लापरवाही न पड़े भारी: चुनावी राज्यों में दर्ज नहीं हो रहे कोरोना आंकड़े

नई दिल्ली। WHO ने चेताया है कि ओमिक्रॉन के मामलों में तेजी आ सकती है। मौतों के आंकड़े भी बढ़ सकते हैं। ब्रिटेन में हुई ओमिक्रॉन से पहली मौत ने एक तरह से रेड अलर्ट जारी कर दिया है, लेकिन भारत में चुनावी माहौल में टेस्टिंग की रफ्तार घट गई है। कई राज्यों में तो टेस्टिंग के आकंड़े भी डैश बोर्ड पर दर्ज नहीं किए जा रहे हैं। यह बात गंभीर इसलिए हैं क्योंकि जीनोम सीक्वेंसिंग में यही आंकड़े काम आते हैं। जीनोम सीक्वेंसिंग ही वह जरिया है जिससे वायरस का नेचर पता लगाया जाता है कि वह कितना खतरनाक है।

इधर रैलियों में जुट रही लाखों की भीड़ को देखकर इसी साल अप्रैल में मद्रास हाईकोर्ट चुनाव आयोग को लगाई फटकार याद आती है। अप्रैल 2021 में हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार ठहराया था। मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एस. बनर्जी ने सुनवाई के दौरान कहा था कि चुनाव आयोग ही कोरोना की दूसरी वेव का जिम्मेदार है।

कोर्ट ने यहां तक कहा था कि चुनाव आयोग के अधिकारियों पर अगर मर्डर चार्ज भी लगाया जाए तो गलत नहीं होगा। हालांकि चुनाव आयोग शायद उस फटकार को भूल चुका है। तभी रैलियों की अनुमति बिना रोकटोक मिल रही है।

UP, गोवा, पंजाब, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश के आंकड़े गायब

अगर हम सरकारी डैश बोर्ड पर आंकड़ों को चेक करें तो कम से कम 4 राज्य ऐसे हैं जिनमें 30 अक्टूबर के बाद के टेस्टिंग के आंकड़ों को दर्ज ही नहीं किया गया। इसमें सबसे बड़ा राज्य UP भी शामिल है। अगले साल यहां चुनाव होने हैं, लिहाजा रैलियों पर जोर दिया जा रहा है। हाल ही में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के दौरान PM को सुनने हजारों की तादाद में लोग इकट्ठे हुए। दूसरी तरफ गोवा में तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी एक के बाद एक रैलियां और जनसभाएं करने में लगी हैं। डैश बोर्ड में टेस्टिंग के आंकड़े यहां भी 30 अक्टूबर के बाद जीरो ही नजर आते हैं। मध्य प्रदेश का भी यही हाल है।

काशी में प्रधानमंत्री मोदी की एक जनसभा के दौरान उमड़ा जनसैलाब।
काशी में प्रधानमंत्री मोदी की एक जनसभा के दौरान उमड़ा जनसैलाब।

 

पंजाब का हाल भी इन राज्यों से जुदा नहीं है। यहां भी 1 नवंबर के बाद सीधे 10 नवंबर और फिर 15 नवंबर के आंकड़े ही डैश बोर्ड में दर्ज हैं। इनके बीच और बाद के आंकड़े गायब हैं। उत्तराखंड के डैश बोर्ड में 5 नवंबर के बाद सीधे 14 नवंबर और फिर 2-3 दिसंबर और फिर 7 दिसंबर 11-12-13 दिसंबर तक आंकड़े दर्ज हैं। यानी, यहां भी आंकड़ों को दर्ज करने में स्वास्थ्य विभाग कोई ज्यादा उत्सुक नहीं नजर आता है।

उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद से बात करने पर उन्होंने बस इतना भर कहा- टेस्टिंग जारी है। आंकड़ों को दर्ज करने का काम दूसरी टीम करती है। दूसरे राज्यों स्वास्थ्य सचिवों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने डैश बोर्ड पर नदारद आंकड़ों को गंभीरता से ही नहीं लिया।

PM के तय लक्ष्य से एक चौथाई पर टिका टेस्टिंग का आंकड़ा

PM मोदी ने मई, 2021 में प्रति दिन 40-45 लाख रोजाना टेस्टिंग का लक्ष्य रखा था, लेकिन इस तय लक्ष्य के मुकाबले आंकड़ों की जमीनी हकीकत बेहद खराब नजर आती है। अगर 15 सितंबर से लेकर 15 दिसंबर के बीच के आंकड़ों का ग्राफ देखें तो यह घटता बढ़ता ही नजर आता है।

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