जैफरी गैटलमैन
भारत, मैक्सिको, रूस, ईरान और पाकिस्तान समेत कई देशों में कोरोनावायरस के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन सरकारों ने लॉकडाउन हटाने का फैसला किया है। लीडर्स को यह लगने लगा है कि बीमारी से ज्यादा अर्थव्यवस्था पर ध्यान देना जरूरी है। विकासशील देशों समेत कई अन्य राष्ट्रों के नेताओं के मुताबिक, आर्थिक तबाही के जोखिम के बिना वे लॉकडाउन को बरकार नहीं रख सकते।
खासकर अपने गरीब नागरिकों के लिए। ऐसे में सोच में बदलाव आया है। पहले कहा जा रहा था कि वायरस से बचने के लिए अंदर रहो, लेकिन अब बीमारी और मौतों को स्वीकर कर लोगों के जीवन को बचाने की कोशिश की जा रही है। विकासशील देशों में हाल के दिनों में इंसान से इंसान में संक्रमण के मामले बढ़े हैं। खासकर, ऐसे समय में जब वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन संक्रमण की संख्या को नए मुकाम तक पहुंचने को लेकर चेतावनी दे रहा है।
भारत में रोज करीब 10 हजार के करीब केस सामने आ रहे हैं। भारत- लॉकडाउन जल्दी लगा दिया गया नई दिल्ली में हेल्थ इकोनॉमिस्ट इंद्राणी गुप्ता बताती हैं कि यहां लॉकडाउन काफी जल्दी शुरू हुआ है। हमारी इकोनॉमी कई मायनों में मजदूरों पर निर्भर है। अगर यह लॉकडाउन कई महीनों तक रहता तो करोड़ों अपनी जीविका और जीवन खो देते। मुझे नहीं लगता कि यह समय शांत रहने का है, कुछ अच्छे उपाय करने का है।
नई दिल्ली स्थित एक कब्रिस्तान में कोरोनावायरस मृतक को दफनाते कर्मी, भारत में संक्रमण के रोज करीब 10 हजार मामले सामने आ रहे हैं रूस- पुतिन 2036 तक राष्ट्रपति बने रहें, इसलिए खोला लॉकडाउन इसी हफ्ते मॉस्को के मेयर ने 30 मार्च से जारी कई पाबंदियों को हटा लिया। इस फैसले ने कई संक्रामक रोग विशेषज्ञों को चौंकाया है। ये एक्सपर्ट्स पहले से ही बढ़ रहे मामलों की दर की तरफ इशारा कर रहे थे। पॉलिटिक्स एनासिल्स्ट बताते हैं कि रिओपन करने का एक कारण 1 जुलाई के रेफरेंडम के लिए रास्ता तैयार करना था।
यह रेफरेंडम देश के संविधान में संशोधन कर व्लादिमीर वी पुतिन को 2036 तक सत्ता में रहने की अनुमति दे सकता था। पहले यह रेफरेंडम अप्रैल में होना था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से टल गया। मंगलवार को कई मॉस्कोवासी धूप में टहलने के लिए बाहर निकल आए। अथॉरिटी ने भी घर से निकलने के लिए उपयोग में आने वाले इलेक्ट्रॉनिक पास को केवल फार्मेसी और ग्रोसरी तक सीमित कर दिया था। मॉस्को के मेयर ने वीडियो ब्लॉग के जरिए कहा कि हम तबाही से बचने में कामयाब रहे। शहर ने कोरोनावायरस को हराना शुरू कर दिया है। हालांकि अभी भी रूस में रोज 8-9 हजार संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं।
रविवार को मॉस्को में रिवरफ्रंट का दृश्य। यहां के मेयर ने 30 मार्च से जारी लॉकडाउन के दौरान कई पाबंदियों में ढील दी है। मैक्सिको- राष्ट्रपति ने देश के दौरे के साथ लॉकडाउन हटाया राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रादोर ने कोविड 19 के बढ़ते केस के बाद भी देश का क्वारैंटाइन खत्म कर दिया। उन्होंने जून की शुरुआत में देश के दौरे के साथ रिओपन प्रक्रिया शुरू कर दी। कैंकन में मैनुअल ने कहा कि हमें नए सामान्य की ओर बढ़ना होगा, क्योंकि इसपर राष्ट्र की इकोनॉमी और लोगों की भलाई टिकी है।
