राज्यसभा में विपक्ष की नेता का दर्जा भी खो देगी कांग्रेस, 5 राज्यों में हार से बिगड़ी हालत

नई दिल्ली। पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव मिली करारी हार के बाद कांग्रेस की स्थिति और दयनीय होने वाली है। विधानसभा चुनावों में फिसड्डी साबित होने वाली कांग्रेस को अब राज्यसभा में भी तगड़ा झटका लगने वाला है। कांग्रेस के हाथ से राज्यसभा में विपक्ष की नेता का दर्जा भी जा सकता है।

इस साल राज्यसभा के लिए द्विवार्षिक चुनाव होने के बाद, कांग्रेस के सदस्यों की संख्या में ऐतिहासिक गिरावट देखने को मिल सकती है। ऐसे में विपक्ष के नेता की स्थिति को बनाए रखने के लिए वह जरूरी संख्या के काफी नजदीक आ जाएगी। अगर पार्टी इस साल के अंत में गुजरात चुनावों और अगले साल कर्नाटक विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने में असमर्थ रही तो यह राज्यसभा के बाद के द्विवार्षिक चुनावों में विपक्ष की नेता का दर्जा खो देगी।

वर्तमान में कांग्रेस के पास राज्यसभा में 34 सदस्य हैं और इस साल कम से कम सात सीटें हारने के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना है। मानदंडों के अनुसार एक पार्टी के पास सदन की कुल सदस्यता का कम से कम 10 प्रतिशत संख्या बल होना चाहिए तभी जाकर उसे विपक्ष की नेता का दर्ज दिया जाता है।

विपक्ष के नेता का दर्जा पाने के लिए 10 प्रतिशत संख्या जरूरी

राज्यसभा के अधिकारियों ने कहा कि विपक्ष के नेता का दर्जा बनाए रखने के लिए सदन में अपने नेता के लिए एक पार्टी के पास कम से कम 25 सदस्य होने चाहिए। फिलहाल मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नेता होने के साथ ही सदन में विपक्ष के नेता हैं। कांग्रेस के पास लोकसभा में विपक्ष के नेता का दर्जा नहीं है क्योंकि सदन में उसकी वर्तमान संख्या सदन कुल सदस्यों के 10 प्रतिशत के आंकड़ों से कम है।

पंजाब के दो सदस्यों का खत्म हो रहा कार्यकाल

चुनाव आयोग ने हाल ही में राज्यसभा में 13 खाली पदों को भरने के लिए चुनाव की घोषणा की थी। इनमें पांच सीट पंजाब से और आठ सीट हिमाचल प्रदेश, असम, केरल, नागालौंड और त्रिपुरा के लिए हैं। पंजाब से अगले महीने रिटायर होने वाले सदस्यों में कांग्रेस के दो सदस्य शामिल हैं।

राज्यसभा में AAP का बढ़ेगा कद

पंजाब विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली आम आदमी के राज्यसभा सीटों में बढ़ोतरी होगी। आम आदमी पार्टी पंजाब विधानसभा में अपने तीन-चौथाई बहुमत के साथ, राज्यसभा में अपनी संख्या में काफी वृद्धि करेगी औऱ राज्य की सात सीटों में से कम से कम छह सीटें जीतने की स्थिति में होगी। इस साल असम, केरल, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस की संख्या में कमी आएगी।

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