नई दिल्ली। राजनीतिक पार्टियों द्वारा चुनाव के दौरान की जाने वाली मुफ्त घोषणाएं कितना सही है, इस सवाल पर विभिन्न पार्टियों का मत अलग-अलग है। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। आज कोर्ट में मुफ्त घोषणाओं यानी रेवड़ी कल्चर के खिलाफ दायर याचिका पर अगली सुनवाई होगी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राजनीतिक दलों से सुझाव मांगा था और कहा था कि यह चिंता जनता के पैसों को सही तरीके से खर्च करने को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट ने बीते 10 अगस्त को कहा था कि चुनाव के दौरान दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार देने का वादा करना और उपहार बांटना एक “गंभीर मुद्दा” है, जबकि यह राशि बुनियादी ढांचे पर खर्च करने की जरूरत है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रेवड़ी कल्चर को गंभीर माना था। कोर्ट का दो टूक कहना था कि पैसों का उपयोग इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए होना चाहिए। इस मामले में आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट को तर्क दिया था कि कल्याणकारी योजनाओं और मुफ्त के रेवड़ी कल्चर में अंतर है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अर्थव्यवस्था, पैसा और लोगों के कल्याण के बीच संतुलन जरूरी है।
रेवड़ी कल्चर पर पीए मोदी और केजरीवाल आमने-सामने
16 जुलाई 2022 को उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रीबीज पर निशाना साधा था। मोदी ने कहा था, ‘रेवड़ी कल्चर देश के विकास के लिए बहुत ही खतरनाक है। हमें मिलकर इस सोच को हराना होगा और इस कल्चर को राजनीति से हटाना होगा।’
पीएम मोदी के रेवड़ी कल्चर वाले बयान पर 16 जुलाई को ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था, ‘बच्चों को मुफ्त शिक्षा और लोगों को फ्री में इलाज देना मुफ्त रेवड़ी बांटना नहीं है। हम एक विकसित और गौरवशाली भारत की नींव रख रहे हैं।’
कांग्रेस ने भी पीएम मोदी को घेरा था
कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके ‘रेवड़ी कल्चर’ वाले बयान पर घेरा था। कांग्रेस ने कहा था, “देश में इस बार 14 जनवरी के पहले रेवड़ियों की चर्चा बहुत हो रही है। लेकिन समस्या यह है कि देश की सरकार को मुफ्त की रेवड़ियां तो दिखती हैं। लेकिन जो मुफ्त की गजक बंट रही है, वह उन्हें दिख नहीं रही है। आप कहेंगे कि रेवड़ी और गजक में क्या अंतर है? रेवड़ी गुड़, चाशनी, तिल और घी के मिश्रण से बनती है। उस एक मिश्रण से, जिससे एक गजक बनती है, उसमें सैकड़ों रेवड़ियां बन जाती हैं। अगर मुफ्त की रेवड़ियां खराब हैं तो मोदी जी मुफ्त की गजक कैसे अच्छी हो गई?”