24 सितंबर 2022 को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, ‘हमारे पास दुनियाभर में तबाही मचाने वाले खतरनाक हथियार हैं। पश्चिमी देश किसी झांसे में नहीं रहे, यह कोई गीदड़ भभकी नहीं है।’
पुतिन के बयान के 13 दिन बाद 7 अक्टूबर को अपनी पार्टी के लिए चंदा जुटाने के कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जबरदस्त पलटवार किया। उन्होंने कहा, ‘दुनिया अच्छी और बुरी ताकतों के बीच आखिरी जंग के करीब पहुंच गई है।’
इसके बाद से ही दुनिया के दो ताकतवर देशों के बीच तनी हुई है। एक्सपर्ट परमाणु जंग की संभावना जता रहे हैं। हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। 1962 में भी दोनों देश परमाणु जंग के मुहाने पर आ गए थे, लेकिन तब एक महिला की वजह से तबाही टल गई थी।
आज की स्टोरी में 1962 के उसी किस्से के बारे में जानेंगे जब रूस ने अमेरिका से सिर्फ 150 किलोमीटर दूर मिसाइल तैनात कर दी थी।
सबसे पहले इस तस्वीर को देखिए…
जब 1962 में अमेरिकी राष्ट्रपति के संदेश ने दुनियाभर के लोगों को डराया
4 सितंबर 1962 की सुबह अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी ने एक चेतावनी जारी की। अपने संदेश में राष्ट्रपति केनेडी ने अगले कुछ दिनों में जंग की संभावना जताई। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद एक बार फिर से परमाणु जंग जैसी हालात की बात सुनकर अमेरिका ही नहीं, दुनियाभर के लोग डर गए।
दरअसल, अमेरिका में फ्लोरिडा नाम का एक शहर है। सितंबर 1962 की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी को सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि इस शहर से 150 किलोमीटर दूर क्यूबा में रूस ने खतरनाक हथियार और मिसाइल तैनात की हैं।
इसके तुरंत बाद केनेडी ने अमेरिकी लोगों के लिए संदेश जारी किया था। करीब 40 दिन बाद 14 अक्टूबर को अमेरिकी जासूसी विमान ने 928 एरियल तस्वीरें खीचीं, जिसमें क्यूबा में एक-दो नहीं बल्कि परमाणु मिसाइलों का जखीरा होने की बात सामने आई।
साथ ही अमेरिका के बड़े हिस्से पर परमाणु हमले की संभावना भी जताई गई। जासूसी एजेंसी से मिले इस इनपुट ने अमेरिकी सरकार की नींद उड़ा दी। यह शीत युद्ध के सबसे नाजुक लम्हों में से एक था, जब दुनिया परमाणु जंग के करीब थी।
केनेडी का आदेश मिलते ही नौसैनिकों ने क्यूबा को चारों तरफ से घेरा
जॉन एफ. केनेडी को ये बात बर्दाश्त नहीं हुई कि रूस ने अमेरिका की नाक के नीचे परमाणु मिसाइल तैनात कर दी। केनेडी ने अपने भाषण में साफ किया कि वे अमेरिका के पड़ोस में परमाणु मिसाइलें बर्दाश्त नहीं करेंगे। साथ ही केनेडी ने इस जंग को अंजाम तक पहुंचाने की बात भी कही।
क्यूबा पर हमले की तैयारी होने लगी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपनी नौसेना को पूरी तरह क्यूबा को घेरने का आदेश दिया। इसके बाद आधुनिक हथियारों से लदे अमेरिकी नौसेना के बेड़े ने क्यूबा को चारों तरफ से घेर लिया।
क्यूबा ने हवा और मैदानी जंग के लिए खुद को कर लिया था तैयार
क्यूबा के राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो को इस बात का अंदाजा था कि जैसे ही अमेरिका को परमाणु मिसाइल तैनात होने की खबर मिलेगी, वह जवाबी हमला करेगा। इसी वजह से क्यूबा ने पहले ही खुद को तैयार कर लिया था। पत्रकार डेविड वॉलमैन ने स्मिथसोनियन मैग्जीन में लिखे अपने एक लेख में बताया था कि क्यूबा में टैंक, रडार और आधुनिक हथियार पहुंच रहे थे।
क्यूबा पर होने वाले हवाई हमले के लिए रूसी रडार और मिसाइल तैनात की गई थी। रूसी सैनिक भी क्यूबा पहुंच गए थे, लेकिन क्यूबा की नौसेना ने ज्यादा तैयारी नहीं की थी। ऐसे में अमेरिका ने नौसेना को अपने पड़ोस में कैरिबियाई सागर के बीच बसे इस देश को चारों तरफ से घेरने का आदेश दिया।
