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न्यूज 7 एक्सप्रेस ब्यूरो
लखनऊ। वैश्विक महामारी कोविड 19 कोरोना वायरस की दूसरी लहर से लड़ने के लिए उत्तर प्रदेश के तीन बड़ी आबादी वाले शहर लखनऊ, वाराणसी और कानपुर के लोगो ने गुरूवार की रात नौ बजे से कोरोना के खिलाफ जंग शुरू कर दी। आज 9 बजते ही शहर सुनसान हो गया। चारों और नजर डालने पर एक भी आदमी नहीं दिख रहा है।
1 अप्रैल से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ मे तेजी से बढ़ रही कोरोना के मरीजों की सख्ंया पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए 8 अप्रैल से 16 अप्रैल तक नौ घण्टे के रात्रि कर्फ्यू की घोषण कर दी ताकि लोग रात्रि नौ बजे से पहले अपने घरो के अन्दर चले जाए और रात को लगने वाली भीड़ कोरोना संक्रमण का कारण न बन सके।
हालाकि नौ घण्टे रोज रात्रि कर्फ्यू का एलान फिलहाल 16 अप्रैल तक ही किया गया है इन आठ दिनो मे कोरोना के मरीजो की बढ़ रही संख्या पर अगर ब्रेक लग गया तो मुमकिन है कि रात्रि कर्फ्यू की अवधि को 16 अप्रैल को समाप्त कर दिया जाए लेकिन अगर इसी तरह से कोरोना वायरस रफ्तार पकड़ता गया तो ये भी मुमकिन है कि शहर लखनऊ पहले की तरह विकेन्ड लाक डाउन या सम्पूर्ण लाक डाउन की तरफ बढ़ जाए लेकिन कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए शहरवासियो के मिजाज को देख कर ऐसा लगता नही है कि इस बार लोग कोरोना वायरस को हल्के मे लेकर लापरवाहिया जारी रखेंगे। साल 2020 मे 30 जनवरी को देश मे कोरोना वायरस का पहला मरीज मिला था।
पहले मरीज के मिलने के 55 दिन बाद पूरे देश मे 25 मार्च 2020 को सम्पूर्ण लाॅक डाउन 21 दिनो के लिए किया गया था लाक डाउन के दौरान आवश्यक वस्तुओ को छोड़ कर बाकी सभी प्रतिष्ठानो को पूरी तरह से बन्द कर दिया गया था। 21 दिनो का लाॅक डाउन कोरोना की रोकथाम के लिए प्रर्याप्त नही साबित हुआ तो लाॅक डाउन को कई चर्णो मे बढ़ाया गया और पूरे देश ने 68 दिनो का लाक डाउन झेला। लाक डाउन के बाद देशवासियो को अनलांक की सौगात मिली और हालात धीरे धीरे सामान्य हुए लेकिन साल 2021 मे मार्च का महीना आते आते कोरोना की दूसरी लहर ने फिर रफ्तार पकड़ी और अपै्रल की पहली तारीख से कोरोना ने डराना शुरू कर दिया।
7 अप्रैल 2021 को पूरे देश मे 1 लाख 15 हजार से ज्यादा मरीज मिले और मरीजो का ये आकड़ा अब तक का सबसे बड़ा आकड़ा साबित हुआ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ मे भी बुद्धवार की शाम कोरोना के मरीजो की सख्ंया की जो लिस्ट आई वो डराने वाली थी 24 घण्टो के दौरान राजधानी मे 13 सौ से ज्यादा कोरोना के मरीज मिले।
हालाकि कोरोना वायरस के दायरे को बढ़ने से रोकने के लिए सरकार वैकसीनेशन का काम युद्व स्तर पर चला रही है लेकिन दुनियां की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत मे जन जन तक इतनी जल्दी पहुॅच पाना आसान काम नही है। ऐसे हालात मे जरूरी है कि लोग सरकारी गाईड लाईन पर अमल करते हुए कोरोना वायरस के प्रकोप से खुद बचे ताकि कोरोना को बेकाबू होने से रोका जा सके।
नाईट कफर््यू के एलान के बाद दिन में भी शहर की सड़को पर रहा सन्नाटा
बुद्ववार की रात राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के तीन बड़े शहरो मे रात्रि कर्फ्यू के एलान के बाद गुरूवार की सुबह से ही लखनऊ शहर की सड़को पर वैसी चहल पहल नजर नही आई जैसे पहले नजर आती थी। भले ही कोरोना वायरस को कुछ लोग सामान्य वायरल मान कर इसके खतरे को हवा मे उड़ा रहे हो लेकिन शहर की अधिक्तर आबादी अब लापरवाही के मूड मे नजर नही आ रही है।