हालांकि, दूसरे देशों की तरह मैक्सिको ने अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए किसी बड़े राहत पैकेज की घोषणा नहीं की है। मैक्सिको सिटी में हॉस्पिटल, मुर्दा घर और कब्रिस्तान भर चुके हैं। कुछ लोगों ने गुपचुप तरीके से अपने करीबियों को दफनाकर नियम तोड़े हैं। डॉक्टर को डर है कि अभी सबसे बुरा वक्त आने वाला है। डॉक्टर एलेजेंद्रो मासियास ने कहते हैं कि हम अभी भी महामारी के पहले शुरुआती चरण में हैं। पाकिस्तान- 2500 से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित पाकिस्तान में भी सरकार ने पाबंदियां में ढील दी है।
शहरों के बाहर कोई भी मास्क नहीं पहन रहा है और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहा है। लाहौर में पुराने शहर की गलियों में लोगों की भीड़ लगी रहती है। बीते हफ्ते पाकिस्तान में संक्रमण के मामले करीब दोगुने हो गए हैं। यहां टेस्टिंग बेहद कम होने के कारण यह बताने का कोई तरीका नहीं है कि वायरस कितना फैला हुआ है। डॉक्टर्स की एक संस्था के दावे के मुताबिक, यहां 2500 से ज्यादा हेल्थ केयर वर्कर्स बीमारी की चपेट में आ गए हैं और 34 की मौत हो चुकी है। कोरोनावायरस से कम से कम 5 लॉमेकर्स की मौत हो चुकी है।
इसके बावजूद देश में सब शुरू हो रहा है। प्रधानमंत्री इमरान खान लॉकडाउन को अमीरों की चीज बताते हैं। इसका मतलब है कि केवल अमीर लोग ही घर में बंद होकर रह सकते हैं। पाक पीएम ने अपने ट्विटर पर लिखा कि हमने दिहाड़ी मजदूर, सड़क पर व्यपार करने वाले, मजदूरों और गरीबी का सामना करने वालों के बारे में सोचे बिना लॉकडाउन मांगा। अल्लाह हमें हमारे पापों के लिए माफ करे। ईरान- लॉकडाउन जल्दी खोल दिया, कोरोना केस अभी तक कम नहीं हुए महामारी की शुरुआत में ईरान वायरस के बड़े केंद्रों में से एक था।
मई की शुरुआत में ही देश में तीन हफ्ते के छोटे लॉकडाउन को हटाने का फैसला लिया गया। यह फैसला पहले से ही अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों और बजट के कारण नुकसान उठा रही इकोनॉमी के बचाने के लिए लिया गया था। ईरान के नेताओं ने कहा कि कोरोनावायरस वह सच्चाई है, जिसके साथ ईरानियों को जीना सीखना होगा। देश में जल्दी लॉकडाउन खुलने को लेकर हेल्थ एक्सपर्ट्स ने भी दूसरी लहर की चेतावनी दी थी। एक महीने बाद यहां वायरस की दूसरी लहर शुरू हुई। 4 जून को ईरान में एक दिन में सबसे ज्यादा 3574 नए मामले मिले।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसका आरोप लोगों और सरकार पर लगाया। राष्ट्रपति हसन रुहानी लगातार यह कह रहे हैं कि इकोनॉमी को खुला रहने दे, क्योंकि ईरान के पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है। इसके अलावा उन्होंने कोरोनावायरस टास्क फोर्स के सदस्यों को चेतावनी दी है कि वे लोगों को दूसरी या तीसरी लहर के नाम से डराएं नहीं।