनी में रहने वाली कहकशां ने बताया कि गुलमोहर पब्लिक स्कूल से 1०वीं व 12वीं की पढ़ाई की है।
दादा स्व. खुर्शीद अहमद कोर्ट में काम करते थे। उनका सपना था कि बेटी जज बने। उन्होंने पिता से कहकर मेरा लखनऊ यूनिवर्सिटी में बीए-एलएलबी में दाखिला कराया। 2०18 में डिग्री पूरी करने के बाद एनएलयू बेंगलुरु से एलएलएम किया। 2०22 में लखनऊ से नेट क्वालीफाई कर जेआरएफ बनी, फिर लखनऊ विवि से पीएचडी में दाखिला मिला।
इसी साल नासिक स्थित संदीप यूनिवर्सिटी में लॉ की असिस्टेंट प्रोफ़ेसर बन गईं। अब सपना पूरा हो गया है। पीएचडी और असिस्टेंट प्रोफ़ेसर की नौकरी छोड़ देंगी। कहकशां के पिता जावेद अहमद कानपुर में पीए टू एडीजे हैं। विकास नगर निवासी श्रद्धा के पिता आशीष श्रीवास्तव बिजनेसमैन और मां बबिता परिषदीय स्कूल, मैथा में हेड टीचर हैं।
श्रद्धा ने बताया कि 1०वीं व 12वीं की पढ़ाई डीपीएस आजाद नगर से की। वर्ष 2०15 में 12वीं कक्षा 96 फीसदी अंक के साथ उत्तीर्ण की। एनएलयू ओडिशा में बीबीए-एलएलबी में दाखिला लिया। वर्ष 2०21 में परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 11 माह तक तैयारी की और दिल्ली ज्यूडिशियल सर्विस की परीक्षा दी।
प्री क्वीलाफाई करने के बाद सिर्फ 18 दिन की तैयारी कर मेंस क्वालीफाई किया। श्रद्धा ने बताया कि नाना स्व. डीएन सिन्हा एडिशनल डिस्टि्रक्ट जज थे। उन्हें देखकर बचपन से ही तय कर लिया था कि जज बनना है। हालांकि अभी हाईकोर्ट का जज बनने का सपना है।