संख्या के हिसाब से अगली लोकसभा व्यस्क होगी। इस 18वीं लोकसभा के गठन के लिए भारत में 19 अप्रैल 2024 से 1 जून तक 7 चरणों में मतदान की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। अब तक चार चरणों के मतदान को लेकर चुनावी नतीजे पर कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन, तस्वीर 4 जून को मतगणना से साफ होगी।
राजस्थान की बात करें तो लोकसभा की 25 सीटों के नतीजों को लेकर सत्ता एवं विपक्षी दलों के साथ आम जनता की उत्सुकता बरकरार है। वर्ष 2014 एवं 2019 में चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सभी 25 सीटों पर सफलता मिली थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और गारंटी की गारंटी पर केंद्रित इस चुनाव में भाजपा की हैट्रिक को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। मोदी जी के चुनावी दौरों के बावजूद पिछले चुनाव की तुलना में कम मतदान तथा बूथ प्रबंधन को लेकर भाजपा के अंदरूनी छानबीन अधिक उत्साह जनक संदेश नहीं दे रही है।
वहीं कांग्रेस को इस बार अपना खाता खोलने की उम्मीद है। कांग्रेस नेता चौंकाने वाले नतीजों का तकिया कलाम अपना आलाप रहे हैं। अब बात सभी 25 सीटों के एकतरफा नतीजों की है। चुनावी इतिहास के प्रष्ठ खोलें तो राजस्थान से 25 संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का श्री गणेश छठी लोकसभा के चुनाव से हुआ था।
आपातकाल के पश्चात परिसीमन से सीटों की संख्या 23 से बढ़कर 25 हो गई। वर्ष 1951- 52 की अवधि में हुए आम चुनाव में हुए प्रथम आम चुनाव में राजस्थान से 20 सदस्य चुने गए, जिनमें 17 सीटें समान्य, दो अनुसूचित जाति एवं एक जनजाति के लिए सुरक्षित थी। केंद्र शासित अजमेर राज्य से सामान्य वर्ग की दो सीटें थी। इस प्रकार प्रदेश से कुल 22 सांसद निर्वाचित हुए।
दूसरी एवं तीसरी लोकसभा के लिए भी यही संख्या बनी रही लेकिन चौथी लोकसभा में यह संख्या बढ़कर 23 हो गई। यह क्रम पांचवीं लोकसभा तक बना रहा। अब प्रदेश से 16 सामान्य, 4 अनुसूचित एवं तीन सीटें जनजाति के लिए सुरक्षित की गई।
यद्यपि पांचवीं लोकसभा का कार्यकाल वर्ष 1976 में समाप्त हो गया था। लेकिन जून 1975 में देश में आपात स्थिति लागू होने तथा संविधान संशोधन से सदन की अवधि बढ़ाने के कारण छठी लोकसभा के चुनाव 16 एवं 19 मार्च 1977 को कराए गए। परिसीमन के चलते प्रदेश से निर्वाचित सांसदों की संख्या 23 से बढ़कर 25 हो गई लेकिन आरक्षण व्यवस्था यथावत रही। समान्य वर्ग की सीटें 18 हो गईं। राजस्थान से 25 सांसदों का आंकड़ा यथावत है।
राजस्थान में आपातकाल के पश्चात 1977 में छठी लोकसभा के चुनाव में नवगठित जनता पार्टी को 24 सीटों पर सफलता मिली। केवल नागौर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी नाथूराम मिर्धा विजयी हुए। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या (1984) के पश्चात आठवीं लोकसभा के चुनाव में पहली बार कांग्रेस को सभी 25 सीटों पर सफलता मिली। विपक्षी दलों का खाता भी नही खुला।
नवीं लोकसभा में पासा पलटा विपक्षी दलों में भाजपा, जनता दल ने आपसी तालमेल में क्रमशः 13 एवं 11 स्थानों तथा एक सीट बीकानेर से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के खाते में गई। कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। दसवीं लोकसभा में भाजपा तथा कांग्रेस ने 12 तथा 13 सीटें जीती। 11वीं लोकसभा में भाजपा कांग्रेस ने 12- 12 सीटों पर तथा कांग्रेस (तिवारी) को एक सीट पर सफलता मिली। इस क्रम में 16वीं – 17वीं लोकसभा में भाजपा ने सभी 25 सीटों पर बाजी मारी लेकिन 2024 के चुनाव में पहली संभावित हैट्रिक पर फिलहाल सवालिया निशान है।