परमाणु जंग के मुहाने पर खड़ी दुनिया को एक महिला ने बचा लिया
4 सप्ताह तक दुनिया परमाणु जंग के मुहाने पर खड़ी रही। इस दौरान हर रोज क्यूबा और अमेरिका के लोग खौफ में अपनी जिंदगी जी रहे थे। दुनिया को इस खौफ से निकालने में एक महिला ने अहम भूमिका निभाई। इस अमेरिकी महिला का नाम था- जूआनिटा मूडी।
यह महिला अमेरिकी खुफिया एजेंसी में एक क्रिप्टोग्राफर के तौर पर काम करती थीं। मतलब ये कि इन्क्रिप्टेड कोड्स या संदेशों को पढ़ने का काम। अमेरिकी सेना ने कैरिबियाई सागर में क्यूबा को चारों तरफ से घेर लिया। अब तक रूस समुद्री रास्ते से ही क्यूबा को हथियार पहुंचा रहा था।
ऐसे में क्यूबा को हथियार देने के लिए रूस के पास अब जंग के अलावा कोई और रास्ता नहीं था। जब हथियार लेकर रूसी जहाजों का ये बेड़ा कैरिबियाई सागर पहुंचा तो जंग के हालात बन गए।
ऐसा लगा कि अब कुछ ही समय में दोनों तरफ से परमाणु मिसाइल छोड़ी जाएंगी, लेकिन तभी जूआनिटा मूडी ने देखा कि रूसी जहाजों के बेड़े में से एक ने अपना रास्ता बदल लिया और वह वापस रूस की ओर जाने लगा।
जूआनिटा को लगा कि यह सोवियत सेना का एक संकेत है और रूस अमेरिका से टकराना नहीं चाहता है। जूआनिटा ने सबसे पहले इस बात की जानकारी संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के राजदूत एडलाई स्टीवेंसन को दी। ऐसा इसलिए क्योंकि एडलाई स्टीवेंसन यूनाइटेड नेशन में बड़ी घोषणा करने वाले थे।
यह पहला संकेत था, जिससे अमेरिका को लगा कि रूस के साथ शांतिपूर्ण तरीके से हल निकाला जा सकता है। इसके बाद से ही शांति की पहल की शुरुआत हुई।
32 दिनों बाद अमेरिका से बात करने के लिए तैयार हुआ रूस
28 अक्टूबर 1962 को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ.केनेडी ने रूस के राष्ट्रपति निकिता ख्रुश्चेव को 2 संदेश भेजे। इसके बाद रूसी राष्ट्रपति ख्रुश्चेव की तरफ से भी केनेडी को एक मैसेज मिला। इस मैसेज में कहा गया था कि रूस परमाणु मिसाइल हटाने के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए अमेरिका को 2 शर्तें माननी होंगी।
पहली शर्त: अमेरिका क्यूबा पर हमला नहीं करेगा।
दूसरी शर्त: अमेरिका तुर्की में तैनात अपनी मिसाइलें हटा लेगा।
इस तरह दोनों देशों के बीच समझौता हो गया। इस तरह जूआनिटा मूडी ने दुनिया को परमाणु जंग से बचा लिया था।
क्यूबा की वामपंथी सरकार को बचाने के लिए रूस ने तैनात की मिसाइल
कोल्ड वॉर के बाद दुनिया दो धड़ों में बंट गई थी। एक तरफ अमेरिका तो दूसरी तरफ रूस था। 1959 में हुई वामपंथी क्रांति के बाद 1959 में अमेरिका के समर्थक राष्ट्रपति फुलगेंसिया बतिस्ता क्यूबा की सत्ता से बाहर हो गए। इनकी जगह पर फिदेल कास्त्रो क्यूबा के राष्ट्रपति बने। इसके बाद कास्त्रो ने क्यूबा में अमेरिका की आर्थिक संपत्ति को देश की संपत्ति घोषित कर दिया। इतना ही नहीं रूस के साथ करीबी संबंध भी स्थापित किए।
फिर अप्रैल 1961 में अमेरिका ने ऑपरेशन ‘बे ऑफ पिग्स’ के जरिए क्यूबा में कास्त्रो सरकार को गिराने का प्रयास किया। दरअसल, क्यूबा में सत्ता बदलने के बाद देश से निकाले गए करीब 1500 लोगों के समूह ने अमेरिका की मदद से ये विद्रोह किया था।
ऑपरेशन ‘बे ऑफ पिग्स’ असफल होने के करीब 14 महीने बाद जुलाई 1962 में क्यूबा ने रूस के साथ एक समझौता किया। इसके तहत रूस को क्यूबा में मिसाइल तैनात करने की अनुमति मिल गई।
इस तरह क्यूबा में वामपंथी सरकार को बचाने की जिम्मेदारी रूस ने अपने कंधे पर ले ली। इसके बाद से ही खतरनाक हथियार और मिसाइल क्यूबा भेजे जा रहे थे। इसी के परिणाम स्वरूप रूस और अमेरिका दोनों जंग के मुहाने पर पहुंच गए थे।
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