लद्दाख में सीमा विवाद : कम्प्लीट डिसएंगेजमेंट और मुद्दों को तेजी से हल करने पर सहमति बनी

नई दिल्ली। लद्दाख में सीमा विवाद के बीच भारत-चीन में गुरुवार को एक बार फिर बातचीत हुई। वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड को-ऑर्डिनेशन (डब्ल्यूएमसीसी) की 18वीं मीटिंग में दोनों देशों के जॉइंट सेक्रेटरी लेवल के अफसर शामिल हुए।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दोनों देशों में कम्प्लीट डिसएंगेजमेंट और मुद्दों को तेजी से हल करने पर सहमति बनी है। दोनों देशों का मानना है कि आपसी रिश्ते सुधारने के लिए सीमा में शांति की जरूरत है। इसमें यह भी तय किया गया कि आगे भी बैठकें होती रहेंगी।

पिछली बैठक की सहमति के बावजूद चीन का अड़ियल रवैया
डब्ल्यूएमसीसी की 17वीं बैठक पिछले महीने हुई थी। उसमें दोनों देश इस बात पर राजी हुए थे कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर पूरी तरह डिसएंगेजमेंट यानी सैनिकों को पीछे हटाने की प्रोसेस जल्द पूरी कर ली जाएगी। इस बात पर भी सहमति बनी थी कि रिश्ते सुधारने के लिए एग्रीमेंट और प्रोटोकॉल के मुताबिक बॉर्डर के इलाकों में डी-एस्क्लेशन कर पूरी तरह शांति रखना जरूरी है।

चीन 3 इलाकों से पीछे नहीं हट रहा
आर्मी और डिप्लोमैटिक लेवल की कई राउंड की बातचीत के बावजूद चीन पूर्वी लद्दाख के फिंगर एरिया, देप्सांग और गोगरा इलाकों से पीछे नहीं हट रहा। चीन के सैनिक 3 महीने से फिंगर एरिया में जमे हुए हैं। अब उन्होंने बंकर बनाने और दूसरे अस्थायी निर्माण करने भी शुरू कर दिए हैं।

कुलभूषण जाधव में हम पाकिस्तान से संपर्क में हैं
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ‘हम डिप्लोमेटिक चैनलों के जरिए पाकिस्तान से संपर्क में हैं। कुलभूषण जाधव मामले में हम इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) के फैसले के तहत स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई की मांग करते हैं। हमने जाधव को एक भारतीय वकील देने के लिए कहा है।’ हालांकि, पाकिस्तान को मुख्य मुद्दों को देखने की जरूरत है। इसमें जरूरी दस्तावेज और कुलभूषण को काउंसलर एक्सेस मुहैया कराना है।

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