परिवहन आयुक्त कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि लॉकडाउन के तीनों चरणों के दौरान न चलने वाले यात्री और व्यावसायिक वाहनों को पेनाल्टी एवं यात्री कर से राहत देने के लिए एक प्रस्ताव तैयार कर प्रदेश सरकार को भेजा गया है। यदि शासन की मंजूरी मिल गई तो प्रदेश के करीब 15 लाख व्यावसायिक वाहन मालिकों को राहत मिलेगी।
उन्होंने बताया कि नियमत: व्यावसायिक वाहन मालिकों को यात्री कर मासिक और त्रैमासिक भुगतान करना पड़ता है। महीने की 15 तारीख से पहले व्यावसायिक वाहनों का टैक्स जमा हो जाना चाहिए। नहीं तो वाहन मालिकों को निर्धारित समय बीतने के बाद पेनाल्टी देनी होती है।
अधिकारी ने बताया कि यदि व्यावसायिक वाहन के मालिक ने मासिक या त्रैमासिक टैक्स नहीं जमा किया तो गाड़ी के कुल टैक्स की 5 प्रतिशत धनराशि बतौर पेनाल्टी देनी होती है। लॉकडाउन के करीब दो माह होने वाले हैं। इसलिए व्यावसायिक वाहन मालिकों ने यात्री कर और पेनाल्टी माफ करने की मांग की है। इनका कहना है कि कोरोना की वजह से लॉकडाउन में जब वाहन सड़क पर नहीं चल रहे हैं तो टैक्स लेने का क्या मतलब है। बिना कमाई के लॉकडाउन में टैक्स देना मुश्किल है। इसलिए परिवहन विभाग और शासन को टैक्स और पेनाल्टी की राशि माफ कर देना चाहिए।
परिवहन आयुक्त धीरज साहू ने बताया कि व्यावसायिक वाहनों के मालिक पेनाल्टी और टैक्स माफ करने के लिए चक्कर लगा रहे हैं। संभागीय परिवहन कार्यालयों में भी व्यावसायिक वाहनों का टैक्स जमा नहीं हुआ है। इसलिए वाहन मालिकों की मांग को देखते हुए शासन के उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। इसके अलावा व्यावसायिक वाहन मालिकों को टैक्स और पेनाल्टी से राहत देने के लिए एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। शासन की मंजूरी मिलते ही आगे की कार्रवाई की जायेगी।
गौरतलब है कि प्रदेश के सभी प्रकार के व्यावसायिक वाहन लॉकडाउन में खड़े हैं। इसलिए उनके मालिकों को टैक्स और पेनाल्टी देने में दिक्क्त हो रही है। व्यावसायिक वाहनों में ऑटो, विक्रम, ओला, उबर, बस, ट्रक और अन्य माल वाहक वाहन शामिल हैं। जिनसे व्यावसायिक गतिविधियां की जाती हैं।