लखनऊ। आने वाले कुछ समय में नगर निगम की कुर्सियों पर नए चेहरे दिखाई देंगे। 10 से 15 साल से एक ही कुर्सी पर जमे इन कर्मचारियों को हटाया जाना है। नगर निगम ने पहले से ही ऐसे कर्मचारियों की सूची तैयार कर ली थी, लेकिन अब मुख्य सचिव का आदेश जारी होने के बाद से नगर निगम ने तेजी दिखा दी है। माना जा रहा है कि बुधवार को दफ्तर खुलने के साथ ही कुर्सियों में बदलाव हो सकता है। इसमें लिपिकीय संवर्ग के साथ ही लेखा लिपिक और लेखाकार भी शामिल हैं। अभी कुछ दिन पहले ही नगर निगम ने तीन साल से एक जोन में तैनात राजस्व निरीक्षकों को हटाया था।
नगर निगम ने समूह ‘ग’ के कर्मचारियों की मौजूदा तैनाती की रिपोर्ट तैयार की है। इसमें 225 कर्मचारियों के बारे में जानकारी मिली थी कि वह तीन साल या फिर उससे अधिक समय से एक ही कुर्सी पर तैनात हैं, लेकिन इसमें वह कर्मचारी भी आ रहे थे, जिनका काम अच्छा माना जाता है।
इसलिए पांच साल की तैनाती को आधार माने जाने पर विचार हो रहा था, लेकिन अब मुख्य सचिव का आदेश आने से तैयार की गई सूची को ही फाइनल मान लिया जाएगा। कुछ कर्मचारी फिर से अच्छी कुर्सी पाने के लिए जुगाड़ में लग गए तो कई कर्मचारी नेताओं की भी परंपरागत सीट बदल जाएगी।
कर अधीक्षक भी बदल जाएंगेः कई साल से एक ही जोन में तैनात कर अधीक्षकों को भी बदला जाएगा। निकाय चुनाव को लेकर वार्ड परिसीमन के कारण इन कर अधीक्षकों का तबादला रोक दिया गया है और परिसीमन होते ही उन्हें एक से दूसरे जोन में भेजा जाएगा। दरअसल जोन चार में जोनल अधिकारी के पद पर सुभाष त्रिपाठी की तैनाती हुई है, लेकिन वहां पर पहले से वरिष्ठ कर अधीक्षक तैनात हैं।
इसमें राजेंद्र पाल और राजू गुप्ता, सुभाष त्रिपाठी से दस साल वरिष्ठ हैं और इसे लेकर जोन चार में अंदुरुनी विरोध होने लगा है। इस विरोध को शांत करने के लिए राजेंद्र पाल और राजू गुप्ता को जोन चार से हटाया जा सकता है। नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि परिसीमन के बाद कर अधीक्षकों के जोन भी बदले जाएंगे।
चतुर्थ श्रेणी कर्मी भी हटेंगेः नगर निगम पहली बार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का भी तबादला करने जा रहा है। इसकी सूची भी तैयार हो रही है। इससे उन चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को भी हटना पड़ेगा जो कथित तौर पर लिपिक का काम देख रहे हैं। इसी तरह इंजीनियरिंग में तैनात सुपरवाइजरों पर भी तबादले की आंच आएगी।