मेरठ। लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश में लोगों की मदद के लिए सरकार ने आपातकालीन डायल 112 की सुविधा शुरू कराई थी। इस सेवा का लोगों ने लॉकडाउन के दौरान भरपूर उपयोग किया। साथ ही पुलिस जवानों ने भी प्रदेशवासियों की तत्पर्ता से मदद की थी। इस दौरान लोगों को राशन, दवाई, गैस सिलेंडर सहित अन्य सभी प्रकार की सहायता के लिए ये हेल्पलाइन हमेशा एक्टिव रही। इस पर संपर्क करते ही लोगों तक उनकी जरूरत का सामान पहुंचा।
23 मार्च 2020 को लॉकडाउन लागू होने से शाम पांच बजे आपातकालीन नंबर 112 पर मेरठ से एक बुजुर्ग महिला ने कॉल किया। जिस पर संवाद अधिकारी ने बुजुर्ग महिला से कॉल करने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि उनके घर में राशन खत्म हो गया है और खाने के लिए कुछ भी नहीं है। एक बेटा है जिसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। सूचना मिलते ही पीआरवी 3780 पर तैनात कांस्टेबल शिवकुमार और होमगार्ड प्रवीण कुमार मौके पर पहुंचे।
जहां उन्होंने बुजुर्ग के घर की हालत देखते हुए तत्काल राशन उपलब्ध करवाया। इस कॉल के कुछ घंटे बाद ही 112 पर कई अन्य जिलों से मदद के लिए फोन आना शुरू हो गए थे।
धीरे-धीरे बनता गया कारवां
लॉकडाउन शुरू होते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के लोगों तक आवश्यक वस्तुओं को पहुंचाने की जिम्मेदारी डायल 112 को सौंपी थी। खाना/राशन के साथ ही दवाई, गैस सिलेंडर, दूध और बेबी फूड सहित तमाम आवश्यक वस्तुओं के लिए 112 पर कॉल कर लोगों ने मदद लेना शुरू किया।
जरूरतमंद लोगों तक तक मदद पहुंचाने में स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी पूरा सहयोग किया। जिसका नतीजा ये रहा कि दो माह में डायल 112 ने दो लाख से अधिक जरुरतमंदों तक खाना/राशन और करीब 55 हजार लोगों तक दवाई एवं अन्य घरेलू उपयोग की वस्तुओं को पहुंचा कर कोरोना काल में मिसाल पेश की।
जागरूक नागरिकों ने संक्रमण के रोकथाम में की मदद
कोरोना संक्रमण की रोकथाम में जागरूक नागरिकों ने पुलिस और प्रशासन का पूरा सहयोग किया। प्रदेश भर में संदिग्ध संक्रमितों के बारे में 1,54,299 लोगों ने 112 हेल्पलाइन को जानकारी दी। संक्रमण से बेपरवाह लोगों के एक स्थान पर एकत्रित होने, खुले में खेलने सहित अन्य की भी सैकड़ों सूचनाएं दी गईं।
संक्रमण से बचना और मदद पहुंचाना थी गंभीर चुनौती
फ्रंट लाइन वर्कर के तौर पर 112 के पीआरवी कर्मियों के सामने लॉकडाउन एक चुनौती के रूप में था। लोगों को उनके घर तक आवश्यक वस्तुओं को पहुंचाना, लॉकडाउन का पालन करवाना और इसके साथ ही खुद को संक्रमण से बचाए रखना पीआरवी कर्मियों के लिए चुनौती भरा था। जिसका उन्होंने सूझबूझ और हिम्मत से सामना किया।