अवध के तीसरे नवाब मोहम्मद अली शाह ने 1839 हुसैनाबाद ट्रस्ट का गठन किया था। तब से ट्रस्ट के अधीन आने वाली मस्जिदों इसमें शाहनजफ, मस्जिदें कूफा, आसिफी मस्जिद, छोटे इमामबाड़े की मस्जिद समेत 250 से अधिक मस्जिदों में रमजान में रोजेदारों के लिए सहरी व इफ्तेयारी भेज जाती आ रही है।
हुसैनाबाद ट्रस्ट रमजान में इफ्तेयारी के साथ मुहर्रम में तबर्रूक भी अजादारों में बांटता है। नवाब जाफर मीर अब्दुल्ला बताते हैं कि 180 साल में यह रस्म कभी नहीं टूटी है। जाड़ा, गर्मी व बरसात कुछ भी हो मस्जिदों में समय से सहरी और इफ्तेयारी पहुंचाई जाती थी। लेकिन कोरोना वायरस ने इबादतगाहों को भी बंद कर दिया है। इससे ट्रस्ट मस्जिदों में इफ्तेयारी का इंतजाम नहीं कर पा रहा है।
प्रिंसेस फरहाना मालिकी बताती हैं कि ट्रस्ट की ओर से बहुत अच्छी इफ्तेयारी का इंतजाम रोजेदारों के लिए किया जाता था। खासकर गरीब तबके के लोग ट्रस्ट की मस्जिदों में आते थे। जहां पर उनको रोजाना बेहतरीन इफ्तेयारी दी जाती थी। लॉक डाउन की वजह से इतनी पुरानी रस्म तो टूटी ही साथ ही गरीबों को इफ्तेयारी भी नसीब नहीं हो पा रही है। हुसैनाबाद ट्रस्ट के अधिकारियों के मुताबिक लॉक डाउन की वजह से मस्जिदों में नमाजी नहीं आ रहे हैं। साथ ही संक्रमण के चलते इफ्तेयारी भेजना भी मुमकिन नहीं है।
उलेमा ने कोरोना वायरस को देखते हुए मुस्लिम समुदाय से घरों में ही इबादत करने की अपील की है। यह शायद पहला मौका होगा जब कोरोना वायरस की वजह से करीब 1.8 अरब मुसलमानों को रमजान में ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। रमजान नमाज, दुआ और दान का महीना है लेकिन कोरोना वायरस संकट के समय मस्जिदों में सार्वजनिक नमाज नहीं हो रही है।
लोगों का क्या कहना है
राष्ट्रीय संयोजक अल्पसंख्यक विभाग कांग्रेस की रफ़त फ़ातिमा बताती है कि कोरोना ने रमजान को भी अच्छा-खासा प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व मे कोरोना वायरस से पैदा हालात को देखते हुए दीन के एहकाम और इंसानियत का तक़ाज़ा है कि मेडिकल सलाह और प्रशासन की हिदायत और एहतियात के साथ तमाम इबादत घर पर ही अदा करें और अपने लिए और किसी और के लिए तकलीफ़ का ज़रिया ना बनें। दुआ करें कि इस वबा से हम सबको जल्द से जल्द निजात मिले।
उत्तर रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी काजी मेराज अहमद ने कहा कि कोरोना वायरस के सम्पर्क में आने से खुद को बचाना ही इस संक्रमण की रोकथाम का सबसे अच्छा तरीका है। सोशल डिस्टेंसिंग इसका सबसे अच्छा तरीका है। जहां तक रमजान की बात है तो इसमें भी सबको सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। इसके साथ ही सरकार और स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन को मानना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि मुकद्दस माह रमजान घरों में रहकर इबादत करें।
रमजान के मौके पर तरावीह (विशेष नमाज) अपने घरों में ही पड़ें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि साफ-सफाई का खास ध्यान रखना होगा। काजी मेराज अहमद लोगों से अपील की है कि वो शासन-प्रशासन का सहयोग करें। उन्होंने कहा कि कोरोना को देखते हुए रमजान के दौरान फेसबुक लाइव के जरिए घर में कुराआन सुनने का भी अच्छा मौका है।
बीएसएनल के महाप्रबंधक जफर इकबाल का कहना है इस्लाम ऐसा मजहब जहां हर चीज का हल है। ऐसे में लॉकडाउन में रोजा रखने में किसी को कोई परेशानी नहीं होगी। उलेमाओं ने अपील की है कि रमजान में भी घर पर रहकर नमाज और इबादत करे। सभी मुस्लिमानों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा।
उन्होंने कहा कि नमाज और इबादत किसी को दिखाकर करना जरूरी नहीं है। हर मुसलमान का सिर सजदे में झुकता है और हाथ दुआ के लिए उठता है ऐसे में रोजेदार दिल से इबादत करेंगे तो अल्लाह अपने बंदों पर रहमत नाजिल करेगा।
इस्लाम में कहा गया है कि आपकी वजह से किसी को तकलीफ नहीं होनी चाहिए। ऐसे में हमें कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जो दूसरे के लिए तकलीफ का कारण बने।
व्यवसायी अहमर इलियास भी उलेमाओं की बात मानने को कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल रखना होगा। उन्होंने कहा रमजान में किए जाने वाले जरूरी काम व इबादत अपने घरों पर रहकर करें। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का खास खयाल रखते हुए प्रशासन को भी पूरा सहयोग करें।
उन्होंने कहा कि गरीबों की मदद की जाये। इतना ही नहीं आए दिन खबरे आ रही है फला जगर पर नमाज अदा की गई और लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ायी जा रही है। ये नहीं होना चाहिए। कुछ लोगों की वजह से पूरी कौम को घेरा जा रहा है। ऐसी हरकतों से बचना चाहिए। किसी एक संस्था या किसी व्यक्ति के गुनाह के लिए पूरे समुदाय को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा रमजान में गरीबों की मदद करें।
रमजान को लेकर यूपी सरकार के निर्देश
- उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने रमजान को लेकर निर्देश जारी किए हैं
- प्रशासन ने धर्मगुरुओं, मौलवियों व मौलानाओं से संवाद स्थापित कर यह तय किया है सहरी व इफ्तार के समय किसी भी प्रकार की भीड़ इकट्ठी नहीं होनी चाहिए
- योगी ने लोगों से शहरी व इफ्तार घर पर ही करने की अपील की है, जिसका मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी मुख्यमंत्री की अपील का समर्थन किया है।