बुद्धवार की रात रात्रि कर्फ्यू के एलान के बाद अधिक्तर लोगो मे कोरोना वायरस के खतरे का डर साफ देखने को मिला। संवाददाता ने गुरूवार की सुबह से लेकर दोपहर तीन बजे तक शहर की विभिन्न सड़को का दौरा किया लेकिन लगभग सभी सड़के पहले के मुकामबले सूनी नजर आई। हालाकि गुरूवार होने के कारण वैसे भी पुराने लखनऊ मे आज के दिन साप्ताहिक बन्दी रहती है लेकिन साप्ताहिक बन्दी के दिन भी इतना सन्नाटा सड़क पर नजर नही आता है जितना सन्नाटा पुराने लखनऊ की सड़को पर आज देखने को मिला।
लगातार जारी है पुलिस का मास्क चेंकिग अभियान
कोरोना वायरस से बचने के लिए अचूक माने जाने वाले फेस मास्क को प्रत्येक व्यक्ति के मुंह तक पहुॅचने के लिए पुलिस का मास्क चेकिंग अभियान लगातार जारी है। हालाकि पुलिस का मास्क चेकिंग अभियान राजस्व बढ़ाने के लिए नही बल्कि कोरोना के खतरे से एक दूसरे को बचाने के लिए है लेकिन आम जनता की नजर और अधिकतर लोगो की सोंच के अनुसार पुलिस का मास्क चेकिंग अभियान जुर्माने की रकम से राजस्व बढ़ाने की मुहिम है।
यहां सवाल ये भी उठता है कि जो लोग ये सोंचते है कि पुलिस का मास्क चेकिग अभियान लोगो को परेशान करने के लिए है और राजस्व बढ़ाने के लिए है तो फिर ऐसी सोंच रखने वाले लोग मास्क लगा कर पुलिस की मंशा पर पानी क्ंयू नही फेरते है। यहां ये कहना भी शायद गलत नही होगा कि लोगो पर इलजाम लगाना तो आसान है लेकिन वैश्विक महामारी के इस दौर मे मास्क लगा कर सोशल डिस्टेंसग का पालन करना शायद कुछ लोगो के लिए आसान नही है।
अचानक बढ़ गई मास्क की बिक्री
फरवरी 2020 से पहले फेस मास्क को आम जनता इतना महत्वूपर्ण नही मानती थी जितना आज के समय मान रही है। देश मे कोरोना के पैर पसारने के बाद भारत में कुछ दिनो के लिए मास्क की मारा मारी रही और 10 रूपए मे मेडिकल स्टोर मे बिकने वाला मास्क लोगो ने 50 रूपए की कीमत तक खरीदा । मास्क की मारा मारी कइ महीनो तक जारी रही और एन 95 मास्क तो बाजार मे 2 सौ रूपए तक बिक गया लेकिन धीरे धीरे मास्क का निर्माण भारत मे बढ़ गया और आज आम दिनो मे मेडिकल स्टोर पर 10 रूपए मे बिकने वाला मास्क फुटकर बाजार मे सिर्फ से 5 रूपए का बिक रहा है।
लेकिन दो से पाॅच रूपए कीमत मे बिकने वाला मास्क ज्यादा से ज्यादा एक दिन ही इस्तेमाल किया जा सकता है। 25 मार्च से लागू हुए लॅाक डाउन में पूरे देश मे नही बल्कि पूरी दुनिया मे मास्क कारोबार मे जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई लेकिन बीच मे मास्क का कारोबार हल्का पड़ गया था लेकिन भारत मे कोरोना वायरस की दूसरी लहर आते ही मास्क के कारोबार मे फिर से जबरदस्त वृद्वि देखने को मिली और मौजूदा समय मे मेडिकल स्टोर के अलावा परचून और कास्मेटिक की अधिक्तर दुकानो पर मास्क की बिक्री जोरो से चल रही है।
तमाम बेरोजगार नौजवान थोक मे सौ रूपए के सौ मास्क खरीद कर दो रूपए और पाॅच रूपए प्रति मास्क फेरी में बेच रहे है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर आते ही मास्क के साथ धीरे धीरे सेनीटाईजर की कम हुई बिक्री भी बढ़ गई है अब लोग सेनेटाईजर की छोटी बोतल खरीद कर अपनी जेब मे रख कर चल रहे है और अपने और दूसरो के हाथो को सेनेटाईज भी कर रहे है।