– जालसाज शिक्षिका अनामिका शुक्ला प्रकरण
– कासगंज सहित कई जनपदों की पुलिस को तलाश कौन है राज
कासगंज। जालसाज शिक्षिका अनामिका शुक्ला प्रकरण में एक नाम सामने आया है राज जिसका जिक्र अनामिका शुक्ला उर्फ अनामिका सिंह उर्फ प्रिया सिंह ने अपने वक्तव्य में किया है। उसने कहा है कि राज नामक व्यक्ति ने ही डेढ़ लाख रुपये लेकर कासगंज जनपद में फर्जी कागजातों के आधार पर उसकी कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में विज्ञान वर्ग की शिक्षिका के रूप में नौकरी लगवाई थी। उसके मुताबिक अन्य जनपदों में भी राज नामक व्यक्ति ने अन्य शिक्षिकाओं को भी नौकरी दिलाई है।
जालसाज शिक्षिका ने कासगंज पुलिस को राज नामक व्यक्ति के मोबाइल नंबर भी उपलब्ध कराए लेकिन यह मोबाइल नंबर सक्रिय नहीं है। फिर भी पुलिस ने इन नंबरों को सर्विलांस के माध्यम से जांच पड़ताल में डाल दिया है। यही नहीं पुलिस ने जाल साज शिक्षिका के मोबाइल नंबर के संपर्क में रहने वाले सभी संपर्क सूत्रों को तलाशना प्रारंभ कर लिया है। सर्विलांस के माध्यम से जाल साज शिक्षिका की फोन की कुंडली पूरी तरह तलाश की जा रही है। पुलिस का मानना है कि राज नामक व्यक्ति ही एक ऐसा सूत्र है। जिसके पकड़ में आने के बाद उसके माध्यम से यह जानकारी हो सकती है कि विभिन्न 25 जनपदों में अनामिका शुक्ला नाम की कितनी शिक्षिकाएं शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं। जिनके फर्जी दस्तावेज के आधार पर उन्हें जगह-जगह नौकरियां प्राप्त हुई हैं।
वैसे कासगंज के अलावा आस-पड़ोस के जनपद एटा, मैनपुरी, अलीगढ़, बदायूं, फर्रुखाबाद, क्षेत्र में भी जाल साज शिक्षिका अनामिका शुक्ला के नाम पर नौकरी करने वाली युवतियों एवं महिलाओं की तलाश की जा रही है। पुलिस का कहना है कि शिक्षा विभाग में जालसाजी के बाद सुर्खियों में आई अनामिका शुक्ला एवं उसका साथी राज मैनपुरी की निवासी बताया जा रहा है। यहां भी कासगंज पुलिस ने मैनपुरी पुलिस के साथ तालमेल बनाकर अनामिका शुक्ला एवं उसके साथी राज की तलाश आरंभ कर दी है। पुलिस की तलाश जारी है जब तक राज नामक व्यक्ति हिरासत में नहीं आ जाता तब तक उत्तर प्रदेश में तैनात हुई शिक्षिकाओं की स्पष्ट रूप से जानकारी नहीं मिल पाएगी।
अनामिका शुक्ला और राज जैसे जाने कितने लोग हैं जो तमाम विभागों से जुड़कर उनमें जालसाजी करते हैं। ऐसा ही शिक्षा विभाग से जुड़कर अनामिका शुक्ला और उसके साथी राज ने कर दिखाया इस मामले में प्रथम दृष्टया तो विभाग ही दोषी माना जाए, क्योंकि नियुक्ति के समय जो भी दस्तावेज अभ्यर्थी द्वारा दिए गए उनकी मूल रूप से गोपनीय जांच आखिर क्यों नहीं की गई। इस तरह के जब प्रश्न सामने उठते हैं तो शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में आ जाती है। इससे स्पष्ट होता है कि शिक्षा विभाग के भीतर बैठे भी कई राज जैसे जालसाज हो सकते हैं। जो विभाग में बैठे-बैठे इस तरह की जालसाजी को बढ़ावा दे रहे हो।
अनामिका शुक्ला और प्रिया सिंह और अनामिका सिंह के बयान के मुताबिक विभाग भी इस मामले में कम दोषी नहीं है। भले ही कासगंज में पकड़ी गई जाल साज शिक्षिका को टारगेट बनाकर विभाग अपने ऊपर पड़ने वाली कालिख से बचाव कर अपने दायित्वो से पल्ला झाड़ रहा हो। लेकिन विभाग भी उतना ही दोषी है। पकड़ी गई शिक्षिका को लेकर विभाग का कहना है कि उसके दस्तावेज नियुक्ति के समय जब विभाग को प्राप्त हुए तो उसके छायाचित्र धुंधले नजर आ रहे थे। इससे भी विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगना आवश्यक है। क्योंकि विभाग को उन छाया चित्रों को बदलकर ताजा छायाचित्र सबमिट कराने चाहिए, इसके अलावा संबंधित अभ्यर्थी को वेरीफाई भी करना चाहिए।
विभाग में रही खामियों के चलते ही आज उत्तर प्रदेश के 25 जिलों में अनामिका शुक्ला शिक्षिका पद पर कार्यरत हैं, और उनके साथी राज खुलेआम जालसाजी को बढ़ावा दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश के 25 जनपदों में नौकरी पाने वाली अनामिका शुक्ला इस मामले को लेकर जितनी दोषी है उतना ही दोषी शिक्षा विभाग भी है। हो सकता है कि शिक्षा विभाग में ही कोई राज हो जिसका राज पुलिस की गिरफ्त में आई जाल साज शिक्षिका खोल नहीं पा रही है।