राजभर ने बढ़ाईं सियासी दलों की मुश्किलें

लखनऊ. योगी आदित्यनाथ की सरकार से बेदखल किये जाने के बाद ओमप्रकाश राजभर ने सियासत की जिस तरह की चालें इधर चलनी शुरू की हैं उसने यूपी सरकार के साथ-साथ उन सियासी पार्टियों की मुश्किलों में भी इजाफा कर दिया है जो परम्परागत रूप से यूपी में चुनाव लड़ती रही हैं. खासकर समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस.

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर योगी सरकार में सहयोगी पार्टी की शक्ल में जुड़े थे और मंत्री बने थे. लेकिन मंत्री रहते हुए भी उन्होंने सरकार के सामने कई बार अपने बयानों के ज़रिये मुश्किलें खड़ी कीं. मजबूरन सरकार ने उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त करना पड़ा.

सरकार से हटने के बाद भी राजभर पहले की तरह सरकार के खिलाफ मुखर बने रहे लेकिन इधर पिछले कुछ महीनों से उन्होंने जिस तरह से चुनावी तैयारियों के लिए भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाकर अब तक नौ बड़े नेताओं को उससे जोड़ा है उसके असर को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता.

ओमप्रकाश राजभर ने आज आज़ाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्द्रशेखर आज़ाद से मुलाक़ात की. दोनों नेताओं ने करीब एक घंटे तक 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बातचीत की. चन्द्रशेखर से राजभर की मुलाक़ात के बाद यूपी की सियासत गर्म हो गई है.

राजभर इससे पहले बाबू सिंह कुशवाहा, प्रेमचन्द्र प्रजापति, असदुद्दीन ओवैसी, कृष्णा पटेल, बाबूराम पाल, रामसागर बाँध, रामकरण कश्यप और अनिल चौहान से मुलाक़ात कर चुके हैं. राजभर का कहना है कि 2022 में उनका मोर्चा यूपी में 423 सीटों पर चुनाव लड़ेगा.

राजभर ने कहा है कि उनका मोर्चा हिन्दू-मुसलमान के बजाय शिक्षा, स्वास्थ्य, नौकरी और रोज़गार के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगा और सरकार बनाएगा. राजभर ने कहा है कि यूपी में सरकार बनी तो शिक्षा और स्वास्थ्य को पूरी तरह से मुफ्त करेंगे. राजभर से जब यह पूछा गया कि अखिलेश यादव को साथ लेकर चलेंगे या नहीं इस पर उन्होंने कहा कि समर्थन में जो साथ आये उसका स्वागत है.

राजभर ने इससे पहले अपने मोर्चा में शिवपाल सिंह यादव को शामिल करने की बात कही थी. आम आदमी पार्टी और अपना दल को गठबंधन में रखेगा.

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