लॉक डाउन: गांवो में मंडरा रहा कोरोना का खतरा

डॉ. सुरेन्द्र सागर
दुनिया भर में करीब दो सौ देशों को खौफ में समेटे कोरोना के वैश्विक प्रसार के बाद भारत ने बिना देर किये सम्पूर्ण देश में लॉकडाउन कर दिया। लॉकडाउन का देश के सभी राज्यों और उससे जुड़े जिलों और प्रमुख शहरों में व्यापक असर देखने को मिल रहा है। भारत के शहरी इलाकों में कोरोना के खिलाफ चल रहे जंग में लोग कंधे-से-कंधा मिलाकर चल रहे हैं और लगभग इन इलाकों में सुबह से शाम तक सड़कों, बाजारों, चौक-चौराहों और धार्मिक स्थलों पर सन्नाटा पसरा हुआ साफ़ दिख जाता है। राज्यों और जिलों की सीमाएं सील कर दी गई हैं और लोग जरूरत के सामान लेने ही कुछ देर के लिए निकल रहे हैं। जो लोग सब्जी, दूध, किराना और दवा जैसे अत्यधिक जरूरत की चीजें लेने आसपास की दुकानों पर निकल भी रहे हैं, वे सोशल और फिजिकल डिस्टेंस का पूरा ख्याल रख रहे हैं।
इन इलाकों में सड़कों पर दौड़ती पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की गाड़ियाँ कोरोना के खिलाफ जारी जंग की तस्वीर लोगों को दिखा देती है। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने साहसिक कदम उठाते हुए सम्पूर्ण भारत में लॉकडाउन लागू किया तो देश की जनता ने उसे सहर्ष स्वीकार किया। नतीजा हुआ कि कोरोना के खिलाफ जंग जीत लेने की उम्मीदें भी बढ़ गई। देश में रेल, हवाई जहाज, निजी और सरकारी बसें, ऑटो सहित यातायात के सभी साधनों को रोक दिया गया है ताकि लोग जहाँ हैं, वही रहें और कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। भारत और उसके राज्यों से जुड़े शहरी इलाके लॉकडाउन हो चुके हैं लेकिन इन सबके बीच एक बड़ा खतरा गावों की तरफ बढ़ रहा है। प्रदेशों के ग्रामीण इलाको में अभी भी लॉकडाउन नहीं हो सका है। गावों में लोग कोरोना को लेकर कोई खास सतर्कता नहीं बरत रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कहीं सोशल या फिजिकल डिस्टेंस की बात नहीं देखी जा रही है। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना को लेकर संकट मंडराने लगा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-छोटे बाजारों में जारी चहल-पहल संकट के संकेत देने लगे हैं। देश के कई औद्योगिक राज्यों से मजदूर अपने गावों तक पहुँच चुके हैं। रोजी रोटी की तलाश में महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, बेंगलोर, पुणे जैसे राज्यों और महानगरों में बिहार सहित अन्य राज्यों से जाकर मजदूरी या अन्य कई तरह के काम करने वाले लोग बड़ी संख्या में अपने गावों तक पहुँच चुके हैं। बिहार में हजारों दिहाड़ी मजदूर अपने अपने गावों तक लौट आये हैं। बिहार के एक जिले सिर्फ भोजपुर के आंकड़ों पर गौर करें तो यहाँ करीब तीन हजार से अधिक लोग देश के अलग-अलग राज्यों से किसी तरह निकल कर अपने गावों तक आ चुके हैं। इनकी जाँच हुई है और इनके हाथों पर मुहर लगाकर क्वारंटीन में रहने की हिदायत देकर उन्हें घर वापस भेज दिया गया है। हाथों पर मुहर लगे लोग ग्रामीण बाजारों चाय-पान की दुकानों पर धड़ल्ले से देखे जा रहे हैं। ऐसे लोगों में से किसी में भी कोरोना का संक्रमण हुआ तो गाँव के गाँव कोरोना की चपेट में आ जाएगा।
ग्रामीण इलाको में कोरोना के खिलाफ जारी जंग को ले किये गए लॉकडाउन से बेपरवाह लोगों की स्थिति यह है कि गावों के खेल मैदानों में एकसाथ इकट्ठा होकर शाम होते ही युवकों का हुजूम क्रिकेट खेलने निकल पड़ता है। बिहार में दौलतपुर आरा के निकट निर्माणाधीन फोरलेन पर आसपास के गावों के युवाओं का हुजूम शाम होते ही क्रिकेट खेलने निकल पड़ता है। ऐसे ग्रामीण इलाको में लॉकडाउन की गंभीरता को लोग नहीं समझ रहे और ग्रामीण इलाकों तक पुलिस पहुँच भी नहीं पाती।
ईंट-भट्ठे और चिमनियों पर भी है ऐसा ही खतरा मंडरा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में सोशल और फिजिकल डिस्टेंस का आलम यह है कि ईंट-भट्ठों पर एकसाथ इकट्ठा होकर मजदूरों का समूह ईंट पथाई से लेकर चिमनी में डालने तक के कार्य कर रहे हैं। सम्पूर्ण लॉकडाउन का ग्रामीण क्षेत्रों में हाल यह है कि खेत-खलिहानों में रबी फसल की कटाई को लेकर हुजूम में महिला-पुरुष एक साथ कार्य कर रहे हैं। थ्रेसर में कटाई के लिए भी भीड़ इकट्ठी हो रही है और यहां सोशल डिस्टेंस की कोई अहमियत नहीं रह गई है।
  1. एक तरफ जहाँ दुनिया के सबसे विकसित और विकासशील देश कोरोना जैसी महामारी से युद्ध लड़ रहे हैं और भारत इन सबसे अलग अपने कुशल प्रबन्धन और साहसिक फैसलों के साथ देशभर में लॉकडाउन कर कोरोना को मात देने में लगा है। वहीं देश के ग्रामीण इलाकों खासकर बिहार में लोग ऐसे समय में खेत-खलिहानों से लेकर बाजारों और मैदान तक सोशल डिस्टेंस की धज्जियाँ उड़ाने में लगे हैं। जब बड़ी संख्या में बाहर के राज्यों से आये दिहाड़ी मजदूरों ने जाँच के बाद क्वारंटीन में रहने की हिदायत के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी चहल-पहल बढ़ा दी है। अब भी समय है कि सरकार और जिला प्रशासन, ग्रामीण इलाकों और गावों को लॉकडाउन कराये अन्यथा स्थिति बिगड़ी तो संभालना मुश्किल हो सकता है।

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