लखनऊ. उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम में हुए 118 करोड़ रुपये के घोटाले पर सवाल उठाते हुए पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर और डॉ. नूतन ठाकुर ने जांच कराकर सरकार से कार्रवाई की मांग की है. अमिताभ और नूतन ठाकुर ने यह मांग प्रधान महालेखाकार द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को भेजी गई हाई स्पीड डीज़ल से सम्बंधित ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर की है.
छह पृष्ठों की यह रिपोर्ट बताती है कि राज्य परिवहन निगम ने वर्ष 2008 से बगैर टेंडर किये एक ही फर्म इन्डियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड को हाई स्पीड डीजल सप्लाई का काम दिया, जो कि नियम विरुद्ध था. इस प्रक्रिया की वजह से सरकार को करीब 118 करोड़ रुपये का घाटा हुआ.
अपनी रिपोर्ट में महालेखाकार ने सरकार को सूचित किया है कि उत्तर प्रदेश वस्तु खरीद नियमावली के अनुसार 25 लाख रुपये से ऊपर के किसी भी सामान की खरीद के लिए हर हाल में खुली निविदा की प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए. जबकि निगम ने हर साल हाई स्पीड डीज़ल की खरीद के लिए एक हज़ार से दो हज़ार करोड़ रुपये का भुगतान किया.
महालेखाकार की रिपोर्ट से पता चलता है कि 12 सितम्बर 2008 को इन्डियन आयल कारपोरेशन से किये गए करार को विधि विरुद्ध और नियम विरुद्ध आआगे बढ़ाया गया. यह करार अभी 31 मार्च 2022 तक चलना है.जो उत्तर प्रदेश की निविदा नीति के विरुद्ध है.
महालेखाकार ने लिखा है कि राज्य परिवहन निगम को इस करार की वजह से हर स्टेज पर भारी नुक्सान का सामना करना पड़ा है. जहाँ दूसरे राज्यों ने सही ढंग से निविदा प्रक्रिया का पालन किया और आयल कम्पनियों से भारी सहूलियत और रियायतें लीं वहीँ यूपी को यह लाभ नहीं मिल पाया.
राज्य परिवहन निगम ने एक तरफ इस तरह का करार किया तो दूसरी तरफ शासन को भी झूठे तथ्यों के ज़रिये भ्रम में रखा और कहा कि कोई अन्य आयल कम्पनी सामने नहीं आयी. जबकि सच बात यह है कि इस दौरान भारत पेट्रोलियम लिमिटेड और निजी कम्पनी एस्सार इससे बेहतर दर पर हाई स्पीड डीज़ल सप्लाई को तैयार थीं.
अमिताभ और नूतन ठाकुर ने कहा है कि महालेखाकार की इस ऑडिट रिपोर्ट से यह पता चलता है कि यह गंभीर भ्रष्टाचार का मामला है और इसकी उच्चस्तरीय जांच बहुत ज़रूरी है.