लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन के कारण बड़े छोटे बिल्डर और प्राधिकरण एवं परिषद अपने निर्मित मकानों और फ्लैटों को बेच नहीं पा रहे हैं। लॉकडाउन से जहां व्यापार और उद्योग धंधा कमजोर हुआ है तो मकान और फ्लैट की कीमत में भी गिरावट आई है। इसको लेकर प्राइवेट लॉबी और शासन स्तर पर मंथन चल रहा है।
प्रदेश के प्राइवेट बिल्डरों की हालत बेहद कमजोर हो चुकी है। लॉकडाउन ने उनके व्यापार पर पूरी तरह से बंदिश लगा दी है। बीते तीन माह से ना कोई फ्लाइट बिका है और ना ही कोई मकान ही बिक सका है। जिन लोगों ने मकान या फ्लैट खरीदने के लिए एडवांस रुपए दिए थे, अब वह भी बिल्डरों से अपने रुपये वापस मांगे हैं। बड़े बिल्डरों के पास रखी हुई पूंजी भले लॉकडाउन और आने वाले दिनों में काम आ जाए लेकिन छोटे बिल्डरों की तो यह स्थिति है कि उनके पास पूंजी समाप्त होने को है। और जो पूंजी उनकी फ्लैट और मकानों को बनाने में लगी है, वह निकल नहीं पा रही है।
दूसरी तरफ प्राधिकरण और आवास विकास परिषद के मकानों एवं फ्लैटों को बेचने के लिए भी शासन स्तर पर मंथन चल रहा है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आवास विकास परिषद के 10044, लखनऊ विकास प्राधिकरण में लगभग 3200 समेत प्रदेश के अन्य विकास प्राधिकरणों में करीब 25000 फ्लैट्स-मकानें खाली हैं।
प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार ने कहा कि लॉकडाउन के समाप्त होने के बाद आवास बंधु के प्रस्ताव पर विचार बैठक होनी है। आवास बंधु की तरफ से प्राधिकरण और आवास विकास परिषद के बने फ्लैटों व मकानों को बेचने के लिए लंबे किस्त की योजना का प्रस्ताव भेजा गया है। इस पर आगामी बैठक पर विचार होगा। हम अपने फ्लैट और मकान बेचने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 1996 के बाद से फ्लैट और मकान की बिक्री को लेकर कभी भी लंबे किस्त की योजना नहीं बनी। 96 से पहले इस प्रकार की योजना प्रदेश में थी। लंबे किस्त योजना से फ्लैट या मकान खरीदने वालों को सुविधा हो जाएगी।
वहीं प्राइवेट बिल्डरों के लिए अभी अपने फ्लैट और मकान बेचने का दौर चुनौतीपूर्ण है। प्राइवेट बिल्डरों का मानना है कि वर्तमान स्थिति में वह कुछ भी करने की स्थिति में नहीं है। लॉकडाउन के बाद जैसा मौका मिलेगा, वहां उस प्रकार से अपने फ्लैट और मकान बेचने के लिए ऑफर लाएंगे।