नई दिल्ली। बिहार की राजधानी पटना का डाकबंगला चौक देश-दूनिया के बाकी चौक-चौराहों की ही तरह है लेकिन खबरें यहां से ज्यादातर पुलिस लाठीचार्ज की ही आती हैं। क्योंकि ये वो सरहद है जिसे सरकार ने आवाज उठाने वालों के लिए तय किया है। रवायत ऐसी बन गई है कि आवाज उठाने वालों का इससे आगे जाना सरकार के इकबाल पर सवाल बन जाता है और यहां से लौट जाना आवाज पहुंचाने वालों की हार।
इसलिए सरकार के खिलाफ और सरकार से मांग दोनों तरह के संघर्ष जब सड़क पर होते हैं तो डाकबंगला चौक रणक्षेत्र बन जाता है। सोमवार को फिर पुलिस ने लोगों को पीट दिया। आधी पिटाई शिक्षक बहाली को लेकर आंदोलन कर रहे बेरोजगारों की हुई। आधी पप्पू यादव की पार्टी जाप के प्रदर्शन में शामिल लोगों की। बात शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों की करते हैं।
राज्य में नीतीश कुमार ने जब से महागठबंधन की नई सरकार बनाई है तब से सरकार और विपक्ष दोनों ही तरफ के नेता नौकरी और रोजगार पर बात कर रहे हैं। सत्ता और विपक्ष दोनों का एजेंडा रोजगारमय हो गया है। 2020 के चुनाव में आरजेडी ने वादा किया था कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनेंगे तो 10 लाख नौकरी देंगे और कैबिनेट की पहली बैठक में भर्ती का आदेश जारी करेंगे। जवाब में बीजेपी ने भी 19 लाख रोजगार का वादा तब किया था। नीतीश का आधा कार्यकाल बीजेपी के साथ ही निकला लेकिन उसमें 19 लाख के बदले कितना रोजगार मिला, ये पिछली सरकार में हर महीने बेरोजगारों पर बरस रही लाठियां बता ही रही थीं।
सरकार बदलने पर सूरत बदलने की उम्मीद सोमवार को स्वाहा हो गई जब पटना के एडीएम ने तिरंगा हाथ में लेकर नौकरी मांगने आए एक युवक को खुद ही पीट दिया। ये सब तब हुआ जब नीतीश ने 15 अगस्त को अपने भाषण में तेजस्वी यादव के 10 लाख रोजगार को बढ़ाकर 20 लाख कर दिया। नीतीश की नई सरकार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने एक दिन पहले कहा था कि नीतीश के 20 लाख रोजगार में अकेले शिक्षा विभाग में 3.50 लाख बहाली होगी।
बिहार में 2006 से ही शिक्षकों की चरणबद्ध भर्ती चल रही है। 16 साल में 6 चरण की भर्ती हुई है। सातवें चरण की बहाली का नोटिफिकेशन निकालने और छठे चरण की भर्ती में खाली रह गई सीटें भरने की मांग को लेकर पटना में ये प्रदर्शन था। बेरोजगार बस इतना कह रहे हैं कि भाषण मत दो, वादा मत करो, ऐलान मत करो, नोटिफिकेशन जारी कर दो जिससे भर्ती सच में शुरू हो सके।
छठे चरण की भर्ती 94 हजार पदों की थी। शुरू हुई 2019 में और खत्म हुई 2022 में। फिर भी 50 हजार से ज्यादा पद खाली रह गए। आंदोलनकारी बेरोजगार उन खाली पदों को भी भरने की मांग कर रहे हैं। सरकार ने कहा था कि जुलाई के अंत तक सातवां चरण शुरू हो जाएगा लेकिन अगस्त खत्म होने को है और कोई सुगबुगाहट भी नहीं है। बहाली की प्रक्रिया में आई सुस्ती को तोड़ने के लिए बेरोजगार प्रदर्शन कर रहे थे।
बेरोजगारों का संकट वैसे और भी गहरा है। बहाली की तारीख निकलने के बाद एक-एक कैंडिडेट को दर्जनों जगह नौकरी के लिए अप्लाई करना होगा क्योंकि पूरी प्रक्रिया ऑफलाइन है। कोई कैंडिडेट ग्राम पंचायत में अप्लाई करेगा, कोई नगर पंचायत में, कोई नगर परिषद में, कोई जिला परिषद में। नौकरी का चांस बढ़ाने के लिए एक साथ कई जगह अप्लाई करने का चलन है। लोग कहते हैं कि कुछ कैंडिडेट सौ से ज्यादा जगह भी अप्लाई करते हैं। आंदोलनकारियों की एक मांग ये भी है कि इस प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया जाए ताकि लोग जगह-जगह अप्लाई करने से बच सकें।
डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने लाठीचार्ज के बाद पटना के डीएम से बात की, पटना डीएम ने जांच बिठाई है। हो सकता है लाठी मारने वाले एडीएम को ट्रांसफर या सस्पेंड भी कर दिया जाए। लेकिन बात तो भर्ती और रोजगार की है। दस लाख नौकरी के वादे की है। बीस लाख रोजगार की है।
जब वादे इतने बड़े हैं तो दिल भी बड़ा होना चाहिए। डाकबंगला चौक पर जाकर शिक्षा सचिव या शिक्षा मंत्री सीधे बेरोजगारों को बता सकते थे कि बहाली शुरू होगी और इस तारीख तक नोटिफिकेशन निकल जाएगा। लेकिन इसी को सिस्टम कहते हैं। सरकार बदलती रहती है। लेकिन डाकबंगला चौक पर पुलिस वैसे ही लाठियां बरसाती रहती है।