नई दिल्ली। राज्ससभा में रविवार को कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयक पेश किए गए। संसद से लेकर सड़क तक, इन बिलों का किसान संगठन और राजनीतिक दल विरोध कर रहे हैं। संसद के ऊपरी सदन में बिल पेश होने पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियों ने विरोध किया। वाईएसआर कांग्रेस ने बिल का खुलकर समर्थन किया।
पार्टी के सांसद वी. विजयसाई रेड्डी ने विरोध को ‘बेतुका’ बताते हुए कांग्रेस की जमकर आलोचना की। उन्होंने कांग्रेस का चुनावी घोषणापत्र लहराते हुए कहा कि यह पार्टी किसान हित के नाम पर ‘पाखंड’ कर रही है। रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस ने भी यही वादे घोषणापत्र में किए थे जिन्हें इस बिल में रखा गया है।
रेड्डी की टिप्पणी से भड़के कांग्रेसी
अपने भाषण के दौरान रेड्डी ने कांग्रेस के लिए कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग किया कि कांग्रेसी आगबबूला हो गए। सदन में हंगामा मच गया। हालांकि पीठासीन डॉ एल हनुमंतय्या ने उन शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकालने का निर्देश दिया। जब शोर फिर भी नहीं थमा तो चेयर से केवल सांसद के भाषण को दर्ज करने का आदेश हुआ।
विपक्ष ने राज्यसभा में सरकार को घेरा
कांग्रेस ने पंजाब से आने वाले प्रताप सिंह बाजवा को विरोध की कमान सौंपी। उन्होंने कहा कि यह बिल सोच-समझकर नहीं लाया गया इसमें जल्दबाजी की गई है। बाजवा ने इन विधेयकों को किसानों का ‘डेथ वॉरंट’ बताते हुए कहा कि कांग्रेस इसपर साइन नहीं करेगी।
टीएमसी के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री किसानों को गुमराह कर रहे हैं। आपने (केंद्र) कहा कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी लेकिन वर्तमान दर के हिसाब से किसानों की आय 2028 से पहले डबल नहीं होगी। वादे करने के मामले में आपकी साख कम है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को खेती से जुड़े दो बिल फार्मर्स एंड प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) बिल और फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस बिल राज्यसभा में पेश किए। उन्होंने कहा कि दोनों बिल ऐतिहासिक हैं, इनसे किसानों की जिंदगी बदल जाएगी। किसान देशभर में कहीं भी अपना अनाज बेच सकेंगे। मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि बिलों की संबंध न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नहीं है।
बिलों को लेकर पंजाब-हरियाणा के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। यही नहीं, इसी मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल की मंत्री हरसिमरत कौर ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। बिल लोकसभा से पास हो चुके हैं।
सदन में कौन-क्या बोला?
- माकपा, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक ने विधेयकों में संशोधन की मांग की। इसे राज्यसभा की सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव रखा।
- कांग्रेस ने बिल का विरोध किया। कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि वह और उनकी पार्टी किसानों के डेथ वॉरेंट पर साइन नहीं करेंगे।
- भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस से पूछा कि जब आपकी सरकार थी तो साल दर साल ग्रामीण क्षेत्रों की आय क्यों कम हुई? आप इस बिल का क्यों विरोध कर रहे हैं?
सदन में सदस्यों के आंकड़ों का गणित?
- 245 सदस्यों वाली राज्य सभा में दो सीट खाली है। इस तरह से अभी कुल सदस्यों की संख्या 243 है।
- सरकार को बिल पास कराने के लिए 122 सदस्यों का साथ चाहिए होगा।
- 10 सदस्य कोरोना की वजह से सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे।
- अभी भाजपा के 86 सांसद और उसकी सहयोगी दलों (अकाली दल को छोड़कर) के सदस्यों को मिला लें तो यह 105 हो जाती है।
- बिल पास कराने के लिए सरकार को विपक्षी दलों के 17 सदस्यों का साथ चाहिए।
- 9 सदस्यों वाली अन्नाद्रमुक ने बिल के समर्थन का ऐलान किया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने तीनों कृषि विधेयकों का समर्थन करने को कहा है। इस तरह बिल के समर्थन में 114 सांसद हो जाते हैं।
- शिवसेना ने भी बिल का समर्थन किया है। सदन में शिवसेना के 3 सदस्य हैं। ऐसे में बिल के समर्थन में 117 हो जाते हैं।
- अब सरकार को 5 सदस्यों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में बीजेडी के 9, वाईएसआर कांग्रेस के 6, टीआरएस के 7, और टीडीपी के 1 सदस्य की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। इन दलों के कुल सदस्यों की संख्या 23 है।
क्या हैं ये विधेयक?
- कृषि सुधारों को टारगेट करते हुए लाए गए यह तीन विधेयक हैं- द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) बिल 2020; द फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइज एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेस बिल 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल 2020।
- इन तीनों ही कानूनों को केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान 5 जून 2020 को ऑर्डिनेंस की शक्ल में लागू किया था। तब से ही इन पर बवाल मचा हुआ है। केंद्र सरकार इन्हें अब तक का सबसे बड़ा कृषि सुधार कह रही है। लेकिन, विपक्षी पार्टियों को इसमें किसानों का शोषण और कॉर्पोरेट्स का फायदा दिख रहा है।
- कांग्रेस एवं अन्य पार्टियों के विरोध के बाद भी एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल लोकसभा में पारित हो गया है। अब राज्यसभा में रखा गया है।