लखनऊ। सरकारी कामों में हुई लापरवाहियों की पोल लगातार खुलती जा रही है। बारिश के कारण इंजीनियरों के कारनामे लगातार सामने आ रहे है। ऐसा ही एक मामला लखनऊ में दिखाई दिया। उल्लेखनीय है कि पॉलीटेक्निक ढाल से कलेवा तक नवनिर्मित आरसीसी नाला ढहने के मामले में मुख्य अभियंता समेत चार अभियंताओं को दोषी माना गया है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति करते हुए नगर आयुक्त ने शासन का रिपोर्ट भेज दी है। साथ ही ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। नाला निर्माण में जमकर अनियमितता बरती गई थी। नगर निगम के अभियंताओं ने बिना अनुमति नाले का निर्माण शुरू करा दिया था जो 28 जून को मामूली बारिश में ढह गया था। नगर आयुक्त ने जांच का आदेश दिया था। अपर नगर आयुक्त अनिल मिश्र की अध्यक्षता में जांच हुई। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि 14 वें वित्त आयोग की धनराशि से यह नाला पहले लाल बहादुर शास्त्री प्रथम वार्ड में बनना था जो बाद में बिना मण्डलायुक्त से अनुमति लिए स्थान परिवर्तन कर दिया गया।
सूत्रों से मिल रही खबरों के अनुसार मैथलीशरण गुप्त वार्ड में स्थानांतरित हुए नाले के निर्माण कार्य की शिकायत भी हुई लेकिन उसका संज्ञान नहीं लिया गया। जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि गुणवत्ता की जांच के लिए उपयोग की गई सामग्री आईआईटी कानपुर भेज दी गई है। साथ ही नाला निर्माण में तकनीकी पहलू का ध्यान नहीं दिया गया। नाले की दीवार में जगह-जगह न तो बीप होल छोड़ा गया और न जोड़ बनाया गया। जबकि नेशनल हाईवे होने के कारण इस मार्ग पर बड़े-बड़े वाहनों का दबाव बहुत ज्यादा है। जांच रिपोर्ट के आधार पर नगर निगम के मुख्य अभियंता एसपी सिंह, तत्कालीन नगर अभियंता देशदाज सिंह, सहायक अभियता डीएस त्रिपाठी व अवर अभियंता आलोक कुमार को दोषी माना गया है।
शासन के कड़े रूख को देखते हुए आला अधिकारी हलकान दिखाई दे रहे है। वहीं नगर आयुक्त डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी ने अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति करते हुए प्रमुख सचिव नगर विकास को रिपोर्ट भेज दी है। साथ ही ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। नाला निर्माण में अनियमितता व अभियंताओं की मनमानी की शिकायत मैथलीशरण गुप्त वार्ड के पार्षद दिलीप श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री से लेकर नगर आयुक्त से कई बार की थी। पीडब्ल्यूडी ने आपत्ति भी की थी। नाला गिरने के बाद निरीक्षण करने पहुंची महापौर संयुक्ता भाटिया ने टीएसी जांच के आदेश दिए थे। इस जांच में कई गड़बड़ियां सामने आ रहीं है। इसको देखते हुए माना जा रहा है कि शासन इन इंजीनियरों और इन्हे शह देने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई कर सकती है।