राजस्थान का अपना एक अलग समृद्ध इतिहास है, जो इसे सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनाता है। यहां के किले व महल अनजाने ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। वैसे तो जयपुर के आमेर फोर्ट से लेकर जैसलमेर के किले लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध हैं, लेकिन इन्हीं के बीच कुंभलगढ़ का किला अपना एक अलग महत्व रखता है।
कुम्भलगढ़ किला पश्चिमी भारत में राजस्थान राज्य के उदयपुर के पास राजसमंद जिले में अरावली पहाडि़यों की एक विस्तृत श्रृंखला पर मेवाड़ का किला है। इस किले की खासियत है उसकी 36 किलोमीटर लंबी दीवार। यह राजस्थान के हिल फॉट्र्स में शामिल एक विश्व धरोहर स्थल है। 15 वीं शताब्दी के दौरान राणा कुंभा द्वारा निर्मित इस किले की दीवार को एशिया की दूसरी सबसे बड़ी दीवार का दर्जा प्राप्त है। तो चलिए विस्तारपूर्वक जानते हैं इसके बारे में−
ग्रेट वॉल ऑफ चाइना के बारे में तो आपने सुना होगा, लेकिन कुंभलगढ़ को ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया कहा जाता है। 80 किलोमीटर उत्तर में उदयपुर के जंगल में स्थित, कुंभलगढ़ किला चित्तौड़गढ़ किले के बाद राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा किला है। किले की दीवार 36 किलोमीटर की विशाल लंबाई तक फैली हुई है और इसलिए इसे “द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया” के नाम से जाना जाता है।
अरावली रेंज में फैला कुंभलगढ़ किला मेवाड़ के प्रसिद्ध राजा महाराणा प्रताप का जन्मस्थान है। यही कारण है कि राजपूतों के दिलों में इस किले के प्रति एक विशेष स्थान है। 2013 में, किले को विश्व धरोहर समिति के 37 वें सत्र में यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था।
किले को सात विशाल द्वारों से बनाया गया है। इस भव्य गढ़ के अंदर मुख्य भवन बादल महल, शिव मंदिर, वेदी मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर और मम्मादेव मंदिर हैं। कुम्भलगढ़ किला परिसर में लगभग 360 मंदिर हैं, जिनमें से 300 जैन मंदिर हैं, और बाकी हिंदू हैं। इस किले की एक खासियत यह भी है कि इस भव्य किले को वास्तव में युद्ध में कभी नहीं जीता गया था। हालांकि इस पर केवल एक बार मुगल सेना द्वारा छल द्वारा कब्जा कर लिया गया था जब उन्होंने किले की पानी की आपूर्ति में जहर डाल दिया था।