नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फिर चीन की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारत के सशस्त्र बलों को कोई भी वायरस अपने कर्तव्य से नहीं डिगा सकता। जब दुनिया घातक वायरस से लड़ रही थी, तब वे हमारी सीमाओं की रक्षा कर रहे थे। हमारी बहादुर सेनाएं हमारी सीमाओं की रक्षा करने और अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए बर्फीली हवाओं से लड़ने में सबसे आगे हैं।
हम सीमापार आतंकवाद के भी शिकार हुए हैं और अकेले ही सामना किया है क्योंकि हमारा समर्थन करने वाला कोई नहीं था। बहुत बाद में दुनिया ने समझा कि पाकिस्तान के आतंकवाद के प्रति हमारा नजरिया सही था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से फिक्की के 93वें वार्षिक कॉन्क्लेव के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे रक्षा बलों ने कोरोना योद्धाओं के प्रति भी आभार व्यक्त किया, जिनमें स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस और सेना शामिल हैं। यह सभी देशभर के अस्पतालों के बाहर फ्लाईपास्ट, जहाजों से एयरलिफ्ट और संगीतमय श्रद्धांजलि के माध्यम से महामारी के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे थे। इस राष्ट्र की आने वाली पीढ़ियों को इस बात पर गर्व होगा कि इस वर्ष हमारी सेनाएं क्या हासिल कर पाई हैं।
लद्दाख में एलएसी पर तैनात सशस्त्र बलों ने इस मुसीबत के समय में भी अनुकरणीय साहस और उल्लेखनीय धैर्य दिखाया है। उन्होंने चीनी सैनिकों के साथ अत्यंत बहादुरी के साथ लड़ा और उन्हें वापस जाने के लिए मजबूर किया। हमारे हिमालयी मोर्चे पर अकारण आक्रामकता इस बात की याद दिलाती है कि दुनिया कैसे बदल रही है, मौजूदा समझौतों को कैसे चुनौती दी जा रही है, कैसे हिमालय में ही नहीं बल्कि इंडो-पैसिफिक में भी सत्ता हासिल की जा रही है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि अपने अस्तित्व के नौ दशक से अधिक समय में फिक्की ने भारतीय उद्योग से संबंधित मुद्दों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी एक बड़ी चुनौती है जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसने हमारे दैनिक जीवन के लगभग हर पहलू को प्रभावित किया है और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ा है। कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप अपने साथ बड़ी मात्रा में अनिश्चितता लेकर आया। भारत भी इससे बहुत प्रभावित हुआ।
यह भारत जैसे राष्ट्र के लिए एक गंभीर चुनौती थी जो अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में अपना सही स्थान पाने की दिशा में एक त्वरित प्रयास कर रहा था। उन्होंने उद्योग जगत को बताया कि यह कड़वा सच है कि दुनिया की सबसे बड़ी सशस्त्र सेनाओं में से एक होने के बावजूद हम आयात पर निर्भर हैं। इसलिए हमने रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, इसमें अभी बहुत कुछ किया जा सकता है और किया जाना चाहिए।
राजनाथ सिंह ने कहा कि महामारी को रोकना या इससे पीछे जाना हमारे लिए कोई विकल्प नहीं था लेकिन मानव जीवन हमारे लिए सबसे कीमती था। भारत हमेशा प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अवसर खोजने की क्षमता में विश्वास करता है, इसलिए हम हार मानने को तैयार नहीं थे। हमारे डॉक्टरों ने जीवन के नुकसान को कम करने के लिए हर संभव प्रयास किया है। व्यापार और उद्योग के सदस्यों ने ही ‘इंस्पायर्ड इंडिया’ गठित किया है जिन्होंने आजीविका के नुकसान को भी कम करने के लिए हर संभव प्रयास किए हैं।
महामारी के बीच चुनाव आयोग जैसी संस्था ने चुनौतीपूर्ण समय में 7.79 करोड़ मतदाताओं के साथ स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सफलतापूर्वक कराये हैं। महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई में सभी भारतीयों ने साथ दिया। वायरस के प्रारंभिक प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन के सफल कार्यान्वयन में नागरिकों की भूमिका उपलब्धि के तौर पर रही है।