लखनऊ। गोलागंज स्थित सेंटीनियल कालेज पर अवैध कब्जा करने के मामले में मंगलवार को शासन ने दूसरी बड़ी कार्रवाई की है। शासन स्तर पर की गई कार्रवाई में तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक व मौजूदा समय में एडी बेसिक डा मुकेश कुमार सिंह को निलंबित कर दिया गया है। इतना ही नहीं मामले में लिपिक आलोक कुमार सिंह और दाताराम की गिरफ्तारी की कार्रवाई भी तेज होने की बात सामने आई है।
साफ है कि सरकार अवैध कब्जे और भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति को अपना रही है। तत्कालीन डीआईओएस व वर्तमान एडी बेसिक के निलंबन के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों में खलबली है।
चार साल तक डीआईओएस लखनऊ रहे डा मुकेश कुमार : डा मुकेश कुमार चार दो वर्ष पूर्व करीब चार साल तक जिला विद्यालय निरीक्षक लखनऊ रहे। इसके बाद उनका तबादला बरेली हो गया। बरेली में करीब साल भर रहने के बाद मुकेश कुमार को लखनऊ मंडल के एडी बेसिक की जिम्मेदारी सौंपी गई। मुकेश कुमार ने अभी हाल ही में लखनऊ में एडी बेसिक की जिम्मेदारी संभाली थी।
जानिए पूरा मामला और क्या हुई थी कार्रवाई : सेंटीनियल कालेज में अवैध कब्जा कर निजी स्कूल के संचालन कि बात सामने आने के बाद इससे पूर्व करीब 14 जुलाई को शासन ने बड़ी कार्रवाई की है। शासन ने सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल की जमीन पर मैथाडिस्ट चर्च स्कूल को मान्यता देने के मामले में बीएसए विजय प्रताप सिंह व तत्कलीन एडी बेसिक (वर्तमान में) प्रयागराज में डीआईओएस पद पर तैनात पीएन सिंह को निलंबित कर दिया था।
बीएसए व एडी बेसिक पर आरोप था कि उन्होंने मान्यता देते समय गहनता से जांच नहीं की। यही कारण रहा कि शिक्षा माफिया सेंटीनियल इंटर कालेज पर कब्जा करने में सफल रहे। बीएसए को बेसिक शिक्षा निदेशक शिविर कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया था।
कैसरबाग बस अड्डे के पास गोलागंज स्थित 139 साल पुराने सेंटीनियल इंटर कालेज पर कब्जा कर ताला लगा दिया गया और वहां पर मैथाडिस्ट चर्च स्कूल नाम से स्कूल शुरू कर दिया गया था। जांच में सामने आया था कि लालबाग गर्ल्स कालेज की सेवानिवृत्त प्राचार्य अरनिमा रिसाल सिंह समेत अन्य लोगों ने स्कूल भवन व खेल के मैदान पर अवैध कब्जा किया गया था।
जिसके बाद जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार ने मौके पर पहुंच कर सेंटीनियल कालेज पर हुए कब्जा मुक्त कराया था। डीएम ने मामले की जांच के आदेश दिए थे। प्रमुख सचिव दीपक कुमार की ओर से जारी आदेश के बाद बीएसए विजय प्रताप सिंह व तत्कालीन एडी बेसिक पीएन सिंह को निलंबित कर दिया गया।
प्रधान सहायक को भी किया गया था निलंबित : अपर शिक्षा निदेशक बेसिक अनिल भूषण चतुर्वेदी की ओर से की गई कार्रवाई के तहत प्रधान सहायक द्वारा भी मेथोडिस्ट चर्च स्कूल को मान्यता दिए जाने में घाेर लापरवाही बरती गई थी, इसके चलते मामले में प्रधान सहायक मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशालय बेसिक षष्ठ मंडल दाता प्रसाद को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया था।
दाता प्रसाद के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ ही मामले की जांच के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) लखनऊ को पदेन अधिकारी नामित किया गया था। निलंबन के दौरान दाता प्रसाद को सीटीई लखनऊ में संबद्ध किया गया था।
मान्यता देने में किया गया था खेल : शासन की ओर से जारी पत्र के अनुसार कक्षा एक से पांच तक की मान्यता बीएसए स्तर पर और कक्षा 6 से 8 तक की मान्यता मंडल स्तरीय अधिकारी मान्यता देते हैं। जांच में पाया गया था कि मैथोडिस्ट चर्च स्कूल को कक्षा 5 तक की मान्यता दी गई है। मगर बीएसए स्तर पर इसकी गहनता से जांच नहीं की गई।
शिक्षा विभाग के लोगों के अनुसार सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल की जमीन जो विभाग में बंधक होती है। उस पर निजी स्कूल को मान्यता नहीं दिया जा सकता। ऐसे में बीएसए ने बिना जांच किए ही सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल सेंटीनियल कॉलेज की जमीन पर निजी स्कूल को मान्यता दे दी थी, मान्यता देने में बरती गई लापरवाही पर महानिदेशक स्कूल शिक्षा संस्तुति के बाद बीएसए विजय प्रताप सिंह को निलंबित किया गया था।