सर्वेश तिवारी
जंग में अगर सब जायज है तो आज रूस और यूक्रेन की लड़ाई में यही देखने को मिल रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से ही बेलारूस रूस का अहम सहयोगी बना हुआ है। बेलारूस ने यूक्रेन की राजधानी कीएव पर आक्रमण के लिए रूस की सेनाओं को अपनी ज़मीन का इस्तेमाल करने दिया था।
हालांकि कीएव पर हमले की ये कोशिश नाकाम रही थी। ये अलग बात है कि पहले बेलारूस के तानाशाह एलेक्जेंडर लुकाशेंको ने कहा था कि उनकी सेना रूस यूक्रेन युद्ध में तभी शामिल होगी जब उनके देश पर पहला हमला होगा। मीडिया से कम बात करने वाले लुकाशेंको ने कहा था कि वे रूस के साथ युद्ध करने के लिए तैयार हैं, लेकिन ऐसा तभी होगा जब कोई एक यूक्रेन सैनिक भी उनके क्षेत्र में घुस कर उनके लोगों को मारने का प्रयास करेगा। वहीं चीन की बात करें तो यूक्रेन युद्ध को लकर अभी तक वो तटस्थ बना हुआ है।
लेकिन मीडिया रिपोर्ट और जानकारों की बात करें तो विश्व युद्ध की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। चीन राष्ट्रीय संभ्रुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के अधिकार की बात करता है और यूक्रेन और रूस दोनों के लिए ही ये बेहद अहम बिदु हैं। लेकिन चीन ने अभी तक यूक्रेन युद्ध को लेकर खुलकर रूस की आलोचना नहीं की है और कहीं ना कहीं प्रत्यक्ष रूप से उसने रूस के युद्ध प्रयासों में उसकी मदद ही की है। चीन के सरकारी मीडिया ने युद्ध के लेकर रूस के नज़रिए को प्राथमिकता से जगह दी है।
चीनी सरकार ने पिछले सप्ताह अमेरिका के उस दावे को खारिज किया था जिसमें कहा गया था कि चीन रूस के लिए हथियार भेजने पर विचार कर रहा है। लेकिन रूस और बेलारूस को लेकर ऐसा नहीं है। रूस और बेलारूस ने हालही में अपना संयुक्त वायुसेना अभ्यास किया । इससे कीव और पश्चिम के देशों में डर का माहौल बनना स्वाभाविक था।
संयुक्त वायुसेना अभ्यास को लेकर बेलारूस ने कहा था कि रूस के साथ उसका अभ्यास महज रक्षात्मक है। अब चिता इस बात को लेकर भी है कि मॉस्को यूक्रेन के साथ युद्ध में शामिल होने के लिए बेलारूस पर दबाव डाल रहा है। यूक्रेन ने लगातार बेलारूस से संभावित हमलों की चेतावनी दी है।
हैरत की बात ये है कि यूक्रेन पर हमला करने वाला रूस 2०3० तक पड़ोसी और मित्र देश बेलारूस पर भी कब्जा करना चाहता है। यूक्रेन के सबसे बड़े अखबार ‘कीव इंडिपेंडेंट’ ने कुछ लीक हुए डॉक्यूमेंट्स के आधार पर यह दावा किया है। इस दस्तावेज के दो हिस्से हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, एक तरफ तो व्लादिमिर पुतिन की सरकार यूक्रेन पर कब्जे की कोशिश कर रही है तो दूसरी तरफ वो बेलारूस को लेकर भी अच्छे इरादे नहीं रखती।
यह तब है जब बेलारूस सरकार और वहां के प्रेसिडेंट एलेक्जेंडर लुकाशेंको यूक्रेन के खिलाफ जंग में पुतिन की हर मुमकिन मदद कर रहे हैं। अमेरिका, यूरोप और कीव इंडिपेंडेंट के एक जर्नलिस्ट ग्रुप के हाथ 17 पेज का डॉक्यूमेंट लगा है। इसमें कथित तौर पर उस प्लान की डीटेल्स हैं जो रूस ने बेलारूस पर कब्जे के लिए बनाया है। यह साफ तौर पर बेलारूस की आजादी छीनने की साजिश है।
दस्तावेज में विस्तार से बताया गया है कि किस तरह रूस अपने फ्रेंडली नेशन बेलारूस की पॉलिटिकल, इकोनॉमिक और मिलिट्री पर दबदबा बनाने की कोशिश कर रहा है। उसका इरादा 7 साल में यानी 2०3० तक पूरी तरह बेलारूस को कंट्रोल में लेने का है। डॉक्यूमेंट में बताया गया है कि 2०3० तक रूस इस देश में वही करंसी और टैक्स सिस्टम लाना चाहता है जो इस वक्त रूस में है। मीडिया पर भी कंट्रोल किया जाएगा।
बेलारूस की फौज को वही रूल्स मानने होंगे जो रूस की आर्मी फॉलो करती है। इतना ही नहीं बेलारूस के तमाम बड़े मिलिट्री इंस्टालेशन्स रूस शिफ्ट किए जाएंगे। यूक्रेन अखबार ने खुद इस लीक डॉक्यूमेंट को पब्लिश नहीं किया है। एक वेस्टर्न इंटेलिजेंस सूत्र के मुताबिक- रूस की कई एजेंसीज ने मिलकर यह दो हिस्सो का प्लान तैयार किया है। पहला हिस्सा- 2०22 से 2०25 तक चलेगा। दूसरा और आखिरी भाग- 2०25 से 2०3० के दौरान अमल में लाया जाएगा। रूस की डोमेस्टिक, फॉरेन और मिलिट्री इंटेलिजेंस एजेंसीज ने इसे तैयार किया है।
हालांकि ये दावा पूरी तरह से एक रिपोर्ट और उसके सूत्रों पर ही आधारित है। ये वही रूस है जिसने कुछ ही दिनों पहले दुनिया की सबसे शक्तिशाली, अजेय और घातक हाइपरसोनिक मिसाइल को सेना में शामिल कर लिया है। इसकी रफ़्तार 33०76 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह धरती पर कहीं भी किसी भी टारगेट को 3० मिनट में हिट कर सकती है। यह एक परमाणु मिसाइल सिस्टम है।
रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इस मिसाइल की तैनाती के साथ ही उनके स्ट्रैटेजिक मिसाइल फोर्स की ताकत बढ़ गई है। हालांकि एक तुलना के रूप में देखें, तो कॉनकोर्ड का विमान ध्वनि की दोगुना गति से उड़ान भरता था। वो एक सुपरसोनिक विमान था जिसकी अधिकतम रफ्तार 218० किलोमीटर प्रति घंटा थी।
अमेरिकी वेबसाइट मिलेट्री डॉट कॉम के मुताबिक इस हथियार की स्पीड इतनी तेज है कि उसके सामने वायु दबाव, एक प्लाज्मा बादल निर्मित कर देता है, जो रेडियो तरंगों को सोख लेता है। इसी से किन्जाल यानी खंजर मिसाइल और दूसरे हाइपरसोनिक हथियार रडार प्रणालियों की पकड़ में नहीं आ पाते हैं। उनकी इस खूबी को और मजबूत बना देती है उनकी नीची उड़ान।